राम मंदिर के ईंट-दर-ईंट निर्माण में शामिल..कहलाते हैं अयोध्या का विश्वकोष, जानिए कौन हैं चंपत राय
5 अगस्त, 2020 को भव्य मंदिर के 'भूमि पूजन' से लेकर आज तक राय श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव के रूप में मंदिर के ईंट-दर-ईंट निर्माण में शामिल रहे हैं।



चंपत राय
Champat Rai: 500 वर्षों के संघर्ष के बाद आज अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम संपन्न हुआ। अनगिनत लोगों के बलिदान के बाद आखिरकार आज वह क्षण आया जब देशवासियों का अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण का सपना पूरा हुआ। लेकिन इस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए एक बड़ा आंदोलन चलाया गया जिसके बाद वर्षों पुराना सपना पूरा होने की नींव पड़ी। इस पूरे आंदोलन में कई लोगों की अहम भूमिका रही और इन्हीं में से एक हैं चंपत राय। सुप्रीम कोर्ट द्वारा राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त किए जाने के बाद से चंपत राय रामजन्मभूमि स्थल पर ही जमे रहे। 5 अगस्त, 2020 को भव्य मंदिर के 'भूमि पूजन' से लेकर आज तक राय श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव के रूप में मंदिर के ईंट-दर-ईंट निर्माण में शामिल रहे हैं।
1980 के दशक से जुड़ाव
राम मंदिर आंदोलन से उनका जुड़ाव 1980 के दशक से है। अयोध्या की गलियों और इतिहास के बारे में उनके गहन ज्ञान को देखते हुए राय को अयोध्या का विश्वकोष कहा जाता है। जब रामजन्मभूमि मामला अदालतों में गहनता से लड़ा जा रहा था, चंपत राय अक्सर राम लला के निवास के बारे में दस्तावेजी साक्ष्य के साथ हिंदू पक्ष के वकीलों की मदद करते थे। राम लला के इस रिकॉर्ड-कीपर ने 6 दिसंबर, 1992 की कारसेवा में सक्रिय रूप से भाग लिया था।
चंपत राय बंसल के रूप में जन्मे
1946 में उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले में चंपत राय बंसल के रूप में जन्मे चंपत राय बचपन से ही आरएसएस की विचारधारा से आकर्षित थे। मंदिर आंदोलन में शामिल होने से पहले वह बिजनौर के आरएसएम डिग्री कॉलेज में रसायन विज्ञान के लेक्चरर थे। चंपत राय के कुछ करीबी सहयोगियों को याद है कि उन्हें 1975 में आपातकाल के दौरान आरएसएस से संबंध रखने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। वह कॉलेज में रसायन विज्ञान का व्याख्यान दे रहे थे, तभी एक पुलिस टीम उन्हें गिरफ्तार करने पहुंची। राय ने उनसे व्याख्यान समाप्त होने तक प्रतीक्षा करने को कहा। उनका कद ऐसा था कि पुलिस सहमत हो गई और कक्षा के बाद ही उन्हें ले गई।
18 महीने तक सलाखों के पीछे रहे
वह 18 महीने तक सलाखों के पीछे रहे और इस दौरान उन्हें एक जेल से दूसरी जेल में स्थानांतरित किया गया। अपनी रिहाई के बाद राय ने लेक्चरर की नौकरी छोड़ दी और वीएचपी में शामिल हो गए, जो मंदिर आंदोलन का संचालन कर रही थी। उन्होंने अवध क्षेत्र में युवाओं को मंदिर आंदोलन के लिए संगठित करने का काम किया। चंपत राय वीएचपी के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद पर भी हैं।
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