कांग्रेस को मिला दूसरा दलित अध्यक्ष, जानिए कौन हैं CONG के नए Boss मल्लिकार्जुन खड़गे

मल्लिकार्जुन खड़गे का जन्म कर्नाटक में 21 जुलाई, 1942 को एक दलित परिवार में हुआ था। वहीं से खड़गे ने राजनीति की शुरूआत की और कई बार सांसद और विधायक चुने गए। कई बार तो खड़गे सीएम बनते-बनते रह गए थे। इसके बाद दिल्ली की राजनीति में जब उन्होंने एंट्री की तो वहां भी शीर्ष नेतृत्व के नजदीक बने रहे।

कांग्रेस को अपना नया अध्यक्ष मिल गया है। अध्यक्ष पद के लिए हुए चुनाव में कांग्रेस के अनुभवी नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने शशि थरूर को हराकार कांग्रेस की शीर्ष कुर्सी पर कब्जा जमा लिया है। खड़गे अब दूसरे ऐसे दलित नेता हैं, जो इस पोस्ट तक पहुंचे हैं। खड़गे से पहले सिर्फ बाबू जगजीवन राम ही थे, जो दलित समाज से आते थे और इस कुर्सी तक पहुंचे थे।

यहां से राजनीति में हुई एंट्री

21 जुलाई, 1942 को बीदर में जन्मे खड़गे 1969 में कांग्रेस में शामिल हुए थे। एक वकील के रूप में श्रम कानूनों में महारत रखने वाले खड़गे 1969 में 27 साल की उम्र में कलबुर्गी टाउन कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने। तब से, वह कर्नाटक की राजनीति के एक मजबूत स्तंभ रहे हैं। साथ ही राज्य में कांग्रेस के प्रमुख दलित चेहरा भी। 1969 में जब कांग्रेस का विभाजन हुआ तो खड़गे इंदिरा गुट के साथ रहे। खड़गे हमेशा पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व के प्रति वफादार रहे हैं।

राजनीतिक यात्रा

उन्होंने पहली बार 1972 में कर्नाटक राज्य विधानसभा चुनाव लड़ा और गुरमीतकल निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल की। 1973 में, उन्हें चुंगी उन्मूलन समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। 1974 में, उन्हें राज्य के स्वामित्व वाले चमड़ा विकास निगम का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। 1978 में, वह दूसरी बार गुरमीतकल निर्वाचन क्षेत्र से विधायक चुने गए, इस बार की सरकार में मंत्री भी बने। 1980 में, वह गुंडू राव कैबिनेट में राजस्व मंत्री बने। 1983 में, वह तीसरी बार गुरमीतकल से कर्नाटक विधानसभा के लिए चुने गए। 1985 में, वह चौथी बार गुरमीतकल से कर्नाटक विधानसभा के लिए चुने गए और उन्हें कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष का उप नेता नियुक्त किया गया।

लगातार जीत

1989 में, वह गुरमीतकल से कर्नाटक विधानसभा के लिए पांचवीं बार चुने गए। 1994 में, वह गुरमीतकल से कर्नाटक विधानसभा के लिए छठी बार चुने गए और विधानसभा में विपक्ष के नेता बने। 1999 में, वह सातवीं बार कर्नाटक विधानसभा के लिए चुने गए। 2004 में, वह लगातार आठवीं बार कर्नाटक विधानसभा के लिए चुने गए। 2005 में, उन्हें कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। 2008 में, वह लगातार नौवीं बार चीतापुर से विधानसभा के लिए चुने गए। उन्हें 2008 में दूसरी बार विपक्ष का नेता नियुक्त किया गया था। 2009 में, खड़गे ने गुलबर्गा संसदीय क्षेत्र से आम चुनाव लड़ा और अपना लगातार दसवां चुनाव जीता। 2014 के आम चुनाव में खड़गे ने गुलबर्गा संसदीय सीट से चुनाव लड़ा और जीते। 2019 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

मुख्यमंत्री बनने से चूके

खड़गे तीन बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री बनने वाले थे, लेकिन हर बार ये कुर्सी उनके साथ से छिटक गई। खड़गे को पहली बार 1999 में कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद का दावेदार माना गया था, लेकिन तब एसएम कृष्णा ने बाजी मार ली। आज कृष्णा भाजपा के साथ हैं। इसके बाद खड़गे का नाम फिर चर्चा में तब आया जब 2004 में कांग्रेस ने जनता दल के समर्थन से कर्नाटक में सरकार बनाई। हालांकि, अंतिम समय में एन धरम सिंह को मुख्यमंत्री बना दिया गया। फिर 2013 में, जब कांग्रेस ने कर्नाटक को भाजपा से वापस छीन लिया, तो खड़गे का नाम फिर से चर्चा में आ गया। हालांकि, कांग्रेस नेतृत्व ने तब सिद्धारमैया को सीएम की कुर्सी दे दी।

दिल्ली की राजनीति में जमे

2009 में लोकसभा चुनाव में जीतने के बाद, खड़गे को यूपीए-2 सरकार में श्रम मंत्री बनाया गया था। 2014 में जब कांग्रेस हारी, तब भी खड़गे ने अपनी सीट जीत ली थी। तब उन्हें लोकसभा में कांग्रेस पार्टी का नेता नियुक्त किया गया था। हालांकि 2019 में जब वो चुनाव हारे तो पार्टी ने उन्हें राज्यसभा भेजा और वहां भी विपक्ष का नेता बनाया। 1 अक्टूबर 2022 को उन्होंने कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद पर चुनाव लड़ने के लिए एलओपी के पद से इस्तीफा दे दिया।

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शिशुपाल कुमार author

पिछले 10 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते हुए खोजी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में एक अपनी समझ विकसित की है। जिसमें कई सीनियर सं...और देखें

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