देवगौड़ा को चुनौती दी, कुमारस्वामी को हराया-कहानी कर्नाटक कांग्रेस के सबसे ताकतवर नेता DK शिवकुमार की, 1989 से हैं अपराजेय
Who is DK Shivakumar: डीके शिवकुमार उस वक्त राजनीति में एंट्री कर रहे थे, जब कर्नाटक में कांग्रेस दो फाड़ हो गई थी। इंदिरा गांधी के विरोध में 1979 में देवराज उर्स ने पार्टी तोड़ दी थी, कई बड़े नेता कांग्रेस छोड़ देवराज के साथ चले गए थे, कई युवा नेता भी गए थे, लेकिन डीके ने इंदिरा के साइड को चुना।
कौन हैं डीके शिवकुमार, जिनपर थी कर्नाटक में कांग्रेस को जिताने की जिम्मादारी
Who is DK Shivakumar: डीके शिवकुमार...ये नाम हाल के दिनों में काफी चर्चित रहा है। कर्नाटक जीत के बाद कांग्रेस के इस नेता की जमकर वाहवाही हो रही है। एक छात्र नेता से लेकर कर्नाटक में कांग्रेस के संकटमोचक और सबसे ताकतवर नेता बनने तक में डीके शिवकुमार ने काफी लंबा सफर तय किया है। महाराष्ट्र से लेकर कर्नाटक तक में कांग्रेस की सरकार बचा चुके हैं, बनवा चुके हैं। डीके शिवकुमार कर्नाटक से डिप्टी सीएम बनने जा रहे हैं।
डीके शिवकुमार की निजी जिंदगी
डीके शिवकुमार का जन्म कर्नाटक के बैंगलोर के पास कनकपुरा में हुआ था। उनके पिता का नाम केम्पेगौड़ा और मां का नाम गौरम्मा था। शिवकुमार वोक्कालिगा समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। उनके छोटे भाई डी. के. सुरेश भी राजनीति में हैं। डीके ने 1993 में उषा से शादी की और उनकी दो बेटियां, ऐश्वर्या और आभरण और एक बेटा आकाश है। डीके शिवकुमार राजनीति विज्ञान में ग्रेजुएट हैं और एक सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं।
इंदिरा के समय में राजनीति में एंट्री
डीके शिवकुमार उस वक्त राजनीति में एंट्री कर रहे थे, जब कर्नाटक में कांग्रेस दो फाड़ हो गई थी। इंदिरा गांधी के विरोध में 1979 में देवराज उर्स ने पार्टी तोड़ दी थी, कई बड़े नेता कांग्रेस छोड़ देवराज के साथ चले गए थे, कई युवा नेता भी गए थे, लेकिन डीके ने इंदिरा के साइड को चुना। जिसके बाद कांग्रेस के स्टूडेंट यूनियन के सेक्रेट्री बने और इन्हें युवाओं को जोड़ने की जिम्मेदारी दी गई।
जब दी देवगौड़ा को टक्कर
राजनीति में डीके शिवकुमार की मैनेजमेंट और लोगों को जोड़ने की कला से अब तक कांग्रेस के बड़े नेता वाकिफ हो चुके थे, यही कारण रहा कि डीके को जब 1985 में कांग्रेस ने टिकट दिया तो उनके सामने दिग्गज नेता एचडी देवगौड़ा थे, इस चुनाव में डीके ने देवगौड़ा की नाक में दम कर दिया। इस युवा नेता ने चुनाव तो हारा लेकिन सिर्फ 15 हजार वोटों से।
कुमारस्वामी को हराया
इसके बाद डीके शिवकुमार राजनीति में आगे ही बढ़ते गए। 1989 में सथानूर से डीके को टिकट मिला, जहां से उन्होंने जीत हासिल की। मात्र 27 साल की उम्र में डीके शिवकुमार विधायक बन गए। इसी समय राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी और वो मंत्री भी बन गए। इसके बाद 1999 में शिवकुमार ने एचडी देवगोड़ा के बेटे कुमारस्वामी को हरा दिया।
महाराष्ट्र में सरकार को बचाया
2002 में महाराष्ट्र में कांग्रेस की सरकार थी। विलासराव देशमुख मुख्यमंत्री थे। इसी दौरान विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव ले आया। इस समय डीके उनकी सरकार के संकटमोचक साबित हुए और शिवकुमार ने वोटिंग से पहले एक सप्ताह तक बंगलौर के बाहरी इलाके में स्थित अपने रिसॉर्ट में महाराष्ट्र के विधायकों की रखा था। जिसके बाद देशमुख सरकार बच गई थी।
अहमद पटेल को जिताया
2017 में गुजरात से राज्यसभा चुनाव होना था। कांग्रेस में फूट की आशंका थी। अहमद पटेल चुनावी मैदान में। इस चुनाव से ठीक पहले, डीके ने गुजरात कांग्रेस के 42 विधायकों को बेंगलुरु में अपने रिसॉर्ट में रखने का सुझाव किया। ताकि वो कांग्रेस को टूट से बचा सकें। जिसके बाद कई सियासी समीकरण के बाद अहमद पटेल जितने में कामयाब रहे।
1989 से अपराजेय हैं शिवकुमार
शिवकुमार 1989 में विधायक बने थे, तब से वो लगातार 8 बार विधायक बन चुके हैं। उनके जीत का आंकड़ा भी लगातार बढ़ता रहा है। शिवकुमार को 2018 के चुनाव के बाद कर्नाटक में कांग्रेस और जनता दल (सेक्युलर) की गठबंधन सरकार के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का श्रेय भी दिया जाता है। इसके बाद जब सरकार गिरी तो डीके मुसीबत में भी फंसे। ईडी ने छापा मारा, जेल गए, उसके बाद जब जेल से निकले तो भाजपा को हराने में लग गए। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर रहते हुए कर्नाटक में कांग्रेस की जीत के लिए रणनीति बनाई, राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को सफल बनाने में दिन रात एक कर दिए।
सबसे अमीर नेताओं में शुमार
डीके शिवकुमार कर्नाटक कांग्रेस के सबसे अमीर नेता हैं। उनके पास 1400 करोड़ रुपए से ज्यादा की संपत्ति है। कांग्रेस पार्टी को जब भी फंड की जरूरत होती है, शिवकुमार सबसे आगे खड़े रहते हैं। शिवकुमार को कांग्रेस का संकटमोचक भी कहा जाता है। हालांकि वह सीबीआई, ईडी और आयकर विभाग की जांच के दायरे में भी है। चुनाव से पहले वे 104 दिन जेल में भी रहे और जमानत पर बाहर हैं।
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