बोलने में बेबाक हैं कुंवर दानिश अलीः तेजी से BSP के अल्पसंख्यक चेहरे के रूप में उभरे, पार्टी लाइन से परे रखते हैं रिश्ते
Who is Kunwar Danish Ali: पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च डेटा के मुताबिक, अली सक्रिय सांसद हैं, जो सदन में 98% मौजूदगी दर्ज करते हैं और राष्ट्रीय औसत से कहीं अधिक बहसों में हिस्सा लेते हैं।
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सांसद दानिश अली। (फाइल)
Who is Kunwar Danish Ali: कुंवर दानिश अली...यह वही नाम है, जिसे लोकतंत्र के मंदिर (संसद) में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद रमेश बिधूड़ी ने बदनाम करना चाहा। सदन की गरिमा भूलते हुए वह एक मिनट के भीतर उन्हें करीब 11 गालियां देते चले गए। बिधूड़ी ने भरे सदन में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सांसद के लिए आपत्तिजनक और अभद्र भाषा इस्तेमाल किया। आइए, जानते हैं कि दानिश अली कौन हैं:
वह मूलरूप से उत्तर प्रदेश (यूपी) के हापुड़ के रहने वाले हैं। फिलहाल 48 बरस के अली ने दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया (जेएमआई) से अपनी पढ़ाई की है। अपने छात्र जीवन से ही वह राजनीति में सक्रिय रहे थे। खासकर जिन मसलों और चीजों में वह यकीन रखते हैं, उन पर वह मुखर होकर अपनी बात रखते रहे हैं। ऐसा माना जाता है कि जेएमआई में पढ़ाई के दौरान युवा जनता दल के साथ छात्र जनता दल के अध्यक्ष के रूप में उनका कार्यकाल अली को जेडी(एस) की ओर ले गया था।
हालांकि, बसपा में जाने के बाद से अली ने अपना कब्जा जमा रखा है। ऐसी पार्टी में जहां पहला और आखिरी शब्द मायावती का ही होता है, वहां वह मुद्दों पर अपने मन की बात कहने के लिए जाने जाते हैं। चाहे वह अपने निर्वाचन क्षेत्र में हों या दिल्ली में...वह काफी तेजी से राष्ट्रीय राजनीति में बसपा के अल्पसंख्यक चेहरे के रूप में उभरे हैं। कुछ समय के लिए अली ने लोकसभा में 10 सदस्यीय बसपा विधायक दल का नेतृत्व भी किया था।
पार्टी लाइनों से परे संबंधों के लिए जाने जाने वाले अली ने पिछले ही महीने विपक्षी गठजोड़ इंडिया की बैठक से पहले बिहार में जनता दल (यूनाइटेड) यानी जेडीयू नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात कर हलचल मचा दी थी। चूंकि, बसपा 'इंडिया' ब्लॉक का हिस्सा नहीं है। बाद में अली ने साफ किया कि था यह दौरा निजी था। वह नीतीश को उनके छात्र नेता के दिनों से जानते हैं।
साल 2017 में कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान अली का नाम सुर्खियों में छाया था। वही तब जनता दल (सेक्युलर) यानी जेडी(एस) और कांग्रेस के चुनाव बाद गठजोड़ के पीछे अहम चेहरा बताए गए थे। जेडीए(एस) सुप्रीमो एचडी देवगौड़ा के वह विश्वसनीय माने जाते थे और उन्हें तब पांच सदस्यों वाली गठबंधन समन्वय और निगरानी समिति में नामित किया गया था। आगे 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान वह यूपी की पूर्व सीएम मायावती के नेतृत्व वाली बसपा के टिकट से अमरोहा (यूपी) से चुनाव में खड़े हुए तब उन्होंने कहा था कि ऐसा जेडी(एस) नेतृत्व की सहमति से हुआ।
अपना पहला चुनाव होने और सूबे में भाजपा की भारी जीत के बाद भी अली ने अमरोहा (ऐसा निर्वाचन क्षेत्र, जहां मुसलमानों का प्रभुत्व है और बड़ी संख्या में दलित रहते हैं) से बड़ी जीत हासिल की थी। उन्होंने लगभग 51% वोट हासिल कर बीजेपी सांसद कुंवर सिंह तंवर को 63,000 वोटों के अधिक के अंतर से हराया था। पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च डेटा के मुताबिक, अली सक्रिय सांसद हैं, जो सदन में 98% मौजूदगी दर्ज करते हैं और राष्ट्रीय औसत से कहीं अधिक बहसों में हिस्सा लेते हैं।
दरअसल, गुरुवार (21 सितंबर, 2023) को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद रमेश बिधूड़ी ने नई संसद के निचले सदन लोकसभा में अली के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया था। अगले रोज (22 सितंबर, 2023) वह बोले कि अगर सदन में आपत्तिजनक टिप्पणियां करने के लिए बिधूड़ी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती है तो वह भारी मन से सदन की सदस्यता छोड़ने पर भी विचार कर सकते हैं। जब एक संसद सदस्य के साथ संसद के भीतर ऐसा हो सकता है तो एक आम नागरिक और एक मुसलमान के साथ क्या हो रहा होगा।
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