कौन हैं अल्फ्रेड टायरोन कुक? जिन्हें इंडियन एयरफोर्स ने भारत-पाक युद्ध 1965 के लिए किया सम्मानित

IAF Honours Lieutenant Alfred Tyrone Cooke: 7 सितंबर, 1965 को सुबह के लगभग 10:30 बजे थे। उस दिन कलाईकुंडा हवाई अड्डे से वह कुक की तीसरी उड़ान थी। वो करीब 20,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ रहे थे। इसी बीच उन्हें कलाईकुंडा बेस पर पाकिस्तानी एयरफोर्स के हमले को नाकाम करने का ग्राउंड कंट्रोल से आदेश मिला।

Alfred Tyrone Cooke

लेफ्टिनेंट अल्फ्रेड टायरोन कुक को IAF ने किया सम्मानित।

Indian Air Force News: साल 1965 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध में एक जांबाज योद्धा लेफ्टिनेंट अल्फ्रेड टायरोन कुक को भारतीय वायु सेना (आईएएफ) ने बुधवार को युद्ध में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया। नकली हवाई युद्ध (Mock Air Combat) का एक हवाई प्रदर्शन आयोजित किया गया जिसमें दिखाया गया कि 1965 के युद्ध के दौरान कलाईकुंडा बेस को कैसे बचाया गया था।

अल्फ्रेड टायरोन कुक ने जाहिर की खुशी

कार्यक्रम में विमान और उपकरणों का एक प्रदर्शन किया गया, जिसमें गोला-बारूद के साथ छोटे से लेकर बड़े विमान भी दिखाए गए। इस मौके पर बोलते हुए, लेफ्टिनेंट अल्फ्रेड टायरोन कुक ने कहा कि यह उनके लिए एक भावुक पल था, क्योंकि उन्होंने अपने जीवन के सात साल कलाईकुंडा वायु सेना अड्डे पर बिताए थे। लेफ्टिनेंट कुक ने कहा कि 'अपने पुराने शिकारी विमान (Old Hunter Aircraft) से मिलकर बहुत अच्छा लगा, जिसे मैं उड़ाता था। 1968 में मैंने इसे आखिरी बार उड़ाया था। यहां वापस आकर और लड़कों को मेरे लिए फ्लाईपास्ट करते हुए देखकर अच्छा लगा। मैं भावुक हो गया क्योंकि मैंने इसे खुद किया था। मेरी आंखों में आंसू हैं, वापस आकर अच्छा महसूस हो रहा है। मैंने अपने जीवन के सात साल यहां बिताए हैं और आज मैं घर वापस आ गया हूं।'

कलाईकुंडा बेस को बचाने के लिए दिया जाता है श्रेय

लेफ्टिनेंट अल्फ्रेड टायरोन कुक को 1965 में कलाईकुंडा बेस को पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से बचाने का श्रेय दिया जाता है। उन्हें उसी वर्ष वीर चक्र से सम्मानित किया गया था। युद्ध की शुरुआत 24 अप्रैल, 1965 को हुई, जब पाकिस्तानी सेना ने कच्छ के रण में भारतीय क्षेत्र पर हमला किया और भारतीय क्षेत्र में कई मील अंदर तक घुस आई। भारतीय क्षेत्र पर अवैध कब्जे की ये करतूत साल 1960 के भारत-पाक सीमा समझौते का उल्लंघन था।

7 सितंबर 1965 को कुक ने किया था ऐसा

कुक 65 के युद्ध के दौरान नंबर 14 स्क्वाड्रन फ्लाइंग हंटर्स के साथ पूर्वी क्षेत्र में सेवारत थे। कलाईकुंडा में स्थित, कुक एफजी ऑफ एससी मैमगैन के साथ एक सीएपी उड़ा रहे थे, जब ग्राउंड कंट्रोल ने उन्हें फोर सेबर के आने वाले पाकिस्तानी एयर फोर्स के हमले को रोकने का निर्देश दिया। 7 सितंबर, 1965 को सुबह के लगभग 10:30 बजे थे। उस दिन कलाईकुंडा हवाई अड्डे से वह कुक की तीसरी उड़ान थी। वो करीब 20,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ रहे थे। उन्हें सीमा पार करने की इजाजत नहीं थी। जैसा कि पाकिस्तान की ओर (पूर्वी पाकिस्तान) से पता चला था और बताया गया था कि कलाईकुंडा पर हमला हुआ था। इसके कुक ने बाद एक हमलावर सेबर को मारा और नष्ट कर दिया, जिसे एफजी ऑफ अफजल खान उड़ा रहा था, जो दुर्घटना में मारा गया था। भारतीय वायुसेना ने एक सेबर को नष्ट करने का श्रेय कुक को दिया।

एयरफोर्स के अधिकारियों ने कुक के लिए क्या कहा?

विंग कमांडर हिमांशु तिवारी, पीआरओ रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को कहा, 'हम यहां फ्लाइंग लेफ्टिनेंट अल्फ्रेड टायरोन कुक को सम्मानित करने के लिए एकत्र हुए हैं, जिन्हें कलाईकुंडा के रक्षक के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि 1965 के युद्ध में उन्होंने इस विशेष क्षेत्र को पाकिस्तान से बचाया था। हम इसे फिर से बनाने की कोशिश कर रहे हैं। यह दिखाने के लिए कि कैसे उन्होंने पाकिस्तानी विमान के हमले को रोका और हवाई क्षेत्र को बचाया, वही परिदृश्य है।'

कलाईकुंडा के एयर ऑफिसर कमांडिंग रण सिंह ने कहा है कि कलाईकुंडा बेस भारतीय वायु सेना के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण बेस है क्योंकि यहां कई नए पायलटों को प्रशिक्षित किया जाता है। यह भारतीय वायु सेना और पूर्वी वायु कमान का एक बहुत ही अहम बेस है। यहां लड़ाकू विमान उड़ाने वाले पायलट प्रशिक्षण लेते हैं ताकि हम दुश्मन की किसी भी चुनौती से निपटने के लिए अच्छे पायलट तैयार कर सकें। रण सिंह ने कहा, "वायु सेना के पास जितने भी विमान हैं। आज हम बहुत आधुनिक तकनीक के विमान तैनात कर रहे हैं। इससे हम हवा के साथ-साथ जमीन पर भी दुश्मन को मार सकेंगे, जिससे कोई कलाईकुंडा के पास आकर कोई नुकसान नहीं पहुंचा सके।"

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | देश (india News) और चुनाव के समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से |

टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल author

अक्टूबर 2017 में डिजिटल न्यूज़ की दुनिया में कदम रखने वाला टाइम्स नाउ नवभारत अपनी एक अलग पहचान बना चुका है। अपने न्यूज चैनल टाइम्स नाउ नवभारत की सोच ए...और देखें

End of Article

© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited