कौन है द रेजिस्टेंस फोर्स जिसने जम्मू कश्मीर डीजी जेल की हत्या की ली जिम्मेदारी

द रेजिस्टेंस फोर्स को लश्कर के आतंकी चलाते हैं। जम्मू कश्मीर में यह आतंकी संगठन अनुच्छेद 370 के हटाए जाने के बाद अस्तित्व में आया।

गृहमंत्री अमित शाह के दौरे से ठीक पहले जम्मू कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (जेल ) हेमंत कुमार लोहिया की केचप के बोतल के जरिए हत्या कर दी गई। पहली नजर में उनके घरेलू सहायक जसीर पर पुलिस को शक गया। लेकिन अब द रेजिस्टेंस फोर्स ने इस हत्याकांड की जिम्मेदारी ली है जिसके बाद अब यह साफ हो चुका है कि डीजी जेल की हत्या आतंकी वारदात है। अब सवाल यह है कि टीआरएफ का जन्म कब हुआ और उसके कर्ताधर्ता कौन हैं। दरअसल 2019 में जम्मू-कश्मीर से जब अनुच्छेद 370 और 35 ए को हटाया गया तो यह आतंकी संगठन अस्तित्व में आया। सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों के मुताबिक लश्कर से तैय्यबा के कोर कमांडर इस संगठन को चलाते हैं जिनका मकसद जम्मू कश्मीर को अशांत रखना है।

क्या है टीआरएफ

टीआरएफ जम्मू-कश्मीर के उग्रवाद के स्पेक्ट्रम में हाल ही में प्रवेश किया है। सुरक्षा बलों का मानना है कि 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र के कदम के बाद इसे मंगाया गया था।बड़े कदम के बाद सरकार ने लोगों और संचार पर गंभीर प्रतिबंध लगा दिए थे। ध्यान पूरी तरह से कानून और व्यवस्था की स्थिति को नियंत्रित करने पर था और नई दिल्ली द्वारा लिए गए निर्णय की प्रतिक्रिया के रूप में किसी भी नागरिक अशांति को नहीं होने देना था। महीनों की नाकेबंदी के बाद, प्रतिबंधों को धीरे-धीरे हटा लिया गया।इस बीच, यह माना जाता है कि सीमा पार के संचालकों ने लश्कर और अन्य आतंकवादी समूहों के कैडर का उपयोग करके टीआरएफ को तैरने की योजना तैयार की। अगस्त 2019 में हुए परिवर्तनों की प्रतिक्रिया के रूप में आतंकवाद से संबंधित गतिविधियों को बढ़ाने की योजना थी। ध्यान देने वाली बात यह है कि 1990 के दशक में जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के बाद पहली बार किसी आतंकवादी संगठन को गैर-धार्मिक नाम दिया गया था।

शहादत नहीं जाने देंगे बेकार

टीआरएफ का कहना है कि उसके स्पेशल स्क्वॉड ने पुख्ता जानकारी के बाद इस हत्याकांड को अंजाम दिया। यह गृहमंत्री को उनके जम्मू कश्मीर दौरे से पहले छोटा सा तोहफा है। टीआरएफ का कहना है कि फैसला उसके हाथ में है जब चाहे वो फैसला कर सकता है यही नहीं आतंकी वारदात का सिलसिला आगे भी जारी रहेगा। सुरक्षाबलों का कहना है कि शहादत बेकार नहीं जाएगी।

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