Independence Day: 1947 से पहले भारत पर पिछले 200 सालों में किसका शासन रहा?
Independence Day: भारत को 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों से आजादी मिली। अंग्रेजों ने 200 साल तक शासन किया। हालांकि, 1947 से पहले तक भारत पर सिर्फ अंग्रेजों का ही शासन नहीं रहा, बल्कि अंग्रेजों के अलावा कई अन्य शासकों ने अंग्रेजी हुकूमत के साथ-साथ अलग-अलग हिस्सों पर शासन किया।
फाइल फोटो।
Independence Day: भारत पर अलग-अलग समय में कई शासकों ने राज किया है। इसका एक लंबा इतिहास है। अगर हम देश की आजादी के 200 साल पहले का इतिहास देखें कि इस दौरान भारत के अलग-अलग हिस्सों पर किसका-किसका शासन रहा है, तो इसकी भी लंबी सूची है। आइए, हम इस पर नजर डालते हैं कि करीब 18वीं सदी से भारत पर अंग्रेजों के अलावा किसने शासन किया। जैसा कि हम सब जानते हैं कि 18वीं सदी की शुरुआत में दिल्ली पर अंग्रेजों ने पूरी तरह से कब्जा कर लिया था। इसके बाद 1947 तक शासन किया और 15 अगस्त, 1947 को देश को आजादी मिलने के बाद दिल्ली छोड़ा। इसके बाद देश में लोकतंत्र की स्थापना हुई।
पुडुचेरी
पुडुचेरी के समृद्ध व्यापार ने फ्रांसीसी को काफी आकर्षित किया। इसके बाद फ्रांसीसी ने शहर को ओर रुख किया और 1674 में यहां एक फ्रांसीसी बस्ती बसाई गई थी। हालांकि, 1693 में पुडुचेरी पर डचों ने कब्जा कर लिया था, लेकिन बाद में 1699 में रिजविक की संधि के बाद फ्रांसीसी का कब्जा हो गया। इसके बाद फ्रांसीसी ने 1720 में माहे, 1731 में यनम और 1738 में कराईकल को अपने कब्जे में ले लिए। इसके बाद इन क्षेत्रों पर फ्रांसीसी का कब्जा रहा और 31 अक्टूबर, 1954 को वह भारत से वापस चले गए।
गोवा
जब अंग्रेज 1803 में दिल्ली पर पूरी तरह से शासन स्थापित कर चुका था, तब भी कुछ क्षेत्र ऐसे थे जो अंग्रेज के अधीन नहीं था। इनमें गोवा भी शामिल है। गोवा पर पुर्तगालियों ने 451 वर्षों तक राज किया और अंग्रेज से भारत को 1947 में आजादी मिलने के बाद भी गोवा पर पुर्तगालियों का शासन रहा, लेकिन 19 दिसंबर 1961 को गोवा भी आजाद हो गया और यहां से पुर्तगालियों का शासन खत्म हो गया।
कुमाऊं
गोवा और पुडुचेरी की तरह ही कुमाऊं भी एक ऐसा क्षेत्र रहा, जिस पर अंग्रेजी शासन काल के दौरान भी किसी और का कब्जा रहा। कुमाऊं क्षेत्र में 1790 तक चंद राजाओं का शासन रहा, लेकिन इसके बाद नेपाल की गोरखा सेना ने 1790 में कुमाऊं क्षेत्र पर अपना कब्जा स्थापित कर लिया और इस क्षेत्र पर गोरखाओं का 1790 से लेकर 1815 तक शासन रहा। इसके बाद अंग्रेज ने इसे ईस्ट इंडिया कंपनी के अधीन कर लिया। यानी कि 1815 के बाद इस क्षेत्र पर भी अंग्रेजों का शासन रहा और भारत की आजादी के साथ ही यह इलाका भी आजाद हो गया।
बंगाल का चंदन नगर
पश्चिम बंगाल के हुगली नदी के तट पर बसा ये शहर कभी फ्रांसीसी के अधीन रहा था। ये भी उस वक्त की बात है, जब भारत के काफी हिस्सों पर अंग्रेजों का शासन था। यह शहर 'फ्रांसीसी भारत' की पांच बस्तियों में से एक था। भारत को 1947 में आजादी मिलने के बाद 1948 में यहां जनमत संग्रह करवाया गया, जिसमें 97 प्रतिशत लोग भारत के साथ जाना चाहते थे, जिसके बाद दो फरवरी, 1951 को आधिकारिक तौर पर चंदन नगर को भारत सरकार के हवाले कर दिया गया और नौ जून, 1952 को इसका कानूनी हस्तांतरण हुआ। इसके बाद दो अक्टूबर, 1954 को चंदन नगर को पश्चिम बंगाल में शामिल कर लिया गया।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | देश (india News) और बजट 2024 (Union Budget 2024) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से |
देवशंकर चौधरी मार्च 2024 से Timesnowhindi.com के साथ करियर को आगे बढ़ा रहे हैं और बतौर कॉपी एडिटर...और देखें
© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited