कौन थे CPI के इंद्रजीत गुप्ता, जिनके नाम दर्ज है सबसे लंबे समय तक सांसद रहने का रिकॉर्ड, PM ने आज किया याद
इंद्रजीत गुप्ता का जन्म पश्चिम बंगाल में हुआ था। उनके दादा, बिहारी लाल गुप्ता बड़ौदा के दीवान थे और उनके बड़े भाई, रणजीत गुप्ता पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव थे।
इंद्रजीत गुप्ता- भारत के सबसे लंबे समय तक सांसद रहने वाले नेता
पीएम मोदी ने संसद के विशेष सत्र के दौरान आज जब इंद्रजीत गुप्ता का नाम लिया तो हर कोई उनके बारे में जानने के लिए उत्सुक हो गए। आखिर कौन थे इंद्रजीत गुप्ता, जिनके नाम ऐसे रिकॉर्ड हैं, जिसे आजतक बड़े से बड़े नेता भी नहीं तोड़ पाए हैं।
कौन थे इंद्रजीत गुप्ता
इंद्रजीत गुप्ता का जन्म पश्चिम बंगाल में हुआ था। उनके दादा, बिहारी लाल गुप्ता बड़ौदा के दीवान थे और उनके बड़े भाई, रणजीत गुप्ता पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव थे। उनके पिता, सतीश चंद्र गुप्ता भारत के महालेखाकार थे और 1933 में केंद्रीय विधान सभा के सचिव के रूप में सेवानिवृत्त हुए।
पढ़ाई के बाद राजनीति में उतरे
बालीगंज सरकार में अपनी स्कूली शिक्षा के बाद इंद्रजीत गुप्ता आगे की पढ़ाई के लिए शिमला चले गए, जहां उनके पिता तैनात थे, वहां के बाद गुप्ता ने सेंट स्टीफंस कॉलेज, दिल्ली में पढ़ाई की और बाद में किंग्स कॉलेज कैम्ब्रिज चले गए। इंग्लैंड में पढ़ाई के दौरान वह रजनी पाल्मे दत्त के प्रभाव में आये और कम्युनिस्ट आंदोलन में शामिल हो गये। वह 1938 में किसानों और श्रमिकों के आंदोलन में शामिल होने के लिए कलकत्ता लौट आए। उन्हें न केवल अपनी कम्युनिस्ट गतिविधियों के लिए जेल जाना पड़ा। 1948-50 के दौरान जब भारत में कम्युनिस्टों पर कार्रवाई हुई तो वह भूमिगत हो गए।
1960 में पहुंचे पहली बार संसद
गुप्ता 1960 में पहली बार एक उप-चुनाव में जीते और भारत की संसद के निचले सदन लोकसभा पहुंचे। इसके बाद, 1977 से 1980 तक की छोटी अवधि को छोड़कर, वह अपनी मृत्यु तक सदस्य रहे। बाद के वर्षों में, लोकसभा के सबसे उम्रदराज सदस्य होने के परिणामस्वरूप उन्होंने 1996, 1998 और 1999 में प्रोटेम स्पीकर के रूप में भी कार्य किया। 1996 से 1998 तक, उन्होंने एच. डी. देवेगौड़ा और आई. के. गुजराल की संयुक्त मोर्चा सरकार में केंद्रीय गृह मंत्री भी रहे थे। इंद्रजीत गुप्ता भारतीय संसद के निचले सदन लोकसभा के लिए ग्यारह बार चुने जाने वाले सबसे लंबे समय तक संसद में रहने वाले सदस्य थे। इंद्रजीत गुप्ता सिर्फ एक बार चुनाव में हारे थे। वो भी 1977 में, जब सीपीआई द्वारा आपातकाल का समर्थन करने के बाद वो चुनावी मैदान में थे, जहां अशोक कृष्ण दत्त से हार गए थे।
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शिशुपाल कुमार author
पिछले 10 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते हुए खोजी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र...और देखें
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