मालवीय जयंती: महात्मा गांधी भी थे जिनके 'पुजारी', जानिए उस महान नेता की कहानी

Who was Madan Mohan Malviya: पंडित मदन मोहन मालवीय का जन्म 25 दिसंबर 1861 को इलाहाबाद में पंडित ब्रजनाथ और भूनादेवी के घर ब्राह्मण परिवार में हुआ था. वह अपने माता-पिता की 7 संतानों में से पांचवी संतान थे.

तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है। (फाइल)

Who was Madan Mohan Malviya: भारत रत्न महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की 25 दिसंबर को जयंती पड़ती है। राजनीति, आधुनिक शिक्षा, समाज सेवा, वकालत, पत्रकारिता और लेखन.. अगर किसी व्यक्ति ने भारत के इतिहास में इतने सारे क्षेत्रों में योगदान दिया है तो वो नाम सिर्फ पंडित मदन मोहन मालवीय का ही है।
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पंडित मदन मोहन मालवीय का जन्म 25 दिसंबर 1861 को इलाहाबाद में पंडित ब्रजनाथ और भूनादेवी के घर ब्राह्मण परिवार में हुआ था. वह अपने माता-पिता की 7 संतानों में से पांचवी संतान थे. मालवीय जी ने अपना उपनाम ‘चतुर्वेदी’ से बदलकर ‘मालवीय’ रख लिया था क्योंकि उनके पूर्वज मालवा से इलाहाबाद आये थे। मदन मोहन मालवीय की शादी 16 साल की उम्र में मीरजापुर के पंडित नन्दलाल की पुत्री कुन्दन देवी के साथ हो गई थी।
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महामना के 'पुजारी' थे गांधी

महामना के व्यक्तित्व का प्रभाव गांधी जी और कांग्रेस के अन्य बड़े नेताओं पर तो था ही, कई ब्रिटिश वायसराय तक उनसे बहुत प्रभावित थे। भारत के दूसरे राष्ट्रपति डॉ. एस. राधाकृष्णन ने उन्हें 'कर्मयोगी' का दर्जा दिया था। महात्मा गांधी ने यंग इंडिया के एक अंक में उनके बारे में लिखा था- 'जब मैं भारत आया तो तिलक जी के पास गया, तिलक मुझे हिमालय की तरह विशाल लगते थे. जब मुझे लगा कि मेरे लिए इतना ऊंचा चढ़ पाना संभव नहीं होगा तो मैं गोखले के पास गया. वो मुझे एक गहरे समुद्र की तरह लगे। मुझे लगा कि मेरे लिए इतना गहरे उतर पाना संभव नहीं है। अंत में मैं मालवीय जी के पास गया, वो मुझे गंगा की निर्मल धारा की तरह लगे और मैंने तय किया कि मैं उस पवित्र धारा में डुबकी लगा लूं. मेरे चरित्र में दाग हो सकता है मगर मदन मोहन मालवीय बेदाग हैं, सुबह-सुबह उन्हें याद करने से आदमी स्वार्थ के दलदल से निकल सकता है। मैं मालवीय जी का पुजारी हूं और एक पुजारी अपने इष्टदेव के बारे में क्या लिख सकता है? वह जो भी लिखेगा वह अपूर्ण होगा।'
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