जानिए कौन थे वीर सावरकर जिन पर बयान देकर फंसे राहुल, क्या है उनसे जुड़ा विवाद

सावरकर से जुड़ा सबसे बड़ा विवाद 1921 में अंडमान में कुख्यात सेलुलर जेल में कैद होने के बाद कथित रूप से अंग्रेजों से माफी मांगने का है। इसी को लेकर कांग्रेस उन्हें निशाना बनाती रही है।

वीर सावरकर (Twitter)

Veer Savarkar: आपराधिक मामले में दो साल की सजा सुनाए जाने के बाद राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता चली गई है। इसे लेकर सरकार और विपक्ष में सियासी संग्राम मचा हुआ है। सजा पाने के बाद राहुल ने बयान दिया कि वह सावरकर की तरह माफी नहीं मांगेंगे। इसे लेकर अब तक राहुल का साथ दे रहे उद्धव ठाकरे की शिव सेना ने ही उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। आइए जानते हैं वीर सावरकर और उनसे जुड़े विवाद के बारे में।

इसलिए पड़ा वीर सावरकर नाम

विनायक दामोदर सावरकर का जन्म 1883 में भागपुर, नासिक गांव में एक ब्राह्मण हिंदू परिवार में हुआ था। वह अपनी बहादुरी के लिए जाने जाते थे और इसी के कारण था कि उन्हें 'वीर' कहकर बुलाया जाने लगा। सावरकर अपने बड़े भाई गणेश से बहुत प्रभावित थे और उनसे प्रेरणा लेते थे। भाई गणेश का सावरकर के जीवन में बहुत अधिक प्रभाव पड़ा। वीर सावरकर ने 'मित्र मेला' के नाम से एक संगठन की स्थापना की जिसने लोगों को भारत की पूर्ण राजनीतिक स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया।

उन्होंने फर्ग्यूसन कॉलेज, पुणे, महाराष्ट्र से बैचलर ऑफ आर्ट्स की पढ़ाई पूरी की थी। उन्हें इंग्लैंड में लॉ की पढ़ाई करने का प्रस्ताव मिला और उन्हें स्कॉलरशिप की पेशकश भी की गई थी। श्यामजी कृष्ण वर्मा ने उन्हें इंग्लैंड भेजने और पढ़ाई को आगे बढ़ाने में मदद की थी। उन्होंने वहां ग्रेज इन लॉ कॉलेज में दाखिला लिया और इंडिया हाउस में रहने लगे। लंदन में वीर सावरकर ने अपने साथी भारतीय छात्रों को स्वतंत्रता के लिए प्रेरित किया और अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए 'फ्री इंडिया सोसाइटी' का गठन किया।

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