कर्नाटक का सीएम कौन, जानें कैसे डीके शिवकुमार पर भारी पड़ते दिख रहे हैं सिद्धारमैया

Siddaramaiah vs DK Shivkumar: कर्नाटक चुनाव नतीजों से साफ है कि जनता का साथ कांग्रेस के हाथ को मिला। लेकिन कर्नाटक का ताज किसके सिर पर सजेगा इसका फैसला विधायक दल की बैठक में होना है। सिद्धारमैया-डीके शिवकुमार में कड़ी टक्कर बताई जा रही है।

मुख्य बातें
  • वरुना सीट से सिद्धारमैया की जीत
  • कनकपुरा से डीके शिवकुमार की जीत
  • कर्नाटक में कांग्रेस को 136 सीट

Siddaramaiah vs DK Shiv kumar: शनिवार को दोपहर तक यह साफ हो चुका था कि कर्नाटक की जनता ने छप्पर फाड़कर कांग्रेस को वोट दिया है। सीटों की संख्या इशारा कर रही थी कि अब कांग्रेस के विजय रथ को रोक पाने की कुवत बीजेपी या जेडीएस में नहीं हैं। देर शाम तक जब पूरे नतीजे घोषित किए गए तो कांग्रेस के 136 निर्वाचित विधायकों के बेंगलुरु पहुंचने का दौरा शुरू हो गया। दरअसल मामला सिर्फ जीत तक ही सीमित नहीं है। फैसला इस बात का भी होना है कि सीएम कौन। इस समय कर्नाटक में सीएम (who will be karanataka cm)पद के लिए दो दावेदार सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार हैं।

अंतिम फैसला तो आलाकमान के हाथ

सिद्धारमैया के बेटे ने बीच काउंटिंग में ही साफ तौर कह भी दिया था कि कर्नाटक के हित में सीएम उनके पिता को बनाया जाना चाहिए। जब इसी तरह का सवाल डी के शिवकुमार से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सीएम पद मसला नहीं है, हम लोग बंपर तरीके से जीत रहे हैं और इसका पूरा श्रेय सोनिया गांधी और राहुल गांधी का है। इस तरह से उन्होंने भी बहुत कुछ कह दिया। इसी विषय पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा विधायकों की राय पर अंतिम फैसला आलाकमान करेगा। इन सबके बीच विधायक दल की बैठक रविवार शाम पांच बजे होने जा रही है। इस बीच कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार कहते हैं, "मैं अपने आध्यात्मिक गुरु अजजय्या से मिलने नॉनविनकेरे जा रहा हूं। मैंने कहा था कि हमारी संख्या 136 होगी। कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस को 135 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत मिला है

सिद्धारमैया इस लिय पड़ रहे हैं भारी !

अब यहां सवाल है कि सीएम की रेस में सिद्दारमैया और डी के शिवकुमार पर कौन भारी पड़ रहा है। इस विषय में जानकार कहते हैं कि अगर आप सिद्धारमैया के कद को देखें तो वो निश्चित तौर पर डी के शिवकुमार से आगे हैं, जिस समाज से आते हैं वो कांग्रेस का वोटबैंक रहा है। इस चुनाव में दलित समाज ने जबरदस्त समर्थन दिया है लिहाजा उनके दावे को आसानी से खारिज नहीं किया जा सकता है।

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