ओडिशा विधानसभा से 12 विधायकों का क्यों हुआ निलंबन? सड़कों पर प्रदर्शन जारी; कांग्रेस ने सरकार को बताया तानाशाह
Odisha Politics: ओडिशा में कांग्रेस के कार्यकर्ता और नेता कल रात विधानसभा परिसर से निकाले जाने के बाद अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखे हुए हैं। सड़कों पर कांग्रेस नेताओं का अनोखे अंदाज में प्रदर्शन जारी है। वहीं अजय कुमार लल्लू ने विधायकों के निलंबन के मुद्दे पर ओडिशा सरकार की खिंचाई की और कहा कि "यह तानाशाही है"।

ओडिशा में कांग्रेस विधायकों के निलंबन के बाद गरमाई सियासत।
कांग्रेस ने भुवनेश्वर में ओडिशा विधानसभा से 12 विधायकों के निलंबन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। युवा कांग्रेस द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शन में प्रदेश अध्यक्ष भक्त चरण दास और ओडिशा प्रभारी अजय कुमार लल्लू भी शामिल हुए। कांग्रेस नेताओं ने विधानसभा परिसर के बाहर विरोध प्रदर्शन किया और बाद में उन्हें कांग्रेस भवन ले जाया गया।
अजय कुमार लल्लू ने ओडिशा सरकार पर किया तीखा हमला
कांग्रेस ओडिशा प्रभारी अजय कुमार लल्लू ने सीएलपी के घायल होने का आरोप लगाया और कहा कि उनके साथ गलत व्यवहार किया गया। इसके अलावा, लल्लू ने ओडिशा सरकार पर तीखा हमला किया और आरोप लगाया कि राज्य में 64000 महिलाएं लापता हो गई हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि नाबालिग लड़कियां गर्भवती हो रही हैं और स्कूल जाने वाली लड़कियां सरकारी आवासों में बच्चों को जन्म दे रही हैं। अजय कुमार लल्लू ने कहा, 'मैंने सीएलपी से बात की है, उनके हाथों पर चोटें हैं। उनके साथ मारपीट की गई... यह तानाशाही है... कोलकाता की घटना (आरजी कर बलात्कार और हत्या मामले) के लिए राष्ट्रपति ने इसकी निंदा करते हुए एक ट्वीट किया, लेकिन ओडिशा में 64000 महिलाएं लापता हो गई हैं, हर दिन सामूहिक बलात्कार हो रहे हैं, नाबालिग लड़कियां गर्भवती हो रही हैं और स्कूल जाने वाली लड़कियां सरकारी आवासों में बच्चों को जन्म दे रही हैं और राष्ट्रपति ने इस बारे में एक शब्द भी नहीं कहा है। हमारे विधायक इस पर चर्चा की मांग कर रहे थे... हम लड़ाई जारी रखेंगे...'
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने सरकार पर लगाया गंभीर आरोप
इसके अलावा, कांग्रेस ओडिशा के अध्यक्ष भक्त चरण दास ने आरोप लगाया कि उन्हें गिरफ्तार किया जा रहा है। दास ने कहा कि इलाके में धारा 144 लागू है, जिसके कारण उन्होंने अपनी संख्या 5 लोगों से घटाकर 4 कर दी है और इसलिए उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए। भक्त चरण दास ने एएनआई से कहा, 'धारा-144 के अनुसार, हमने अपनी संख्या पांच से घटाकर चार कर दी है और तकनीकी रूप से हमें गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए। हमने उनसे एक नेता को अनुमति देने का अनुरोध किया था, लेकिन वे ऐसा भी नहीं कर रहे हैं। अब हमें गिरफ्तार किया जा रहा है। हमारी सीएलपी भी घायल हुई है...'
विधायकों को सात दिनों के लिए क्यों किया गया निलंबित?
ओडिशा विधानसभा अध्यक्ष सुरमा पाधी ने सदन के वेल में विरोध प्रदर्शन करने के बाद "अनुशासनहीनता, अध्यक्ष का अनादर करने और नियमों का उल्लंघन करने" के आरोप में 12 कांग्रेस विधायकों को सदन से सात दिनों के लिए निलंबित कर दिया। इसे के बाद भुवनेश्वर कांग्रेस भवन के बाहर ओडिशा कांग्रेस के कार्यकर्ता और नेता विधानसभा परिसर से निकाले जाने के बाद भी अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखे हुए हैं।
सदन में 'अनुशासनहीनता' के आरोप में इन 12 विधायकों पर कार्रवाई
ओडिशा विधानसभा की अध्यक्ष सुरमा पाढ़ी ने कांग्रेस के 12 विधायकों को सदन में ‘‘अनुशासनहीनता’’ के आरोप में मंगलवार को सात दिन के लिए निलंबित कर दिया। कांग्रेस विधायकों के खिलाफ यह कार्रवाई सदन में सरकार के मुख्य सचेतक सरोज प्रधान द्वारा पेश प्रस्ताव को स्वीकार किए जाने के बाद की गई। निलंबित विधायकों में कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) के नेता राम चंद्र कदम, सागर चरण दास, मंगू खिल्ला, सत्यजीत गोमांगो, अशोक कुमार दास, दशरथी गामांगो और सोफिया फिरदौस शामिल हैं।
हालांकि, दो अन्य कांग्रेसी विधायकों - ताराप्रसाद बहिनीपति और रमेश जेना को निलंबित नहीं किया गया क्योंकि घोषणा के समय वे सदन में मौजूद नहीं थे। बहिनीपति को इससे पहले 11 मार्च को इसी आधार पर सात कार्य दिवसों के लिए निलंबित किया गया था। जैसे ही पाढ़ी ने यह फैसला सुनाया, कांग्रेस सदस्यों ने विरोध स्वरूप घंटा-घड़ियाल बजाते हुए विधानसभा में हंगामा शुरू कर दिया। निलंबित विधायकों ने सदन में आसन के सामने प्रदर्शन किया और भजन गाए, जबकि पाढ़ी ने उनसे विधानसभा खाली करने और धरना बंद करने का आग्रह किया। ओडिशा की मुख्य विपक्षी पार्टी बीजू जनता दल (बीजद) ने अध्यक्ष के कदम की निंदा की और इसे विधानसभा में विपक्ष की आवाज दबाने के लिए "प्रेरित" कदम बताया।
बहिनीपति ने कहा, 'कांग्रेस विधायकों को हमें डराने के लिए निलंबित किया गया है। हम कार्रवाई से नहीं डरेंगे। हम लड़ेंगे और किसी भी तरह से समझौता नहीं करेंगे।' ओडिशा प्रदेश कांग्रेस कमेटी (ओपीसीसी) अध्यक्ष भक्त चरण दास ने भी इस फैसले की आलोचना की और निलंबन आदेश को तत्काल वापस लेने की मांग की। दास ने कहा, 'हमने महिलाओं के खिलाफ अपराधों की जांच के लिए सदन की समिति के गठन की मांग की थी। और, उन्होंने कांग्रेस की आवाज दबाने का प्रयास किया। हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे।' हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही कई बार स्थगित करनी पड़ी।
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