अशोक गहलोत क्यों पड़ जाते हैं भारी, जानें- क्या हैं सचिन पायलट के सामने तीन विकल्प

Sachin Pilot News: 2018 में बीजेपी के खिलाफ सियासी लड़ाई में सचिन पायलट अव्वल रहे। लेकिन पार्टी के भीतर कुर्सी की लड़ाई में अशोक गहलोत भारी पड़े। 2020 में पायलट ने एक प्रयास जरूर करते नजर आए। लेकिन जादूगर गहलोत ने पटखनी दे दी। जनसंघर्ष पदयात्रा के जरिए सचिन पायलट एक बार फिर कोशिश कर रहे हैं।

Ashok Gehlot,Sachin Pilot

अशोक गहलोत और सचिन पायलट में अदावत पुरानी

Sachin Pilot News: राजस्थान में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव (Rajasthan Assembly Elections 2023)होने हैं। लेकिन उससे ठीक पहले सचिन पायलट ने अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। गुरुवार को उन्होंने जनसंघर्ष पदयात्रा का आगाज किया और कहा कि 2018 में जिन मुद्दों को लेकर हम जनता के बीच गए थे, उन मुद्दों को कहीं ना कहीं हम भूल बैठे। वो कहते हैं कि आखिर मुद्दा यही था कि वसुंधरा राजे सरकार के दौरान हुए भ्रष्टाचार की जांच कर कार्रवाई होगी। लेकिन आखिर क्या हुआ।जब वो इस तरह की बात कह रहे थे तो उनके निशाने पर कोई और नहीं बल्कि सीएम अशोक गहलोत थे। अशोक गहलोत(Ashok Gehlot) और सचिन पायलट के बीच तनातनी का मामला भी 2018 से ही है। जब राजस्थान में कांग्रेस सरकार बनाने में कामयाब हुई तो सीएम कौन होगा इसे लेकर कई दिनों जयपुर से दिल्ली तक उहापोह की स्थिति बनी रही। लेकिन बाजी गहलोत के हाथ लगी।

2020 में कोशिश रही थी नाकाम

2020 में सचिन पायलट ने शक्ति प्रदर्शन किया, हालांकि उन्हें कामयाबी नहीं मिली। अशोक गहलोत आलाकमान(Congress central leaders) को यह भरोसा दिलाने में कामयाब रहे कि किस तरह से बीजेपी की मदद से कांग्रेस की सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की गई जिसका जिक्र उन्होंने हाल में करते हुए कहा कि वसुंधरा राजे सिंधिया का नाम भी लिया। सचिन पायलट अब खुलकर मैदान में उतर चुके हैं। सवाल यह है कि अगर कांग्रेस का केंद्रीय कमान उनकी बातों को तरजीह नहीं देता है तो आगे का रास्ता क्या होगा।

क्या हैं सचिन पायलट के सामने विकल्प

इस मामले में जानकार कहते हैं कि सचिन पायलट भी इस तथ्य को समझते हैं कि कांग्रेस के बाहर उनकी राह इतनी आसान नहीं है। लेकिन कांग्रेस के अंदर भी उनके लिए घुटन जैसी स्थिति बनी हुई है। सचिन पायलट जितना अधिक अशोक गहलोत पर हमलावर होंगे पार्टी का उतना ही नुकसान होगा। इसे आप दबाव की राजनीति कह सकते हैं, ऐसा माना भी जाता है कि अगर कोई सियासी चेहरा राजनीतिक नब्ज को समझ पाने में कामयाब नहीं है तो उसका सफर आसान नहीं होगा। सचिन पायलट के सामने विकल्प क्या है, पहला विकल्प तो यह है कि वो बीजेपी(Rajasthan BJP) का हिस्सा बनें। लेकिन बीजेपी में पहले से ही स्थापित कई चेहरे हैं लिहाजा उनकी राजनीतिक मंशा कितनी पूरी होगी वो हमेशा सवालों और जवाबों के घेरे में रहेगा। दूसरा विकल्प यह कि वो अलग से किसी मंच का गठन करें, ऐसी सूरत में अगर उन्हें किसी तरह की राजनीतिक कामयाबी हासिल होती है तो वो सिर्फ दबाव तक ही सीमित होगी। तीसरा यह कि इस तरह के प्रयासों से वो कांग्रेस आलाकमान पर दबाव बनाकर खुद के लिए पार्टी में पुख्ता जगह बनाएं।

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ललित राय author

खबरों को सटीक, तार्किक और विश्लेषण के अंदाज में पेश करना पेशा है। पिछले 10 वर्षों से डिजिटल मीडिया में कार्य करने का अनुभव है।और देखें

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