Nitish Kumar : बिहार में इन दिनों ये खूब बात हो रही है कि नीतीश कुमार को बात-बात में गुस्सा क्यों आ जाता है। बुधवार को नीतीश कुमार को ऐसा गुस्सा आया कि वह विधानसभा में ही तू-तड़ाक और धमकाने वाले तेवर में आ गए। नीतीश कुमार को वैसे तो शांत स्वभाव वाला नेता माना जाता था। वो राजनैतिक विरोधियों के खिलाफ कोई बात भी करते थे, तो उसमें भी शालीनता होती थी, लेकिन जब से नीतीश कुमार ने पाला बदला है, तब से उनका पारा हाई रहता है। विधानसभा में वो जिस गुस्से में दिखे, वैसे गुस्से में आपने उन्हें कभी नहीं देखा होगा।
शराबबंदी नीति पर सवाल उठने पर भड़क जाते हैं
नीतीश कुमार को ये गुस्सा इसलिए आया क्योंकि उनकी फेवरेट शराबबंदी की नीति पर विधानसभा में सवाल उठाए गए और नीतीश कुमार से ये सहन नहीं हुआ। जबकि बिहार में लगातार ऐसे मामले आ रहे हैं, जिनमें जहरीली शराब से मौतें हो रही हैं। पिछले दो दिन में बिहार के छपरा में जहरीली शराब से करीब 20 लोगों की मौत हो गई। छपरा में जिन लोगों की जहरीली शराब पीने से मौत हुई, उनमें से कुछ ने सोमवार को और कुछ ने मंगलवार को जहरीली शराब पी थी। लोग अब नीतीश कुमार पर सवाल उठा रहे हैं कि बिहार में ये कैसे शराबबंदी है, जिसमें जहरीली शराब पीने से लोग मर रहे हैं।
आरजेडी पर कभी गुस्सा नहीं आया
अब जब छपरा में जहरीली शराब से मौतों की नई घटना हुई, और नीतीश कुमार पर सवाल किए जाने लगे, उन्हें विधानसभा में कुछ कह दिया गया तो उन्हें गुस्सा आ गया। जबकि ये वही नीतीश कुमार हैं, जिनके आरजेडी से हाथ मिलाने से पहले आरजेडी ने क्या क्या नहीं कहा था। तब नीतीश कुमार को गुस्सा नहीं आया। 2017 में लालू यादव ने नीतीश कुमार को पलटूराम कहा था। 2017 में तेजस्वी मे नीतीश को सबसे बड़ा झूठा कहा था। तेजस्वी ने कहा था कि नीतीश से बेशर्म सीएम देश में कोई नहीं है। इसी साल अप्रैल में तेजस्वी ने कहा था कि नीतीश कुमार ने बिहार को सर्कस बना दिया। अप्रैल में ही तेजस्वी ने कहा था कि नीतीश कुमार केवल उम्र काट रहे हैं, बीजेपी उन्हें ढो रही है। इस पर कभी नीतीश को गुस्सा नहीं आया।
बिहार में शराबबंदी फेल हो गई
लेकिन नीतीश कुमार गुस्से में क्यों हैं। इसे आप पहले जहरीली शराब वाले मामले से समझिए। कि शराबबंदी की नीति से नीतीश कुमार बिहार के सामाजिक मसीहा बनना चाहते थे। लेकिन उनकी शराबबंदी हो गई फेल। और अब जब सवाल उठ रहे हैं तो उन्हें गुस्सा आ रहा है। जबकि बिहार में शराबबंदी का सच ये है।
2022 में 70 से ज्यादा मौत हो चुकी हैं
अवैध शराब का कारोबार रुक नहीं रहा है, 2022 में अब तक 40 लाख लीटर अवैध शराब जब्त की जा चुकी है। शराबबंदी की वजह से अवैध और जहरीली शराब बिक रही है, जिससे मौत की कई जगहों पर घटनाएं हो चुकी हैं। दो साल में 170 से ज्यादा लोग मारे गए। शराबबंदी कानून की वजह से अदालतों पर बोझ बढ़ा, 2016 से अब तक 5 लाख से ज्यादा केस दर्ज हो चुके हैं। ऊपर से बिहार को सालाना 4 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। अब तक शराबबंदी से 40 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। बिहार की हालत ये है कि वहां जहरीली शराब से 2022 में 70 से ज्यादा मौत हो चुकी हैं। वहीं 2021 में 100 से ज्यादा मौत हुई थीं।