BJP ने ओडिशा में मोहन माझी पर क्यों खेला दांव, समझिए पार्टी की रणनीति, पर कामयाबी की गारंटी कितनी?

माझी एक गैर-विवादास्पद राजनेता हैं और उनका आरएसएस से गहरा संबंध है। चार बार भाजपा विधायक रहे माझी ने पार्टी को ओडिशा अभियान की रणनीति बनाने में मदद की है।

Mohan Majhi

Mohan Charan Majhi: भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर ओडिशा में नए चेहरे पर दांव खेलते हुए सभी को चौंकाया है। ओडिशा विधानसभा चुनाव में जीत के बाद हुए गहन मंथन के बाद मोहन चरण माझी को ओडिशा की कमान दी गई है। उनके नाम ने सभी को हैरत में डाल दिया। सीएम के रूप में आधा दर्जन से अधिक नामों पर चर्चा हो रही थी। सभी बड़े नाम थे, लेकिन माझी की चर्चा कहीं भी नहीं थी। कई लोकप्रिय और चर्चित भाजपा उम्मीदवारों को पीछे छोड़कर मोहन माझी मुख्यमंत्री कैसे बन गए?

आरएसएस से गहरा नाता

दरअसल, माझी एक गैर-विवादास्पद राजनेता हैं और उनका आरएसएस से गहरा संबंध है। चार बार भाजपा विधायक रहे माझी ने पार्टी को ओडिशा अभियान की रणनीति बनाने में मदद की है। उनका किसी से विवाद नहीं है और एक लो-प्रोफाइल नेता हैं। उनके पक्ष में सबसे बढ़ी बात ये रही कि मोहन चरण एक आदिवासी और माझी हैं। उनका झारखंड कनेक्शन भी इस फैसले की वजह माना जा रहा है। शायद इन्हीं वजहों से मोहन माझी, कनक वर्धन सिंह देव, पावर्ती परिदा, सुरेश पुजारी, मनमोहन सामल, मुकेश महालिंग और सुरामा पाधी पर भारी पड़ गए।

2024 लोकसभा चुनाव प्रभाव और मोहन माझी

लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा को बहुत बड़ा झटका लगा है। 400 पार का नारा देने वाली भाजपा अपने दम पर बहुमत भी हासिल नहीं कर सकी और 240 सीटों पर सिमट गई। अब केंद्र में मिली-जुली सरकार चला रही है। इस झटके के बीच भाजपा के लिए अगली चुनावी परीक्षा झारखंड और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव हैं। झारखंड में एनडीए ने 14 में से नौ लोकसभा सीटें जीती हैं। यह भी एनडीए के लिए एक झटका था, जिसने 2019 के लोकसभा चुनाव में 14 में से 12 सीटें जीती थीं।

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