क्यों डिप्टी सीएम बनने के लिए तैयार हुए थे देवेन्द्र फडणवीस? इंडिया इकोनॉमिक कॉन्क्लेव के मंच पर खुद किया खुलासा
India Economic Conclave 2024: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने गुरुवार को इंडिया इकोनॉमिक कॉन्क्लेव में बात करते हुए उस फैसले को लेकर अपना अनुभव बताया, जब उन्हें एकनाथ शिंदे का डिप्टी बनने के लिए कहा गया था, देवेन्द्र फडणवीस उससे पहले महाराष्ट्र के सीएम रह चुके थे।
इंडिया इकोनॉमिक कॉन्क्लेव में देवेन्द्र फडणवीस
India Economic Conclave 2024: महाराष्ट्र में कुछ साल पहले जब एकनाथ शिंदे, उद्धव को छोड़ बीजेपी के साथ आए और सीएम बनें, तब देवेन्द्र फडणवीस को डिप्टी सीएम बनाया था, फडणवीस के डिप्टी सीएम बनने से काफी हैरानी हुई थी, जो कभी सीएम थे, वो डिप्टी सीएम, ये कल्पना करना भी तब मुश्किल था, इस सवाल का जवाब अब खुद देवेंद्र फडणवीस ने टाइम्स नेटवर्क के इंडिया इकोनॉमिक कॉन्क्लेव 2024 में दिया है।
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फडणवीस ने क्यों स्वीकारा डिप्टी सीएम का पद
महाराष्ट्र के सीएम देवेन्द्र फड़णवीस ने गुरुवार को इंडिया इकोनॉमिक कॉन्क्लेव के 10वें संस्करण में टाइम्स नेटवर्क की ग्रुप एडिटर और टाइम्स नाउ नवभारत की एडिटर इन चीफ नाविका कुमार के साथ बातचीत में कहा, ''जिस वक्त बीजेपी ने मुझसे कहा कि हम सबसे बड़ी पार्टी हैं, नई सरकार बन रही है, आप राज्य में पार्टी के नेता हैं, अगर सबसे बड़ी पार्टी का नेता सरकार में नहीं है, तब न तो नवगठित सरकार काम करेगी और न ही पार्टी काम करेगी। मेरी पार्टी ने मुझसे जो कहा, मैं उस पर सहमत हुआ और अब जब मैं फैसले पर गौर करता हूं, तो मुझे यह सही लगता है।"
फडणवीस डिप्टी सीएम पद के लिए तब क्या सोचे थे
शिंदे के नेतृत्व वाली महायुति सरकार में पद स्वीकार करने के बाद उन्हें क्या महसूस हुआ, इसका खुलासा करते हुए फड़णवीस ने कहा कि उस समय एक भाव मेरे मन में था और वो भाव ये नहीं था कि मैं नीचे क्यों जा रहा हूं, क्योंकि मैं चीफ मिनिस्टर बना, मेरी पार्टी ने बनाया, इसलिए बना। तो मैं बड़ा तो कोई अपने खुद के भरोसे तो बना नहीं तो इसलिए वो भाव नहीं था। मेरे मन में भाव इतना ही था कि लोग क्या कहेंगे कि यह पद के लिए कितना लालची आदमी है कि कल तक चीफ मिनिस्टर था। आज कूदकर डेप्युटी चीफ मिनिस्टर बन गया, लेकिन जब मैंने फैसला किया और मैंने उसको एक्सेप्ट किया। देश भर के कार्यकर्ताओं में, नेताओं में और जनता में उसकी जो सराहना हुई, मुझे लगता है शायद मैं चीफ मिनिस्टर बनता तब भी इतना मुझे नेम और फेम नहीं मिलता और ढ़ाई साल में उस सरकार में रहकर जो चेंजेस में ला पाया। आज देखिए, मैं दो उदाहरण केवल आपको दूंगा कि मेरे पास इरिगेशन का पोर्टफोलियो था। इरिगेशन के पोर्टफोलियों में मैंने चार रिवरलिंकिंग प्रोजेक्ट्स मंजूर किए, जिनका काम अभी हम जल्दी शुरू करेंगे और इनमें से दो प्रोजेक्ट ऐसे हैं कि जो विदर्भ को और मराठवाड़ा को परमानेंटली अकाल से मुक्त कर देंगे और करीब 10,00,000 हेक्टेयर जमीन ये सिंचाई के नीचे आयेगी तो एक दम चेहरा बदला आएगा या अगर हम लोग ऊर्जा विभाग का विचार करते हैं तो पावर मिनिस्ट्री में मैंने एक नई किसानों के लिए पावर कंपनी स्थापित की। उसमें 16,000 मेगावाट के डिस्ट्रिब्यूटेड पावर के काम मैंने शुरू किए जो 2026 तक समाप्त हो जाएंगे। उसके बाद हमारे किसानों को 24 घंटा बिजली मिलेंगे, मुफ्त में बिजली मिलेंगे और सोलर बिजली मिलेंगे और इतने प्रोजेक्ट हमने पिछले ढ़ाई साल में किये कि आज हमारा जो पावर मिक्स है उसमें 16% पावर कम्स फ्रम रिन्यूएबल एंड 84% जो है वो हमारी पारंपरिक ऊर्जा है। 2030 में 52% पावर हमारी रिन्यूएबल से आएगी और 48% केवल पारंपरिक ऊर्जा रहेंगी। तो ये जो सारा ट्रांसफॉर्मेशन मैं कर पाया, इस सरकार में था, इसलिए कर पाया तो मुझे लगता है कि ये निर्णय जो मेरी पार्टी ने लिया वो बहुत सही निर्णय था, ऐसा मेरा मानना है।
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