इतनी क्यों उबल रही धरती? दिल्ली-राजस्थान में 50 डिग्री तक पहुंचा पारा, स्टडी में खुलासा- गांव की तुलना में शहरों में तप रही रातें

Heat Wave Alert: एक शोध में पाया गया कि शहरीकरण के कारण भारत के 140 से अधिक प्रमुख शहरों की रात उनके आसपास के गैर-शहरी क्षेत्रों की तुलना में 60 प्रतिशत अधिक गर्म है। शोध के अनुसार अहमदाबाद, जयपुर, राजकोट में शहरीकरण का सबसे ज्यादा असर देखा गया जबकि दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र चौथे तथा पुणे पांचवे स्थान पर रहे।

Heat Wave

हीट वेव

Heat Wave Alert: जून का महीना जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, गर्मी अपने सारे रिकॉर्ड तोड़ने लगी है। सड़कें जल रही हैं, हवाएं परेशान कर रही हैं और इंसान बेहाल है। आलम यह हो गया है कि मई के आखिरी सप्ताह में कई इलाकों का पारा 50 डिग्री सेल्सियस के भी पार पहुंच गया है। राजधानी दिल्ली की ही बात करें तो मुंगेशपुर में तापमान 49.9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। वहीं, राजधानी दिल्ली के नजफगढ़ का तापमान भी 49.8 डिग्री, 49.9 डिग्री सेल्सियस और पीतमपुरा में 48.5 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया है।

सिर्फ दिल्ली ही क्यों उत्तर प्रदेश के झांसी में भी तापमान 49 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। वहीं, प्रयागराज में 48.2 डिग्री सेल्सियस तापमान मापा गया। इसी तरह राजस्थान के चुरू में तापमान 50.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। यह सामान्य से 7.5 डिग्री सेल्सियस अधिक है। चुरू में पांच साल पहले जून 2019 में अधिकतम तापमान 50.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था।

60 प्रतिशत अधिक गर्म शहरों की रात

आईआईटी-भुवनेश्वर के एक शोध में पाया गया कि शहरीकरण के कारण भारत के 140 से अधिक प्रमुख शहरों की रात उनके आसपास के गैर-शहरी क्षेत्रों की तुलना में 60 प्रतिशत अधिक गर्म है। शोध के अनुसार अहमदाबाद, जयपुर, राजकोट में शहरीकरण का सबसे ज्यादा असर देखा गया जबकि दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र चौथे तथा पुणे पांचवे स्थान पर रहे। सभी शहरों में रात के समय सतह का तापमान बढ़ रहा है जिसमें हर दशक में औसतन लगभग 0.53 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि देखी गई। शोधकर्ताओं ने कहा कि इसके अलावा, रात के समय तापमान में वृद्धि का रुझान केवल शहरों तक ही सीमित नहीं है।

क्या है अर्बन हीट आइलैंड प्रभाव

बता दें, शहरीकरण को अर्बन हीट आइलैंड (UHI) प्रभाव के लिए जिम्मेदार माना जाता है। अर्बन हीट आइलैंड का मतलब है कि कंक्रीट और डामर की सतहें दिन के दौरान गर्मी को सोखती हैं और शाम को इसे छोड़ती हैं, जिससे रात के समय का तापमान बढ़ जाता है। नेचर सिटीज में प्रकाशित अध्ययन में शोधकर्ताओं ने कहा कि समय के साथ, यह गर्मी वर्षा और प्रदूषण सहित जलवायु के अन्य पहलुओं को प्रभावित करती है। अध्ययन में यह दिखाने की कोशिश की गई पिछले दो दशकों (2003-2020) में रात के तापमान को बढ़ाने में शहरीकरण और स्थानीय जलवायु परिवर्तन ने कितना योगदान रहा।

(इनपुट - भाषा एजेंसी)

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प्रांजुल श्रीवास्तव author

मैं इस वक्त टाइम्स नाउ नवभारत से जुड़ा हुआ हूं। पत्रकारिता के 8 वर्षों के तजुर्बे में मुझे और मेरी भाषाई समझ को गढ़ने और तराशने में कई वरिष्ठ पत्रक...और देखें

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