संजय सिंह पर क्या हैं आरोप? ED ने क्यों की गिरफ्तारी, कैसा है उनका राजनीतिक सफर; जानें सबकुछ

Sanjay Singh News: आम आदमी पार्टी के गठन में संजय सिंह की बड़ी भूमिका मानी जाती है। उन्हें अरविंद केजरीवाल के करीबी नेताओं के रूप में भी गिना जाता है। यही कारण है कि 2018 में पार्टी ने उन्हें राज्यसभा भेज दिया। आइए जानते हैं प्रवर्तन निदेशालय ने संजय सिंह को क्यों गिरफ्तार किया है? उन पर क्या आरोप लगाए गए हैं? और संजय सिंह का राजनीतिक सफर कैसा रहा है...

संजय सिंह

Sanjay Singh News: दिल्ली के कथित शराब घोटाले मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह को गिरफ्तार कर लिया है। इस घोटाले में ईडी की यह दूसरी बड़ी कार्रवाई है, जिसमें आप नेता की गिरफ्तारी हुई है। इससे पहले ईडी ने उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया था। बता दें, ईडी ने बुधवार सुबह संजय सिंह के घर छापा मारा था। इससे पहले इसी मामले में आप नेता के कई करीबियों के घर पर भी छापेमारी हुई थी।
संजय सिंह की गिरफ्तारी के बाद दिल्ली में सियासी हंगामा शुरू हो गया है। आम आदमी पार्टी के समर्थक जहां इस गिरफ्तारी का विरोध करते हुए प्रदर्शन कर रहे हैं तो वहीं अरविंद केजरीवाल, संजय सिंह के घर पहुंचे और उनके परिवार वालों से मुलाकात की। केजरीवाल ने कहा, आप एक कट्टर ईमानदार पार्टी है। हम सभी जानते हैं कि ईमानदारी की राह कठिन है। अगर हम भी उनकी तरह बेईमान हो जाएंगे तो हमारे सभी समस्याओं का समाधान होगा...इस शराब कांड में 1000 से ज्यादा छापेमारी हो चुकी है और कई लोगों की गिरफ्तारी भी हो चुकी है लेकिन एक पैसा भी बरामद नहीं हो सका। पीएम मोदी सिर से पांव तक भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं। मैं समझता हूं कि आजादी के बाद पीएम मोदी हमारे देश के सबसे भ्रष्ट पीएम हैं। आइए जानते हैं प्रवर्तन निदेशालय ने संजय सिंह को क्यों गिरफ्तार किया है? उन पर क्या आरोप लगाए गए हैं? और संजय सिंह का राजनीतिक सफर कैसा रहा है...

पहले शराब नीति घोटाले के बारे में जानिए

दिल्ली सरकार ने 2021-22 में नई आबकारी नीति लागू की थी। इस शराब नीति में कुछ अनियमितताओं की शिकायतें की गई थीं। आरोप लगे कि आम आदमी पार्टी ने शराब माफियाओं को फायदा पहुंचाने के लिए नीति में बदलाव किया था। इसके बाद दिल्ली के उपराज्यपाल ने मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी, जिसके बाद यह नीति सवालों के घेरे में आ गई। हालांकि, बाद में दिल्ली सरकार ने इस नीति को वापस ले लिया था।
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