'प्रोटेम स्पीकर' के मुद्दे पर क्यों छिड़ी सियासी बहस? आमने-सामने सरकार और विपक्ष, जानें विवाद
Political Debate: लोकसभा के पहले सत्र से पहले 'प्रोटेम स्पीकर' के मुद्दे पर सरकार और विपक्ष आमने-सामने है। सात बार के सांसद भर्तृहरि महताब को लोकसभा का ‘प्रोटेम स्पीकर’ नियुक्त करने के बाद ये विवाद शुरू हुआ है। आपको इस लेख में बताते हैं कि किस पार्टी ने क्या कहा।
विपक्ष और सरकार के बीच संग्राम।
Protem Speaker Controversy: 18वीं लोकसभा के पहले सत्र से पहले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के बीच ‘प्रोटेम स्पीकर’ (अस्थायी अध्यक्ष) के मुद्दे पर तकरार तेज हो गई है। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कांग्रेस पर झूठ का सहारा लेने का आरोप लगाया, वहीं विपक्षी दलों ने अध्यक्षों की सूची में शामिल होने से इंकार करने की चेतावनी दी।
भर्तृहरि महताब को नियुक्त किया गया प्रोटेम स्पीकर
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता और सात बार के सांसद भर्तृहरि महताब को लोकसभा का ‘प्रोटेम स्पीकर’ नियुक्त किया है, जिन्हें निचले सदन के नव-निर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाने और अध्यक्ष के चुनाव तक कर्तव्य निवर्हन का काम सौंपा गया है।
महताब की सहायता करेंगे ये लोकसभा सदस्य
राष्ट्रपति ने लोकसभा के पांच वरिष्ठ सदस्यों -के सुरेश (कांग्रेस), टी आर बालू (द्रविड मुनेत्र कषगम), राधा मोहन सिंह और फग्गन सिंह कुलस्ते (दोनों भाजपा) और सुदीप बंदोपाध्याय (तृणमूल कांग्रेस) को भी नामित किया था, जो 24 जून से शुरू हो रहे लोकसभा सत्र के पहले तीन दिन में होने वाली प्रक्रिया में महताब की सहायता करेंगे। कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि सरकार ने प्रक्रियाओं और परंपराओं का उल्लंघन किया है और आठ बार के सांसद सुरेश के ‘प्रोटेम स्पीकर’ के पद पर दावे की अनदेखी की है, जिसे रिजिजू ने 'भ्रामक' बताकर खारिज कर दिया।
प्रोटेम स्पीकर पर विपक्ष ने खड़ा किया सवाल
विपक्षी दलों के सूत्रों ने शनिवार को कहा कि सुरेश, बालू और बंदोपाध्याय लोकसभा के नवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाने में ‘प्रोटेम स्पीकर’ महताब की सहायता करने के लिए अध्यक्षों की सूची में शामिल नहीं हो सकते हैं। रिजिजू ने कहा कि महताब को इसलिए चुना गया, क्योंकि निचले सदन के सदस्य के रूप में उनका कार्यकाल सबसे लंबा है। रिजिजू ने कहा कि सुरेश आठ बार सांसद रहे हैं, लेकिन 1998 और 2004 में वह लोकसभा के सदस्य नहीं थे, इसलिए संसद के निचले सदन में उनका कार्यकाल निरंतर नहीं रहा।
भाजपा ने विपक्षी दलों को दिया ये जवाब
सुरेश ने कहा था कि ‘प्रोटेम स्पीकर’ पद के लिए उनके दावे को नजरअंदाज कर दिया गया, क्योंकि वह दलित समुदाय से हैं। भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि कांग्रेस ने ‘प्रोटेम स्पीकर’ के मुद्दे पर झूठ बोलकर जानबूझकर एक 'आदिवासी' संसदीय कार्य मंत्री का अपमान किया है। पूनावाला ने कहा, 'कांग्रेस ने हमेशा आदिवासियों का अपमान किया है। उन्होंने द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपत्नी कहा और उनके साथ दुर्व्यवहार भी किया।'
केंद्रीय मंत्री ने कांग्रेस के लिए कही ये बात
रिजिजू ने कहा कि वह संसदीय कार्य मंत्री का पद संभालने वाले पहले आदिवासी हो सकते हैं, लेकिन वह कांग्रेस पार्टी की धमकियों और झूठ से नहीं डरेंगे। उन्होंने कहा, 'मैं नियमों से बंधा हूं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबका साथ सबका विकास के मंत्र का सख्ती से पालन करूंगा।'
आदित्य ठाकरे ने कहा- लड़ाई अभी बाकी है
इससे पहले, कांग्रेस नेता के सी वेणुगोपाल ने ‘प्रोटेम स्पीकर’ पद के लिए सुरेश के दावे की अनदेखी को 'संसदीय मानदंडों को नष्ट करने' का प्रयास बताया था। शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, 'मैंने पहले भी कहा है और अब भी कहता हूं, हमारे लोकतंत्र और संविधान को बचाने की लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है।'
भाकपा ने इस मुद्दे पर भाजपा को घेरा
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के महासचिव डी राजा ने कहा कि भाजपा को जनता से झटका मिलने के बाद भी वे देश के लिए लोकतंत्र, परामर्श, संसदीय मानदंडों और विपक्ष के महत्व को नहीं समझ पाए हैं। राजा ने कहा, 'अधिनायकवादी भाजपा एक विपक्षी सदस्य को ‘प्रोटेम स्पीकर’ के रूप में भी नहीं देख सकती है, इसलिए उसने भाजपा के एक दलबदलू सांसद को इस पद पर नियुक्त कर दिया है।'
ओडिशा की कटक लोकसभा सीट से भाजपा के सांसद महताब को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान के अनुच्छेद 95(1) के तहत ‘प्रोटेम स्पीकर’ नियुक्त किया है। वह 26 जून को लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव तक सदन के पीठासीन अधिकारी के रूप में कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे।
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