कश्मीर नहीं अब जम्मू में लगातार बढ़ रहे आतंकी हमले, पाक परस्त आतंकियों ने क्यों बदली अपनी रणनीति?

असल चिंता की बात यह है कि पाकिस्तान के ये आतंकवादी अब सुरक्षा बलों और निर्दोष नागरिकों दोनों को निशाना बना रहे हैं। 9 जून को लश्कर-ए-तैयबा मॉड्यूल ने एक नागरिक बस पर आतंकवादी हमला किया, जिसमें नौ मौतें हुईं और 41 घायल हो गए।

Terrorist Attack in Reasi

जम्मू में आतंकी हमले

Jammu Terrorist Attacks: एक ओर जहां सुरक्षाबल जम्मू-कश्मीर के रियासी आतंकी हमले में शामिल आतंकियों की तलाश में जुटे थे, जम्मू क्षेत्र एक के बाद एक दो और हमलों से दहल गया। जम्मू के कठुआ और डोडा जिलों में मंगलवार शाम दो हमले हुए। इसमें सीआरपीएफ का एक कांस्टेबल शहीद हो गया और छह सुरक्षाकर्मी घायल हो गए। 9 जून को जिस दिन केंद्र में मोदी सरकार ने शपथ ली, उसके बाद से जम्मू-कश्मीर में चार आतंकवादी हमले हुए हैं। इसमें सबसे बड़ा हमला रियासी में हुआ जहां तीर्थयात्रियों को ले जा रही बस को आतंकियों ने निशाना बनाया। ये सभी हमले जम्मू में हुए हैं, जो बताता है कि कश्मीर के आतंकवादियों का फोकस अब इस इलाके पर है।

निर्दोष नागरिकों को बना रहे निशाना

असल चिंता की बात यह है कि पाकिस्तान के ये आतंकवादी अब सुरक्षा बलों और निर्दोष नागरिकों दोनों को निशाना बना रहे हैं। 9 जून को लश्कर-ए-तैयबा मॉड्यूल ने एक नागरिक बस पर आतंकवादी हमला किया, जिसमें नौ मौतें हुईं और 41 घायल हो गए। कटरा में शिव खोरी मंदिर से माता वैष्णो देवी मंदिर तक हिंदू तीर्थयात्रियों को ले जा रही बस पर आतंकियों ने अंधाधुंध गोलीबारी की जिससे बस रियासी में एक गहरी खाई में गिर गई। अधिकारियों का मानना है कि इन आतंकी हमलों से जम्मू और कश्मीर दोनों में तनाव और बढ़ेगा। जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) आरआर स्वैन के अनुसार, नियंत्रण रेखा के पार लॉन्च पैड पर लगभग 60 से 70 आतंकवादी सक्रिय हैं।

जम्मू पर क्यों नजर?

अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद पाकिस्तान स्थित आतंकी समूहों की रणनीति बदल गई है। इनका ध्यान अब कश्मीर घाटी से हट गया, जहां सुरक्षा बल मजबूत पकड़ बनाए हुए हैं। दबाव में आतंक जम्मू की ओर रुख कर रहे हैं। पिछले 2-3 वर्षों से आतंकवादी जम्मू में रुक-रुक कर हमले कर रहे हैं। आतंकी घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी देखी गई है। साल 2023 में कुल 43 आतंकवादी हमले हुए और 2024 में अब तक 20 हमले हो चुके हैं। आतंकी हमलों को जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने से रोकने के कदम के रूप में भी देखा जा रहा है। 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद राज्य में पहला चुनाव होगा।

जम्मू का इलाका चुनौतीपूर्ण

जम्मू क्षेत्र के विशाल और जटिल इलाके का इस्तेमाल पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन अंतरराष्ट्रीय सीमा और एलओसी के पार सशस्त्र आतंकवादियों को भेजने के लिए करते हैं। कभी-कभी सुरंगों का इस्तेमाल करके भी घुसपैठ की जाती है। ड्रोन ने स्थिति को और अधिक मुश्किल बना दिया है। अब आतंकवादी नागरिकों के रूप में प्रवेश कर सकते हैं और स्थानीय गाइड की मदद से हथियार इकट्ठा कर सकते हैं।

चौकियां का विस्तार

राजौरी पुंछ में पुलिस ने चौकियां स्थापित की हैं और जवानों को तैनात किया है, यहां तक कि जंगलों में भी तैनाती की गई है जहां कोई नहीं जाता। जानकारों का कहना है कि शुरू में आतंकवादियों की पहचान करना चुनौतीपूर्ण है क्योंकि, नागरिकों के उलट पुलिस की जवाबदेही होती है। सुरक्षा लगातार बढ़ाई जा रही है और अब विभिन्न इलाकों में नाके स्थापित किए जा रहे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुरक्षा बल जंगलों के अंदर शिविर लगाने पर विचार कर रहे हैं।

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अमित कुमार मंडल author

करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव हासिल किया। कई मीडिया संस्थानों में मिले अनुभव ने ...और देखें

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