Kailash Gahlot: कैलाश गहलोत का AAP छोड़ना, चुनाव से पहले केजरीवाल को है बड़ा झटका
Kailash Gahlot: आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेता कैलाश गहलोत का पार्टी छोड़ना अरविंद केजरीवाल के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। पार्टी के इस वरिष्ठ नेता केजरीवाल का साथ ऐसे समय छोड़ा है जब दिल्ली विधानसभा चुनाव के दहलीज पर खड़ी है।
दिल्ली में अगले साल होंगे विधानसभा चुनाव।
Kailash Gahlot: आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेता कैलाश गहलोत का पार्टी छोड़ना अरविंद केजरीवाल के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। पार्टी के इस वरिष्ठ नेता केजरीवाल का साथ ऐसे समय छोड़ा है जब दिल्ली विधानसभा चुनाव के दहलीज पर खड़ी है। दरअसल, लोकसभा चुनाव रिजल्ट के बाद से ही सियासी गलियारे में गहलोत के पार्टी छोड़ने की चर्चा चल रही थी लेकिन पार्टी छोड़ने का कदम उन्होंने अब उठाया है। रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि गहलोत के पार्टी छोड़ने के बाद आम आदमी पार्टी में आंतरिक अनबन एवं गतिरोध ने जोर पकड़ लिया है।
कई विभागों की जिम्मेदारी संभाली
आबकारी नीति मामले में केजरीवाल और पार्टी के बड़े नेताओं के जेल जाने के बाद गहलोत दिल्ली सरकार में कई महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी संभालते आ रहे थे। उनके पास परिवहन, डब्ल्यूसीडी, गृह, प्रशासनिक सुधार और आईटी जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय रहे। अब ऐसी चर्चा है कि वह देर-सबेर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो सकते हैं। चर्चा यह भी है कि वह नजफगढ़ सीट से चुनाव लड़ सकते हैं।
जाट समुदाय से आते हैं गहलोत
गहलोत की गिनती आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में होती है। उनका पार्टी छोड़ना आप के लिए एक बड़ा झटका है। वह दो बार विधायक और एक बार मंत्री रह चुके हैं। यही नहीं, आम आदमी पार्टी के लिए चुनावी रणनीतियां और विपक्ष के सियासी तिकड़मों से निपटने में अहम भूमिका रही है। गहलोत जाट समुदाय से आते हैं और इस समुदाय में उनकी अच्छी पकड़ है। दिल्ली में जाट समुदाय की आबादी और सीटों पर इसके दबदबे को देखते हुए माना जा रहा है कि चुनाव में गहलोत फैक्टर का असर दिखेगा।
आतिशी का कद बढ़ाए जाने से थे नाराज?
गहलोत ने पार्टी क्यों छोड़ी इसके कारण भी उन्होंने गिनाए हैं। उन्होंने कहा है कि आम आदमी पार्टी की सरकार केंद्र से लगातार लड़-झगड़ रही थी और लोगों से किए हुए वादों को पूरा करने में उसका ध्यान नहीं थी। यही नहीं सीएम केजरीवाल के आवास मामले में भी पार्टी के लिए अजीब स्थिति पैदा हुई। तो वहीं, आप के सूत्रों का कहना है कि गहलोत कुछ समय से पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं से नाराज चल रहे थे। खासकर, केजरीवाल के जेल जाने के बाद आतिशी को कानून, रेवन्यू जैसे अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी दिए जाने और फिर उन्हें सीएम बनाए जाने से वह नाराज थे।
योजना पर असर पड़ेगा
गहलोत 2015 से पश्चिमी दिल्ली में जाट बहुल नजफगढ़ निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। आप सूत्रों का कहना है कि उनके इस्तीफे का असर बाहरी दिल्ली के ग्रामीण इलाकों में होना निश्चित है। महिला एवं बाल विकास विभाग मुख्यमंत्री आतिशी द्वारा 2024-25 के बजट में घोषित ‘मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना’ का मसौदा तैयार कर रहा है। उन्होंने बताया कि मतदाताओं को लुभाने के लिए चुनाव से पहले इसे लागू करने की योजना पर अब असर पड़ेगा, क्योंकि गहलोत इसका मसौदा तैयार करने से जुड़े थे।
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AAP में अलग-थलग महसूस कर रहे थे
दिल्ली भाजपा नेताओं ने गहलोत के इस्तीफे का स्वागत किया। इससे इस बात की चर्चा मजबूत हो गई कि वह विधानसभा चुनाव से पहले वह भाजपा में शामिल हो सकते हैं। भाजपा की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा, ‘न्होंने एक साहसी कदम उठाया। उन्होंने अपने इस्तीफे के लिए वही कारण बताए हैं जो भाजपा केजरीवाल और आप के खिलाफ उठा रही थी।’ हालांकि, आप नेताओं ने दावा किया कि गहलोत ने इस्तीफा इसलिए दिया क्योंकि वह प्रवर्तन निदेशालय सहित केंद्रीय एजेंसियों की जांच का सामना कर रहे थे और भाजपा में शामिल होना उनके सामने अंतिम विकल्प था। सूत्रों ने कहा कि गहलोत का इस्तीफा हतप्रभ करने वाला नहीं है लेकिन यह पूरी तरह अप्रत्याशित भी नहीं है, क्योंकि वह आप में ‘‘अलगथलग’ महसूस कर रहे थे।
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