मोरबी हादसे का ममता बनर्जी ने क्यों नहीं किया था कड़ा विरोध, जानें वजह
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी आमतौर बीजेपी पर निशाना साधते से नहीं चुकतीं। लेकिन गुजरात के मोरबी में हादसा पर उनकी सधी प्रतिक्रिया आई। अब सवाल यह है कि आखिर मुलायम प्रतिक्रिया के पीछे की वजह क्या है।
गुजरात के मोरबी में केबल ब्रिज टूट गया था।
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी(Mamata Banerjee) बीजेपी शासित राज्यों की खामियों पर अक्सर निशाना साधती रहती हैं चाहे घटना बड़ी हो या छोटी। लेकिन एक ऐसे प्रसंग में उनकी प्रतिक्रिया आई जिसमें लोग अंदेशा लगा रहे थे कि वो प्रखर तौर पर पीएम नरेंद्र मोदी(pm narendra modi) पर तंज साधेंगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने मोरबी पुल हादसे(morbi bridge accident) पर प्रशासनिक खामियों का जिक्र तो किया। लेकिन पीएम मोदी पर निशाना साधने से बचती रहीं। आखिर ऐसा क्यों है। दरअसल पुल के ढहने के राज्य के रिकॉर्ड को देखते हुए यह राज्य सरकार के लिए भी आंखें खोलने वाला साबित हुआ है।राज्य के लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के एक सीनियर इंजीनियर ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि राजनीति अपनी जगह पर है, लेकिन मोरबी घटना ने राज्य में पुलों और फ्लाईओवर की स्थिति की नए सिरे से समीक्षा करने के लिए विभागों में हड़कंप मचा दिया है।
पीडब्ल्यूडी मंत्री पुलक रॉय ने पुलों और फ्लाईओवर की स्थिति की समीक्षा के लिए विभाग के शीर्ष नौकरशाहों और इंजीनियरों की एक आपात बैठक बुलाई।रॉय के अनुसार बैठक में राज्य में दो बड़े पुलों के पूरी तरह से पुनर्निर्माण का निर्णय लिया गया। पहला पश्चिम मिदनापुर जिले में मिदनापुर और खड़गपुर कस्बों को जोड़ने वाला कांगसाबती नदी पर बीरेंद्र सस्मल पुल है। दूसरा कोरोनेशन ब्रिज है, जिसे उत्तर बंगाल में दार्जिलिंग और कलिम्पोंग ब्रिज को जोड़ने वाली तीस्ता नदी पर सेवक रोडवे ब्रिज के रूप में भी जाना जाता है।
पश्चिम बंगाल में बड़े पुल हादसे
31 मार्च, 2016 को पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उत्तरी कोलकाता के गिरीश पार्क में निर्माणाधीन विवेकानंद रोड फ्लाईओवर का एक स्टील स्पैन गिर गया था, जिसमें 27 लोग मारे गए थे।
4 सितंबर, 2018 को, कोलकाता के दक्षिणी बाहरी इलाके में माजेरहाट ब्रिज गिरने से तीन लोगों की मौत हो गई थी।
3 मार्च 2013 को ईस्टर्न मेट्रोपॉलिटन बाईपास में उल्टाडांगा फ्लाईओवर का एक बड़ा हिस्सा गिर गया, जो कोलकाता में नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे के साथ वीआईपी रोड को जोड़ता है। हालांकि हादसे में किसी की जान नहीं गई।
एक महीने के भीतर मांगी गई रिपोर्ट
राज्य के सभी पुलों और फ्लाईओवरों की स्थिति की जांच की जाए और एक महीने के भीतर रिपोर्ट पेश की जाए। उन्होंने उन पुलों के बारे में भी जानकारी मांगी, जहां भारी वाहनों के चलने से खतरा या त्रासदी हो सकती है।समीक्षा बैठक के दौरान कुछ खुलासे हुए थे। सूत्रों ने कहा कि प्रारंभिक निष्कर्षों के अनुसार, राज्य के विभिन्न कोनों में लगभग 45 से 50 पुल हैं, जो 50 से 60 वर्ष के बीच के हैं, जहां सिंपल पैचवर्क या पूरी तरह से रिनोवेशन भी काम नहीं करेगा और वाहनों की आवाजाही के लिए उन्हें सुरक्षित बनाने के लिए पूरी तरह से पुनर्निर्माण की आवश्यकता है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)
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