India में PAK के बिलावलः बोले- आकर हूं खुश, कभी PM को बताया था 'कसाई'; समझें- क्यों मायने रखता है यह दौरा
Bilawal Bhutto Zardari India visit: पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी की यह यात्रा भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पार आतंकवाद को इस्लामाबाद के निरंतर समर्थन सहित कई मसलों पर रिश्तों में जारी तनाव के बीच आई है। हालांकि, इस इस दौरान अपने भारतीय समकक्ष के साथ उनकी द्विपक्षीय बैठक की कोई योजना नहीं है।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी। (फाइल)
पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी गुरुवार (चार अप्रैल, 2023) को भारत पहुंचे। गोवा में लैंड होने के बाद उन्होंने बताया कि वह यहां आकर खुश हूं। वह यहां शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के एक सम्मेलन में भाग लेने आए हैं।
चूंकि, इस मीटिंग में चीन और रूस के विदेश मंत्री भी हिस्सा ले रहे हैं। ऐसे में पाकिस्तान इस बैठक को दरकिनार नहीं कर सकता है। वह भी तब जब समूचा मुल्क आर्थिक मोर्चे पर खराब माली हालत से जूझ रहा है। समझा जा सकता है कि उसे रूस-चीन सरीखे मुल्कों की जरूरत है।
इस बीच, एससीओ विदेश मंत्रियों की परिषद (सीएफएम) के सम्मेलन की तैयारियों से परिचित लोगों ने समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा को बताया कि विदेश मंत्री एस जयशंकर और भुट्टो जरदारी के बीच द्विपक्षीय बैठक की कोई योजना नहीं है, क्योंकि अभी तक पाकिस्तानी पक्ष से इसके लिए कोई अनुरोध नहीं आया।
सुनिए, भारत पहुंचने पर उन्होंने क्या कहा?:
अपने आगमन से पहले भुट्टो ने ट्वीट किया था, “गोवा, भारत के रास्ते में हूं। शंघाई सहयोग संगठन की सीएफएम में पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल की नुमाइंदगी करूंगा। इस बैठक में शिरकत करने का मेरा फैसला एससीओ के चार्टर के प्रति पाकिस्तान की मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाता है। मेरी यात्रा के दौरान, जो विशेष रूप से एससीओ पर केंद्रित है, मैं मित्र देशों के अपने समकक्षों के साथ रचनात्मक चर्चा की उम्मीद करता हूं।”
दरअसल, साल 2011 के बाद से पड़ोसी देश से भारत की पहली ऐसी उच्च स्तरीय यात्रा है। भुट्टो 2011 के बाद से भारत की यात्रा करने वाले पाकिस्तान के पहले विदेश मंत्री हैं। उनसे पहले हिना रब्बानी खार ने 2011 में शांति वार्ता के लिए पाकिस्तान की विदेश मंत्री के रूप में भारत की यात्रा की थी।
वैसे, बिलावल से पहले उनके परिवार के तीन और लोग भी इंडिया का दौरा कर चुके हैं। 1972 में तत्कालीन पीएम प्रधानमंत्री और नाना जुल्फिकार अली भुट्टो (शिमला समझौते पर दस्तखत करने), 2002 में पाकिस्तान की पहली महिला पीएम और उनकी मां बेनजीर भुट्टो (अटल से भेंट हुई थी) व 2012 में पिता आसिफ अली जरदारी (मनमोहन सिंह से मुलाकात हुई थी) आए थे।
पिता के साथ तब बिलावल भी आए थे। हालांकि, यह वह जरदारी हैं, जिन्होंने साल 2014 में कहा था कि वह कश्मीर का एक-एक इंच वापस लेकर रहेंगे। आइए, जानते हैं कि किन वजहों से विवादों में रहे थे बिलावल:
- कहा था, संबंध सुधारने नहीं जा रहा हिंदुस्तान
- बोले थे- "गुजरात का कसाई" अभी भी जिंदा है और वह भारत का पीएम है
- आरोप लगाया था कि इंडिया में मुस्लिमों के साथ भेदभाव हो रहा है
- कश्मीरी लोगों के साथ उत्पीड़न हो रहा- दावा किया था
- संयुक्त राष्ट्र में कई दफा उठा चुके हैं कश्मीर का मसला।
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