जानें क्यों लोग देते हैं मानव बलि, इसके नाम पर 7 साल में 77 की हत्या, पढ़े-लिखे लोग भी शामिल

Human Sacrifice In India : नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ो को देखा जाय, तो बड़ी भयावह तस्वीर सामने आती है। साल 2015 से 2021 में केवल मानव बलि के नाम पर 77 लोगों की हत्याएं कर दी गई। जबकि जादू-टोने और डायन के नाम पर 7 साल में 663 लोगों की मौत हुई है।

मुख्य बातें
  • काला जादू कोई वैज्ञानिक अवधारणा नहीं है। लेकिन इसके बावजूद यह पूरी दुनिया में प्रचलित है ।
  • इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सबसे पहले बिहार में कानून लाया गया।
  • 2020 में सबसे ज्यादा 9 मानव बलि के मामले छत्तीसगढ़ में आए थे।

Human Sacrifice In India :केरल के त्रिरुवल्ला में मानव बलि के मामले ने पूरे देश में खलबली मचा दी है। बुधवार को जब पुलिस ने पूरे मामला का खुलासा हुआ तो यह विश्वास से परे था कि एक पड़ा लिखा डॉक्टर मानव बलि कर सकता है।पुलिस के अनुसार बलि देने वाले डॉक्टर दंपती ने 2 महिलाओं को बांधकर पहले टॉर्चर किया। फिर एक लाश के 56 टुकड़े किए। और दोनो महिलाओं की छाती काट दी। यही नहीं पुलिस को इस बात का भी शक है कि शव को खा भी गया है। हालांकि अभी तक इसी पुष्टि नहीं हुई है। लेकिन इस दिल दहला देने वाली घटना ने एक बार फिर भारत में मानव बलि की घटना ने कई सवाल खड़ा कर दिए है, कि ऐसा क्यों किया जाता है और 21 वीं सदी में भी ऐसी घटनाएं क्यों होती हैं।

पिछले 7 साल में 77 की मानव बलि और जादू-टोने के नाम पर 663 की हत्याएं

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ो को देखा जाय, तो बड़ी भयावह तस्वीर सामने आती है। साल 2015 से 2021 में केवल मानव बलि के नाम पर 77 लोगों की हत्याएं कर दी गई। जबकि जादू-टोने और डायन के नाम पर 7 साल में 663 लोगों की मौत हुई है। यह ऐसे आंकड़े हैं, जो यह सोचने को मजबूर करते हैं, कि अभी भी भारत में अंध विश्वास के नाम लोगों की जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।

ऐसी घटनाएं कहां सबसे ज्यादा हो रही हैं, तो उसे लेकर कुछ तस्वीर उभर कर सामने आ रही है। मसलन 2020 में सबसे ज्यादा 9 मानव बलि के मामले छत्तीसगढ़ में आए थे। इसी तरह 2021 में बिहार में 4 मामले सामने आए। इसी तरह 2015 में झारखंड में 8 मामले सामने आए थे। इसके अलावा इन सात वर्षो में केरल, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक आदि राज्यों में यह मामले सामने आए हैं।

अंध विश्वास और मानव तस्करी बड़े कारण

पुलिस के अनुसार केरल के त्रिरुवल्ला में डॉक्टर भगावल सिंह और उसकी पत्नी लैला ने 2 महिलाओं की गला रेतकर हत्या कर दी थी। फिर दोनों शवों के टुकड़े करके उन्हें दफना दिया। आरोपियों को भरोसा था कि ऐसा करने से उनके घर में धन-वैभव आने लगेगा। इस काम में एक तांत्रिक मोहम्मद शफी ने उनकी मदद की थी। साफ है कि मामला अंधविश्वास का था। इसके अलावा पुलिस का दावा है कि तांत्रिक मानव तस्करी में शामिल था।

सालकाल जादू (Witch Craft) के नाम पर हत्याएंमानव बलि/बच्चे
2021686
20208812
201910210
2018634
20177319
201613412
201513524
कुल66377

Source: NCRB

निठारी कांड ने फैला दी थी सनसनी

साल 2006 में नोएडा का निठारी कांड भी भारत के उन गिने-चुने मामलों में हैं, जहां पर लोगों की हत्या कर मानव अंगों की तस्करी की जा रही थी। निठारी गांव की बंगला नंबर D-5 से 19 बच्चों और महिलाओं के मानव कंकाल मिले थे। इसके अलावा घर के पास के नाले से बच्चों के अवशेष भी मिले थे। कहा गया था कि यहां से मानव शरीर के हिस्सों के पैकेट मिले थे, साथ ही नर कंकालों को नाले में फेंका गया था। इस मामले में मुख्य आरोपी सुरेंद्र कोली को 13 मामलों में मौत की सजा सुनाई गई थी। जबकि दूसरे अपराधी मोनिंदर पंढेर को दो मामलों में फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है।

क्या है काला जादू

काला जादू कोई वैज्ञानिक अवधारणा नहीं है। लेकिन इसके बावजूद यह पूरी दुनिया में प्रचलित है । यह एक ऐसी धारणा है जिसमें तंत्र को प्रमुखता दी जाती है। यानी किसी दूसरे व्यक्ति के साथ तंत्र साधना के जरिए अपनी इच्छाओं की लोग पूर्ति करने की कोशिश करते हैं। किसी को डायन, चुड़ैल,टोनही बताकर उसकी हत्या भी इसी का हिस्सा है। झारखंड, छत्तीसगढ़, असम,बिहार, राजस्थान,महाराष्ट्र, उड़ीसा सहित देश के अन्य राज्यों में काला जादू और उससे होने वाली हत्याओं का मामले सामने आते रहते हैं।

क्या है कानून

भारत में काला जादू, तंत्र-मंत्र , मानव बलि से होने वाले अपराध को रोकने के लिए सबसे पहले बिहार में कानून लाया गया। साल 1999 में राज्य में डायन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम, 1999 कानून लागू किया गया। इसके तहत यदि कोई भी व्यक्ति किसी औरत को डायन के रूप में पहचान कर उसे शारीरिक या मानसिक यातना, जान-बूझकर देता है या प्रताड़ित करता है, तो उसे 6 महीने तक की अवधि के लिए कारावास की सजा या दो हजार रुपये का जुर्माने अथवा दोनों सजाओं से दंडित किया जाएगा।

इसी तरह झारखंड में साल 2001 में झारखंड राज्य डायन प्रथा प्रतिषेध कानून लागू किया गया। इसके अलावा साल 2005 में छत्तीसगढ़ टोनही प्रताड़ना निवारण अधिनियम लागू किया गया है। इसी तरह राजस्थान, महाराष्ट्र, असम, उड़ीसा और कर्नाटक में कानून लागू है।

हालांकि केंद्रीय स्तर पर अभी कोई कानून नहीं पारित हुआ है। लेकिन साल 2016 में सहारनपुर से सांसद रहे राघव लखन पाल ने द प्रिवेंशन ऑफ विच हंटिंग बिल 2016 को लोक सभा में पेश किया था।

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प्रशांत श्रीवास्तव author

करीब 17 साल से पत्रकारिता जगत से जुड़ा हुआ हूं। और इस दौरान मीडिया की सभी विधाओं यानी टेलीविजन, प्रिंट, मैगजीन, डिजिटल और बिजनेस पत्रकारिता में काम कर...और देखें

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