RSS को परेशान कर रहे हैं ये आंकड़े, मोदी सरकार दूर कर पाएगी चिंता
Road To 2024:मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आधा समय बीत चुका है। और अब बैक-टू-बैक चुनाव का दौर भी शुरू होने वाला है। अगले चुनाव तक 12 राज्यों में विधान सभा चुनाव होंगे और मार्च-अप्रैल 2024 में लोक सभा चुनाव भी होंगे। होसबाले के बयान न केवल विपक्षी दलों को भाजपा को घेरने का मौका देगा, बल्कि मोदी सरकार को अलर्ट करने वाला भी है।
महंगाई, बेरोजगारी, आर्थिक असमानता भाजपा के लिए चुनौती
मुख्य बातें
- साल 2021 में जहां भारत में 84 प्रतिशत परिवारों की इनकम में गिरावट आई।
- वहीं भारतीय अरबपतियों की संख्या 102 से बढ़कर 142 हो गई।
- महंगाई और बेरोजगारी दर ने बढ़ा दी है चुनौती ।
RSS General Secretary Dattatreya Hosabale:राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के महासचिव दत्तात्रेय होसबाले ने बेरोजगारी इनकम की असमानता और गरीबी पर चिंता जताई है। आरएसएस के ही एक विंग स्वदेशी जागरण मंच के एक कार्यक्रम में होसबाले का यह बयान न केवल अहम है बल्कि उसकी टाइमिंग भी बेहद अहम है। उनका बयान ऐसे समय आया है, जब देश कोविड-19 की चुनौतियों से ऊबर चुका है और मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आधा समय बीत चुका है। और अब बैक-टू-बैक चुनाव का दौर भी शुरू होने वाला है। अगले चुनाव तक 12 राज्यों में विधान सभा चुनाव होंगे और मार्च-अप्रैल 2024 में लोक सभा चुनाव भी होंगे। होसबाले के बयान न केवल विपक्षी दलों को भाजपा को घेरने का मौका देगा, बल्कि मोदी सरकार को अलर्ट करने वाला भी है।
इन आंकड़ों से समझिए क्यों होसबाले ने दिया बयान
इकोनॉमिक इंडीकेटर | 2014 | 2022 |
बेरोजगारी | 5.4 % | 6.43 % (सितंबर) |
महंगाई | 6.67% | 7 % (अगस्त) |
इसी तरह ऑक्सफैम इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार साल 2021 में जहां भारत में 84 प्रतिशत परिवारों की इनकम में गिरावट आई, वहीं भारतीय अरबपतियों की संख्या 102 से बढ़कर 142 हो गई। यानी एक तरफ अमीरों की दौलत और बढ़ी, जबकि एक बड़े तबके की इनकम गिर गई। इससे भी चिंता की बात यह है कि देश के सबसे अमीर 10 फीसदी लोगों के पास देश की 45 फीसदी दौलत है। ऐसे में चुनाव मौसम में यह आंकड़े सरकार के लिए बड़ी परेशानी खड़ी कर सकती है।
अच्छे दिन के वादे के साथ आई थी मोदी सरकार
रविवार को जब होसबाले ने कहा कि हमें इस बात का दुख होना चाहिए कि 20 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं और 23 करोड़ लोग प्रतिदिन 375 रुपये से भी कम कमा रहे हैं। गरीबी हमारे सामने एक राक्षस-जैसी चुनौती है। यह महत्वपूर्ण है कि इस दानव को खत्म किया जाए। उन्होंने कहा कि गरीबी के अलावा असमानता और बेरोजगारी दो चुनौतियां हैं जिनसे निपटने की आवश्यकता है।
इसी तरह उन्होंने कहा कि देश में चार करोड़ बेरोजगार हैं, जिनमें ग्रामीण क्षेत्रों में 2.2 करोड़ और शहरी क्षेत्रों में 1.8 करोड़ बेरोजगार हैं। श्रम बल सर्वेक्षण (Labour Force Survey) में बेरोजगारी दर 7.6 प्रतिशत आंकी गई है। हमें रोजगार पैदा करने के लिए न केवल अखिल भारतीय योजनाओं की आवश्यकता है, बल्कि स्थानीय योजनाओं की भी आवश्यकता है। उन्होंने कुटीर उद्योगों को पुर्नजीवित करने तथा ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी पैठ बढ़ाने के लिए कौशल विकास क्षेत्र में और अधिक पहल करने का भी सुझाव दिया।
इनकम में असमानता पर होसबाले ने कहा कि क्या यह अच्छा है कि शीर्ष छह अर्थव्यवस्थाओं में से एक होने के बावजूद, देश की आधी आबादी को कुल आय का केवल 13 प्रतिशत ही मिलता है। हालांकि, होसबाले ने कहा कि इन चुनौतियों से निपटने के लिए पिछले कुछ वर्षों में कई कदम उठाए गए हैं।
होसबाले के बयान से यह तो साफ है कि भले ही इन चुनौतियों से निपटने के लिए, कदम उठाए गए हैं, उसके बावजूद उम्मीद के अनुसार परिणाम नहीं आए हैं। जो कि सत्ताधारी दल भाजपा के लिए चुनौती बन सकते हैं। यह इसलिए भी अहम है क्योंकि भाजपा ने 2014 में अच्छे दिन के वादे के साथ, लोक सभा का चुनाव का लड़ा था।
ये चुनाव बनेंगे भाजपा के लिए चुनौती
होसबाले के बयान से एक संदेश ये भी है कि मोदी सरकार को बढ़ती बेरोजगारी, महंगाई और अमीर-गरीब के बीच बढ़ती खाई को कम करना होगा। क्योंकि अगर ऐसा नहीं होता है तो आने वाले वाले समय भाजपा के लिए चुनौती खड़ी हो सकती है। खास तौर पर जब साल 2024 के लोक सभा चुनाव के पहले गुजरात, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, हरियाणा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड में चुनाव होंगे। इसके अलावा केंद्र सरकार के तरफ से संकेत है कि जम्मू और कश्मीर में भी जल्द चुनाव कराए जाएंगे। ऐसे में 12 राज्यों और 2024 को लोक सभा चुनाव अगले दो साल में होंगे। इसमें 7 राज्यों में भाजपा की सरकार है और केंद्र में वह लगातार तीसरी बार सरकार बनाने के लिए मैदान में उतरेगी।
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प्रशांत श्रीवास्तव author
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