Gujarat Assembly Elections: 2017 के आंकड़े से आगे बढ़ेगी बीजेपी या नतीजा कुछ और होगा
गुजरात में दो चरणों में 1 दिसंबर और पांच दिसंबर को मतदान होगा। हिमाचल प्रदेश के साथ ही नतीजे 8 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे।
2017 में बीजेपी के खाते में गई थी 99 सीट
गुजरात विधानसभा(gujarat assembly के लिए चुनावी तारीखों का ऐलान हो चुका है। 2017 की तरह इस दफा भी दो चरणों( two phase election in gujarat) में चुनाव होने जा रहे हैं हालांकि तारीख अलग है। नतीजों का जब ऐलान होगा तो साफ हो जाएगा कि जनता ने किस दल पर भरोसा जताया। वैसे गुजरात के ये नतीजे कई मायनों में खास होने वाले हैं। अगर बीजेपी एक बार फिर सत्ता में आने में कामयाब होती है तो भी इतिहास होगा। अगर जीत नहीं हासिल होती है तो भी इतिहास बनेगा। इस दफा बीजेुी के सामने कांग्रेस के साथ साथ आम आदमी पार्टी भी ताल ठोंक रही है। इन सबके बीच 2017 के नतीजे किस तरह के थे इसे समझना जरूरी है।
2017 में बीजेपी को 99 सीट
साल 2017 का दिसंबर का महीना था और गुजरात में चुनाव हो रहे थे। देश नोटबंदी के बाद के होने वाले असर से गुजर रहा था तो जुलाई 2017 में वन नेशन वन टैक्स की अवधारणा जमीन पर उतर चुकी थी। कांग्रेस इसे व्यापारियों का कमर तोड़ने की योजना बता रही थी तो बीजेपी के लिए यह देश की तरक्की के लिए जरूरी था। राजनीति के जानकार भी बता रहे थे कि जीएसटी बीजेपी के लिए गुजरात में आत्मघाती कदम सिद्ध होगा। इन सबके बीच बीजेपी के रणनीतिकार आशवस्त थे कि नतीजा उनके पक्ष में आएगा। चुनावी नतीजे जब घोषित हुए तो परिणाम बीजेपी के पक्ष में ही थे। लेकिन सीटों की संख्या में काफी कमी आ गई है। जो बीजेपी 110 के ऊपर विधानसभा में रहती थी वो तिहाई से दो अंकों में आ गई। बीजेपी के खाते में कुल 99 सीटें तो कांग्रेस के हिस्से में 77 सीट आई थी।
चुनावी मैदान में अब 'आप' भी
अब अगर मौजूदा गुजरात को देखें तो कांग्रेस के साथ साथ आम आदमी पार्टी चुनौती दे रही है। आम आदमी पार्टी का कहना है कि पंजाब की तरह ही गुजरात में कामयाबी का झंडा गाड़ेंगे। लेकिन क्या यह मुमकिन है। राजनीति के जानकारों का कहना है कि कांग्रेस जितनी कमजोर होगी उसका फायदा आप को मिल सकता है। लेकिन इसके साथ ही गुजरात की जनता डबल इंजन की सरकार को ध्यान में रखकर एक बार फिर बीजेपी के पक्ष में फैसला सुना सकती है। जानकारों का यह भी मानना है कि गुजरात में विपक्ष के पास मुद्दों की कमी नहीं थी। लेकिन कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर जिस तरह से भ्रन बना रहा है उसका फायदा आम आदमी पार्टी को मिल सकता है।
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ललित राय author
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