क्या नीतीश कुमार फिर मारेंगे पलटी, 'पीके' के ट्वीट को समझिए

प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर नीतीश कुमार से सवाल किया है कि जब वो एनडीए के साथ नहीं है तो उनका सांसद राज्यसभा में डिप्टी स्पीकर क्यों बने हुए हैं।

nitish kumar

नीतीश कुमार,सीएम, बिहार

बिहार में क्या कोई अलग तरह का समीकरण फिर नजर आएगा। क्या नीतीश कुमार एक बार फिर अलग भूमिका में नजर आएंगे। क्या नीतीश कुमार को आरजेडी के नेता एक बार पलटू राम कहेंगे या सिर्फ ये सब बातों वाली बात है। राजनीति संभावनाओं का खेल है और राजनीति में कुछ भी मुमकिन है। कौन सोच सकता था कि जंगल राज की बात कहने वाले आरजेडी के साथ मिलकर सरकार बनाएंगे। लेकिन सरकार बनी यह बात अलग है कि नीतीश और आरजेडी लंबे समय तक साथ नहीं रह सके। नीतीश, बीजेपी के साथ हो चले। 2020 के चुनाव में तीसरे नंबर की पार्टी होने के बावजूद वो सीएम बने। सीएम अब भी है हालांकि गठबंधन का दल बदल गया है। नीतीश कुमार के चुनावी सलाहकार रहे प्रशांत किशोर के ट्वीट का मतलब निकालें तो नीतीश ने एनडीए यानी बीजेपी से पूरी तरह से नाता नहीं तोड़ा है।

पीके का खास ट्वीट

नीतीश कुमार जी अगर आपका बीजेपी/एनडीए से कोई लेना-देना नहीं है तो अपने सांसद को राज्यसभा के उपसभापति का पद छोड़ने के लिए कहें।
आपके पास हर समय दोनों तरीके नहीं हो सकते। जानकारों का कहना है कि प्रशांत किशोर अगर इस तरह की बात कर रहे हैं तो उसके पीछे मायने है। आप सबको पता है कि हरिवंश इस समय राज्यसभा में डिप्टी स्पीकर हैं और उनके जरिए नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ संवाद का रास्ता खुला हुआ है। इसके साथ ही बिहार के गोपालगंज और मोकामा में दोनों जगहों पर विघानसभा उपचुनाव हो रहा है और दोनों जगहों पर आरजेडी के उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। कहने को तो आरजेडी और जेडीयू एक साथ हैं। लेकिन चुनावी समर में जेडीयू का कोई बड़ा नेता चुनावी अभियान के लिए नहीं पहुंचा है। इसके साथ ही एक कार्यक्रम में नीतीश कुमार ने कहा कि पहले की सरकार में 6 बजे के बाद सड़कों पर चलना सुरक्षित नहीं था। जब वो इस तरह की बात कह रहे थे कि स्वाभाविक है कि उनका इशारा किस तरफ था।

जीतन राम मांझी ने क्या कहा था

इसके साथ ही जीतन राम मांझी, बिहार के पूर्व सीएम ने एक और सीएम का महामाया सिन्हा का जिक्र करते हुए कहा था कि किस तरह राज्य के हित में एक पार्टी का इकलौता विधायक होने के बाद भी उन्होंने सत्ता संभाली। उनका मानना है कि अगर राज्य के हित में गठबंधन के संबंध में किसी तरह का फैसला लिया जाता है तो गलत नहीं है। दरअसल इस तरह के तर्कों के बीच कयास लगाए जा रहे हैं कि बिहार में राजनीति में एक अलग रूप अख्तियार कर सकती है।
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ललित राय author

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