'भारत जोड़ो यात्रा' से निखरी राहुल गांधी की छवि, 'गंभीर' नेता के रूप नें उभरे, सामने हैं कई चुनौतियां

Rahul Gandhi News: 'भारत जोड़ो यात्रा' ने राहुल गांधी को कांग्रेस का निर्विवाद रूप से नेता बना दिया है। अब कांग्रेस में शीर्ष नेतृत्व के रूप में उनका विरोध करने वाला फिलहाल कोई नहीं है। शीर्ष नेतृत्व पर सवाल उठाने वाले जी-23 समूह के नेता भी राहुल को अपना नेता मान चुके हैं।

'भारत जोड़ो यात्रा' ने राहुल गांधी की छवि बदली है।

Rahul Gandhi: कांग्रेस की 'भारत जोड़ो यात्रा' 30 जनवरी को श्रीनगर में समाप्त हो गई। राहुल गांधी की अगुवाई में निकली यह यात्रा 14 राज्य से गुजरी। करीब पांच महीनों तक की इस यात्रा को लोगों का समर्थन मिला। यात्रा से सभी तबके के लोग जुड़े। कन्याकुमार से अपनी यात्रा की शुरुआत और इसके बाद राहुल यह बार-बार कहते दिखे कि 'उनकी यह यात्रा भारत को जोड़ने के लिए है और वह नफरत की जगह मोहब्बत की दुकान लगाना चाहते हैं।' अपनी यात्रा के दौरान मीडिया से बातचीत में उन्होंने मोदी सरकार को निशाने पर लिया और महंगाई, बेरोजगारी और सीमा पर चीन के अतिक्रमण को लेकर सवाल उठाए।

यात्रा ने राहुल की बनाई 'गंभीर' नेता की छविजाहिर है कि 'भारत जोड़ो यात्रा' ने कांग्रेस में एक नई ऊर्जा का संचार किया है। खुद राहुल नए अवतार में नजर आए हैं। इस यात्रा ने राहुल की एक अलग छवि गढ़ी है। अब तक उन्हें 'पार्ट टाइम' नेता माना जाता था। ऐसा नेता जो राजनीति को गंभीरता से नहीं लेता। महत्वपूर्ण बैठकों एवं संसद सत्र से अनुपस्थित रहने एवं बार-बार विदेशी दौरों से उनकी इस तरह की छवि बनी थी लेकिन इस यात्रा के जरिए राहुल ने अपने बारे में बनाई गई इस छवि को तोड़ा है। वह एक गंभीर नेता के रूप में नजर आए हैं। 12 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों से गुजरते हुए वह आम लोगों से मिले, बच्चों के साथ खेले, महिलाओं का हाथ पकड़कर चले। राहुल के लिए यह सब नया अनुभव है। इस यात्रा से उन्हें भारत की नब्ज टटोलने में उन्हें आसानी हुई होगी।

कांग्रेस के 'सर्वमान्य नेता' राहुल गांधी'भारत जोड़ो यात्रा' ने राहुल गांधी को कांग्रेस का निर्विवाद रूप से नेता बना दिया है। अब कांग्रेस में शीर्ष नेतृत्व के रूप में उनका विरोध करने वाला फिलहाल कोई नहीं है। शीर्ष नेतृत्व पर सवाल उठाने वाले जी-23 समूह के नेता भी राहुल को अपना नेता मान चुके हैं। यह अलग बात है कि कांग्रेस अध्यक्ष पद की कमान मल्लिकार्जुन खड़गे के हाथ में है। राहुल गांधी ने भारतीय जनता पार्टी के मजबूत नेतृत्व के सामने एक ताकतवर विकल्प के रूप में खड़े होने की कोशिश की है। यात्रा के बाद लोग अब राहुल गांधी को गंभीरता से लेने लगे हैं।

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