Women Reservation Bill: लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पेश, नई संसद का शानदार आगाज
महिलाओं लिए आरक्षण का ऐतिहासिक बिल आखिरकार आज नई संसद की लोकसभा में पेश कर दिया गया। अब नई संसद में इस पर मुहर लगने की संभावना है।
संसद में महिला आरक्षण बिल पेश
Women Reservation Bill: नई संसद का आगाज भी आज शानदार और ऐतिहासिक कार्य के साथ हुआ। सरकार ने संसद के निचले सदन, राज्य विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण प्रदान करने से संबंधित ऐतिहासिक ‘नारीशक्ति वंदन विधेयक’ को मंगलवार को लोकसभा में पेश कर दिया। विधि एवं न्याय मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुनराम मेघवाल ने विपक्ष के शोर-शराबे के बीच ‘संविधान (128वां संशोधन) विधेयक, 2023’ पेश किया। नए संसद भवन में पेश होने वाला यह पहला विधेयक है।
महिला सांसदों की संख्या 82 से बढ़कर 181 हो जाएगी
मेघवाल ने विधेयक पेश करते हुए कहा कि यह विधेयक महिला सशक्तीकरण से संबंधित विधेयक है और इसके कानून बन जाने के बाद 543 सदस्यों वाली लोकसभा में महिला सदस्यों की मौजूदा संख्या (82) बढ़कर 181 हो जाएगी। इसके पारित होने के बाद विधानसभाओं में भी महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीट आरक्षित हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि विधेयक में फिलहाल 15 साल के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया है और संसद को इसे बढ़ाने का अधिकार होगा।
मेघवाल ने 2010 में महिला आरक्षण विधेयक राज्यसभा में पारित होने के बाद उसे लोकसभा से पारित न कराने को लेकर तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार की मंशा पर संदेह व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि राज्यसभा में पारित होने के बावजूद महिला आरक्षण विधेयक लोकसभा में पारित नहीं कराया जा सका, यह तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार की नाकामी को दर्शाता है। इस बीच अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि विधेयक पर चर्चा बुधवार को होगी।
इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा को संबोधित करते हुए कहा की उनकी सरकार लोकसभा एवं राज्य विधानसभाओं में महिला आरक्षण के प्रावधान वाले नारीशक्ति वंदन विधेयक को कानून बनाने के लिए संकल्पबद्ध है। मोदी ने कहा कि नारी शक्ति वंदन अधिनियम के माध्यम से हमारा लोकतंत्र और मजबूत होगा। मैं देश की माताओं, बहनों और बेटियों को नारी शक्ति वंदन अधिनियम के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं।
1996 से हुए कई प्रयास
महिलाओं के लिए विधायी आरक्षण के लिए कानून बनाने के लिए 1996 से कई प्रयास किए गए, लेकिन असफल रहे। 2010 में यूपीए सरकार इस विधेयक को राज्यसभा में पारित कराने में कामयाब रही, लेकिन सहयोगियों के कुछ दबाव के कारण इसे लोकसभा में पेश करने में विफल रही।
अरुण जेटली ने बताया था ऐतिहासिक
राहुल गांधी ने अपने पत्र में बताया कि कैसे भाजपा ने पहले इस विधेयक का समर्थन किया था और तत्कालीन केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने इसे ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण बताया था। हालांकि, यह दावा किया जा रहा है कि नया विधेयक 2010 के विधेयक की तरह नहीं होगा और आरक्षण का दायरा संसद और राज्य विधानसभाओं से परे बढ़ने की संभावना है। पहले के विधेयक में कोटा के भीतर कोटा के प्रावधान का जिक्र नहीं था जो कई क्षेत्रीय दलों की प्रमुख मांग थी।
संसद में 14 फीसदी महिला सांसद
संसद सत्र से पहले विपक्षी नेताओं ने महिला आरक्षण पर जोर दिया था। इस बीच, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सांसदों के विषम लिंग अनुपात की ओर भी इशारा किया, जहां संसद में केवल 14% महिलाएं थीं, जबकि राज्य विधानसभाओं में उनकी संख्या सिर्फ 10% है। इस बार एनडीए, इसके समर्थक बीजेडी और प्रमुख विपक्षी दलों के समर्थन से लोकसभा में 431 और राज्यसभा में 175 सांसदों के समर्थन से विधेयक के आसानी से पारित होने की संभावना है।
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