Women Reservation Bill: 2018 में राहुल गांधी ने दिया था PM मोदी को बिना शर्त समर्थन, सामने आया वो ट्वीट
यह दावा किया जा रहा है कि नया विधेयक 2010 के विधेयक की तरह नहीं होगा और आरक्षण का दायरा संसद और राज्य विधानसभाओं से परे बढ़ने की संभावना है।
महिला आरक्षण बिल पर राहुल गांधी का ट्वीट
Women Reservation Bill: कांग्रेस ने लंबे समय से लंबित महिला आरक्षण विधेयक को संसद के चल रहे विशेष सत्र के दौरान पेश करने के केंद्रीय मंत्रिमंडल के कदम का स्वागत किया है। संविधान संशोधन विधेयक पारित हो जाने के बाद संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण सुनिश्चित हो सकेगा। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजा गया राहुल गांधी का एक पुराना पत्र वायरल हो रहा है जिसमें राहुल ने महिलाओं को आरक्षण देने हेतु विधेयक पारित करने के लिए बिना शर्त समर्थन देने के बारे में लिखा था।
जयराम रमेश ने किया शेयर
जयराम रमेश द्वारा शेयर किया गया 2018 के पत्र में राहुल ने लिखा है- हमारे पीएम कहते हैं कि वह महिला सशक्तिकरण के एक योद्धा हैं? उनके लिए दलगत राजनीति से ऊपर उठने, अपनी बात कहने और महिला आरक्षण विधेयक को संसद से पारित कराने का समय है। कांग्रेस उन्हें बिना शर्त समर्थन की पेशकश करती है।
1996 से हुए कई प्रयास
महिलाओं के लिए विधायी आरक्षण के लिए कानून बनाने के लिए 1996 से कई प्रयास किए गए, लेकिन असफल रहे। 2010 में यूपीए सरकार इस विधेयक को राज्यसभा में पारित कराने में कामयाब रही, लेकिन सहयोगियों के कुछ दबाव के कारण इसे लोकसभा में पेश करने में विफल रही।
अरुण जेटली ने बताया था ऐतिहासक
राहुल गांधी ने अपने पत्र में बताया कि कैसे भाजपा ने पहले इस विधेयक का समर्थन किया था और तत्कालीन केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने इसे ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण बताया था। हालांकि, यह दावा किया जा रहा है कि नया विधेयक 2010 के विधेयक की तरह नहीं होगा और आरक्षण का दायरा संसद और राज्य विधानसभाओं से परे बढ़ने की संभावना है। पहले के विधेयक में कोटा के भीतर कोटा के प्रावधान का जिक्र नहीं था जो कई क्षेत्रीय दलों की प्रमुख मांग थी।
संसद में 14 फीसदी महिला सांसद
संसद सत्र से पहले विपक्षी नेताओं ने महिला आरक्षण पर जोर दिया था। इस बीच, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सांसदों के विषम लिंग अनुपात की ओर भी इशारा किया, जहां संसद में केवल 14% महिलाएं थीं, जबकि राज्य विधानसभाओं में उनकी संख्या सिर्फ 10% है। इस बार एनडीए, इसके समर्थक बीजेडी और प्रमुख विपक्षी दलों के समर्थन से लोकसभा में 431 और राज्यसभा में 175 सांसदों के समर्थन से विधेयक के आसानी से पारित होने की संभावना है।
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