Women's day 2023: अस्थिर देश सूडान में भारत का मान बढ़ा रहीं सेना की ये महिला जांबाज, बोलीं-आज के दौर में कुछ भी असंभव नहीं

Women's day 2023: भारत सरकार ने यूएन शांति मिशन के तहत गत जनवरी में महिला सैनिकों के एक दस्ते को सूडान भेजा। इन महिला सैनिकों की तैनाती अस्थिर एवं हिंसा ग्रस्त देश सूडान के अबेई में हुई है। साल 2007 के बाद यूएन मिशन के तहत भारतीय महिला सैनिकों की यह सबसे बड़ी तैनाती है।

sena sudan

सूडान में तैनात है भारतीय महिलाओं का दस्ता।

Women's day 2023: देश की महिला शक्ति का परचम आज हर क्षेत्र में देखने को मिल रहा है। सीमा की सुरक्षा हो या अंतरिक्ष में कमाल पुरुषों को दबदबे वाले सभी क्षेत्रों में ये अपनी प्रतिभा एवं काबिलियत का लोहा मनवा चुकी हैं। हर मोर्चे पर महिलाएं नए भारत की तकदीर लिख रही हैं। आठ मार्च को महिला दिवस है। इस खास अवसर पर देश का गौरव एवं मान-सम्मान बढ़ाने वाली नारी शक्ति के बारे में बात करना जरूरी हो जाता है। यहां हम बात करेंगे भारतीय सेना की उस महिला दस्ते की जो सूडान में अपनी सेवाएं दे रही है। भारत की इन महिला जांबाजों की तैनाती संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन के तहत हुई है।

सूडान में तैनात है महिला सैनिकों का दस्ताभारत सरकार ने यूएन शांति मिशन के तहत गत जनवरी में महिला सैनिकों के एक दस्ते को सूडान भेजा। इन महिला सैनिकों की तैनाती अस्थिर एवं हिंसा ग्रस्त देश सूडान के अबेई में हुई है। साल 2007 के बाद यूएन मिशन के तहत भारतीय महिला सैनिकों की यह सबसे बड़ी तैनाती है। इस जत्थे में मेजर रैंक की दो महिला अधिकारी और अन्य रैंक की 25 महिला सैनिक शामिल हैं।

इनकी तैनाती पर सेना ने अपने एक बयान में कहा कि सूडान में यह टीम यूएन झंडे के नीचे चुनौतीपूर्ण एवं विषम परिस्थितियों में महिलाओं एवं बच्चों के लिए राहत काम करेगी और उन्हें मदद पहुंचाएगी।

माता-पिता को हम पर गर्व होना चाहिए-मेजर शैलीअबेई में यूएन की अंतरिम सुरक्षा बल में तैनात मेजर शैली गहलावत ने समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा कि 'अभी मेरी तैनाती अबेई में है। इस इलाके को लेकर सूडान और दक्षिणी सूडान के बीच संघर्ष चलता है। इस तरह की परिस्थितियों का सामना करने के लिए हमें प्रशिक्षित किया गया है। यहां के हालात के बारे में जानकर हमारे माता-पिता थोड़े परेशान होंगे लेकिन उन्हें गर्व करना चाहिए।'

मेजर शैली ने कहा, 'महिला अधिकारियों के लिए एनडीए ने अपने दरवाजे खोल दिए हैं और यह गर्व की बात है। सशस्त्र सेनाओं में लिंग भेद नहीं है। सेना में भर्ती के लिए मानसिक परीक्षा, चयन प्रक्रिया पूरी तरह से निष्पक्ष है। देश की सेवा करने की इच्छा रखने वाली महिलाओं के लिए सेना एक सुनहरा अवसर है।'

आज के समय में कुछ भी असंभव नहीं-मेजर अभिलाषावहीं, भारतीय सेना में एविएशन कोर की पहली महिला कॉम्बैट एविएटर मेजर अभिलाषा बराक का कहना है कि 'खासकर यह मेरे माता-पिता के लिए गर्व की बात है। मेरे पुरुष साथी जो काम कर रहे हैं, उसी तरह की सेवा मैं भी दे रही हूं। ऐसे में मेरे अंदर यह कभी ख्याल नहीं आता है कि मैं कुछ अलग कर रही हूं। आप जो करना चाहते हैं उसके लिए आप में बस एक एक जज्बा होना चाहिए। आपको अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित होना होगा और अवसरों को लपकना होगा। जितना संभव हो सकता है आप परिश्रम करें। आज के समय में कुछ भी असंभव नहीं है।'

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आलोक कुमार राव author

करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने समाचारों की एक अंतर्दृष्टि और समझ विकसित की है। इ...और देखें

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