दुनिया के सामने खड़ा हो रहा है नया संकट, सिंगापुर से लेकर भारत पर होगा असर

World Population: बढ़ती आबादी का ही असर है कि दुनिया के लोगों के लिए पृथ्वी छोटी पड़ने लगी है। और अगर इतनी बढ़ी संख्या में लोगों का सामान्य तरीके से बोझ उठाना है तो उसके लिए मौजूदा पृथ्वी से 75 फीसदी ज्यादा जमीन चाहिए। यानी 1.75 साइज की पृथ्वी चाहिए।

संसाधानों पर बढ़ता बोझ

World Population:जल्द ही दुनिया की जनसंख्या 800 करोड़ पर पहुंचने वाली है। पिछले 50-55 साल में दुनिया की आबादी दोगुना बढ़ी है। यानी जिस आबादी को, पहले 100 करोड़ पहुंचने में जहां 1800 ईसवी तक का समय लगा। वहीं उसे 400 करोड़ से 800 करोड़ पहुंचने में केवल 50-55 साल लगेंगे। बढ़ती आबादी का ही असर है कि दुनिया के लोगों के लिए पृथ्वी छोटी पड़ने लगी है। और अगर इतनी बढ़ी संख्या में लोगों का सामान्य तरीके से बोझ उठाना है तो उसके लिए मौजूदा पृथ्वी से 75 फीसदी ज्यादा जमीन चाहिए। यानी 1.75 साइज की पृथ्वी चाहिए। वहीं अगर इसे देशों के आधार पर तुलना किया जाय तो भारत में मौजूद संसाधनों और लोगों की उपलब्धता के आधार पर 171 फीसदी जैविक क्षमता में कमी है। साफ है कि पृथ्वी पर आबादी का बोझ बढ़ रहा है और संसाधन घटते जा रहे हैं।

WWF और ग्लोबल प्रिंट नेटवर्क की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार के अनुसार दुनिया में असमान रूप से आबादी की मौजूदगी है। इस कारण कई देशों में संसाधनों की उपलब्धता, मौजूद आबादी की तुलना में बेहद कम है। जिसकी वजह से वह रेड जोन में है। इसमें चीन, भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूके, जापान, सिंगापुर, मिस्र, मैक्सिको, दक्षिण अफ्रीका जैसे देश शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार इन जगहों पर जैविक संसाधन की मौजूदगी और उसकी तुलना में फुट प्रिंट कहीं ज्यादा हैं।

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