दुनिया के सामने खड़ा हो रहा है नया संकट, सिंगापुर से लेकर भारत पर होगा असर
World Population: बढ़ती आबादी का ही असर है कि दुनिया के लोगों के लिए पृथ्वी छोटी पड़ने लगी है। और अगर इतनी बढ़ी संख्या में लोगों का सामान्य तरीके से बोझ उठाना है तो उसके लिए मौजूदा पृथ्वी से 75 फीसदी ज्यादा जमीन चाहिए। यानी 1.75 साइज की पृथ्वी चाहिए।
संसाधानों पर बढ़ता बोझ
सिंगापुर को 10,400 फीसदी ज्यादा जरूरत
WWF और ग्लोबल प्रिंट नेटवर्क की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार के अनुसार दुनिया में असमान रूप से आबादी की मौजूदगी है। इस कारण कई देशों में संसाधनों की उपलब्धता, मौजूद आबादी की तुलना में बेहद कम है। जिसकी वजह से वह रेड जोन में है। इसमें चीन, भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूके, जापान, सिंगापुर, मिस्र, मैक्सिको, दक्षिण अफ्रीका जैसे देश शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार इन जगहों पर जैविक संसाधन की मौजूदगी और उसकी तुलना में फुट प्रिंट कहीं ज्यादा हैं।
देश | जैविक क्षमता की तुलना में कितना बोझ (फीसदी में) |
सिंगापुर | 10,400 |
इजरायल | 2,440 |
बाराबडोस | 2,030 |
साइप्रस | 1770 |
देश | जैविक क्षमता की तुलना में कितना बोझ (फीसदी में) |
चीन | 311 |
भारत | 171 |
संयुक्त राज्य अमेरिका | 140 |
पाकिस्तान | 131 |
औद्योगिक क्रांति के बाद से तेजी से बढ़ी
आबादी बढ़ने के इतिहास को देखा जाय तो औद्योगिक क्रांति के बाद ही, दुनिया में आबादी ने बेहद तेजी से रफ्तार पखड़ी और उसका असर यह हुआ कि पहले 100 करोड़ रुपये हम 1800 ईसवी के आसपास पहुंचे तो 100 करोड़ से 200 करोड़ तक पहुचने में 130 साल का ही समय लगा। इसके बाद तकनीकी विकास और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार ने आबादी की रफ्तार बढ़ा दी। फिर 200 करोड़ से 300 करोड़ पहुंचने में केवल 30 साल का समय लगा। वहीं 300 करोड़ से 400 करोड़ पहुंचने में 14 साल का ही समय लगा। और अब 11 साल में हम 700 करोड़ से 800 करोड़ पहुंच गए। यानी केवल 50-55 साल में दुनिया की आबादी 400 करोड़ से 800 तक पहुंचने वाली है।
साल | आबादी |
1800 ईसवी के आसपास | 100 करोड़ |
1930 | 200 करोड़ |
1960 | 300 करोड़ |
1974 | 400 करोड़ |
1987 | 500 करोड़ |
1999 | 600 करोड़ |
2011 | 700 करोड़ |
2022 (15 नवंबर) | 800 करोड़ |
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