अयोध्या नहीं यहां बन रहा है दुनिया का सबसे बड़ा Hindu Mandir, ऐसी हैं 28 लाख वर्गफीट में फैले मंदिर की खूबियां
ISKCON Temple in West Bengal: यह मंदिर दुनिया का सबसे बड़ा वैदिक मंदिर भी होगा, जहां सिर्फ भगवान रहेंगे। यहां तीन विशाल शिखर बनाए गए हैं। मुख्य शिखर राधा-कृष्ण और पूर्वी शिखर नरसिंह देव का है। रोशनी से हवा तक के लिए प्राकृतिक व्यवस्था रहेगी। 350 फीट ऊंचे मंदिर में 14 लिफ्ट लगाई गई हैं।
यहां हम आपको उस मंदिर (Temple) की तस्वीरें दिखा रहे हैं जो अयोध्या के राम मंदिर से भी बड़ा होगा। दुनियाभर में कृष्णभक्ति से जोड़ने वाली संस्था इस्कॉन (ISKCON) पश्चिम बंगाल (West Bengal) के नदिया जिले के मायापुर में दुनिया का सबसे बड़ा वैदिक मंदिर का निर्माण करवा रही है। करीब 28 लाख वर्ग मीटर में फैला ये मंदिर परिसर दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर होगा। अब तक सबसे बड़े मंदिर के रूप में कंबोडिया के अंगकोरवाट को जाना जाता है जो करीब 16 लाख वर्ग मीटर में फैला है। ये मंदिर अगले साल 2024 में पूरी तरह बनकर तैयार हो जाएगा, इसका निर्माण साल 2009 यानी पिछले 14 साल से चल रहा है।संबंधित खबरें
दस मंजिला इमारत के बराबर नींववैदिक मंदिर की विशालता का अंदाज आप बात से भी लगा सकते हैं कि इसकी नींव करीब 100 फीट की है। यानी जमीन में दस मंजिला इमारत के बराबर। मंदिर का निर्माण पूरा होने के बाद एक साथ दस हजार लोग भगवान कृष्ण के दर्शन कर सकेंगे जबकि मंदिर परिसर में करीब एक लाख लोग आराम से घूम सकते हैं। इस मंदिर की लागत करीब 1 हज़ार करोड़ रुपये आयेगी और सबसे बड़ी बात ये मंदिर भारत की आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और ब्रह्मांड के वैदिक मॉडल
का सबसे बड़ा केंद्र होगा।
मंदिर की खूबियां- दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर
- मंदिर परिसर- 28 लाख वर्ग मीटर
- अंगकोरवाट मंदिर से बड़ा क्षेत्रफल
- कार्य पूर्ण- 2024 तक
- निर्माण शुरू- 2009
- निर्माण अवधि- 14 साल
- मंदिर की नींव- 100 फीट
- दर्शन क्षमता- 10 हज़ार
- परिसर क्षमता- 1 लाख
बनाए गए हैं तीन शिखर
अगले साल से इस मंदिर की पहचान दुनिया के सबसे बड़े मंदिर के रूप में जानी जाएगी, जहां दुनिया भर के किसी भी जाति-धर्म और संप्रदाय के लोग आ सकते हैं और भारत की पौराणिक काल से चली आ रही ब्रह्मांड के वैदिक मॉडल को समझ सकते हैं। इस मंदिर का सबसे आकर्षण का केंद्र इसके तीन शिखर हैं इसलिए पहले आपको इन विशाल शिखर के बारे में बता रहे हैं। बीच में मुख्य शिखर - वैदिक ब्रह्मांडीय झूमर है, दूसरा शिखर West विंग - भगवान विष्णु के अवतार भगवान नृसिंग देव का मंदिर है और तीसरा शिखर - East विंग के नीचे वैदिक तारामंडल बनाया जाएगा। जिस तरह आप स्पेस के बारे में जानने के लिए प्लेनेटेरियम में ग्रह-नक्षत्र दिखते हैं ठीक उसी तरह आप वैदिक प्लेनेटेरियम में सनातन धर्म में बताए गये सभी लोक के वर्चुअल दर्शन कर सकेंगे, उनके बारे में समझ सकेंगे। इन शिखरों पर सोने की परत चढ़ाई गई हैं।संबंधित खबरें
वैदिक तारामंडल मंदिर350 फीट ऊंचे इस मंदिर के शिखर तक पहुंचने के लिए 14 लिफ्ट लगाई गई हैं। इस मंदिर को दुनिया का वैदिक मंदिर इसलिए कहा जा रहा है ताकि लोग यहां आकर ये समझ सकें कि ये दुनिया किसने, कब और क्यों बनाई। दुनिया बनाने के पीछे का उद्देश्य क्या है। आमतौर ये बताया जाता है कि करोड़ों-अरबों साल पहले खगोलीय घटना से ब्रह्मांड और पृथ्वी जैसे दूसरे गृहों की उत्पत्ति हुई थी लेकिन सनातन धर्म के मुताबिक इसके पीछे पूरा विज्ञान है जिसके बारे में बहुत पहले वेदों में लिखा जा चुका है लेकिन मॉर्डन युग के चक्कर में इस ज्ञान से दूर होते चले गये। यह दुनिया का सबसे खास मंदिर हर मायने में होने वाला है। मंदिर के गुंबद को इस प्रकार बनाया जा रहा है कि भक्तों को दुनिया के बारे में भी पता चल सके. जैसे- वैदिक तारामंडल का मंदिर तीन गुंबदों से बना है। मुख्य केंद्र गुंबद (सबसे बड़ा भी) में वैदिक ब्रह्मांडीय झूमर के साथ-साथ दुनिया की सबसे बड़ी वैदिक वेदी भी है। वेस्ट विंग गुंबद में भगवान नृसिंहदेव का मंदिर है, आधा शेर, विष्णु का आधा आदमी अवतार है, और ईस्ट विंग समर्पित तारामंडल विंग है।
सभी लोक के होंगे दर्शन
क्योंकि इन्हीं तीन शिखर के नीचे इस मंदिर का पूरा सार है । इसमें मुख्य शिखर राधा-कृष्ण और पूर्वी शिखर नरसिंह देव का है। यह दुनिया का सबसे बड़ा वैदिक मंदिर भी होगा, जहां सिर्फ भगवान रहेंगे। यहां तीन विशाल शिखर बनाए गए हैं। मुख्य शिखर राधा-कृष्ण और पूर्वी शिखर नरसिंह देव का है। रोशनी से हवा तक के लिए प्राकृतिक व्यवस्था रहेगी। 350 फीट ऊंचे मंदिर में 14 लिफ्ट लगाई गई हैं। आमतौर पर प्लेनेटेरियम में ग्रह-नक्षत्र दिखाते हैं, लेकिन श्रीश्री मायापुर चंद्रोदय मंदिर में बन रहे प्लेनेटेरियम में सभी लोक के वर्चुअल दर्शन होंगे। यहां स्थापित सुदर्शन चक्र 20 फीट का है। वहीं कलश 40 फीट ऊंचा है। इस मंदिर में लगने वाले टाइल्स राजस्थान के धौलपुर के साथ ही वियतनाम, फ्रांस, दक्षिण अमेरिका से आए हैं। यहां स्थापित सुदर्शन चक्र 20 फीट का है। वहीं कलश 40 फीट ऊंचा है। इस मंदिर में लगने वाले टाइल्स राजस्थान के धौलपुर के साथ ही वियतनाम, फ्रांस, दक्षिण अमेरिका से आए हैं।संबंधित खबरें
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | देश (india News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल
End of Article
टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल author
अक्टूबर 2017 में डिजिटल न्यूज़ की दुनिया में कदम रखने वाला टाइम्स नाउ नवभारत अपनी एक अलग पहचान बना च...और देखें
End Of Feed
© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited