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बिम्स्टेक समिट में मोहम्मद यूनुस से PM मोदी मिलेंगे या नहीं? MEA के प्रवक्ता बोले-मेरे पास अभी कोई अपडेट नहीं

BIMSTEC Summit 2025 : बांग्लादेश ने राजनयिक चैनल के जरिए पीएम मोदी के साथ मोहम्मद यूनुस की मुलाकात कराने का अनुरोध किया है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार में विदेश मंत्रालय के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन ने ANI के साथ बातचीत में कहा कि 'बिम्स्टेक समिट से इतर दोनों नेताओं के बीच मुलाकात कराने के लिए हमने राजनयिक चैनल से भारत से अनुरोध किया है।'

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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल।

BIMSTEC Summit 2025 : थाईलैंड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के साथ होगी या नहीं, इस पर विदेश मंत्रालय ने प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल से यह पूछे जाने पर कि बिम्स्टेक सम्मेलन से इतर क्या दोनों नेताओं की मुलाकात होगी? इस सवाल पर जायसवाल ने कहा कि 'इस मामले में जानकारी देने के लिए उनके पास अभी कोई अपडेट नहीं है।' बिम्स्टेक का पूरा नाम 'बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी-सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक को-ऑपरेशन है।' यह बैठक 2 से 4 अप्रैल को बैंकाक में हो रही है।

28 मार्च को चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग से मिलेंगे यूनुस

दरअसल, बांग्लादेश ने राजनयिक चैनल के जरिए पीएम मोदी के साथ मोहम्मद यूनुस की मुलाकात कराने का अनुरोध किया है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार में विदेश मंत्रालय के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन ने ANI के साथ बातचीत में कहा कि 'बिम्स्टेक समिट से इतर दोनों नेताओं के बीच मुलाकात कराने के लिए हमने राजनयिक चैनल से भारत से अनुरोध किया है।' बैंकाक में यूनुस 28 मार्च को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलने वाले हैं। यह बंगाल की खाड़ी के आस-पास के देशों का एक क्षेत्रीय संगठन है। इसमें भारत, बांग्लादेश, म्यांमार, श्रीलंका, थाईलैंड, नेपाल और भूटान शामिल हैं।

पांच अगस्त से बांग्लादेश में हुई हिंसा की शुरुआत

पांच अगस्त के बाद बांग्लादेश में हिंदू सहित अल्पसंख्यकों के खिलाफ कट्टरपंथी तत्वों ने बड़े पैमाने पर हिंसा शुरू की। खासकर हिंदुओं को निशाना बनाया गया। उनके मंदिरों, संपत्तियों और कारोबार पर हमले हुए। हिंदू पुरुषों की हत्या और महिलाओं के साथ रेप की घटनाएं हुईं। देश में जितने भी गैर-मुस्लिम समुदाय थे सभी हिंसा के शिकार हुए। भारत सरकार बार-बार हिंदू और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का गुहार लगाती रही लेकिन बांग्लादेश हाथ पर हाथ धर कर बैठा रहा और चरमपंथी तत्वों को एक तरीके से खुली छूट दी। इस हिंसा की वजह से दोनों देशों के रिश्तों में काफी तल्खी आ गई।

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