फाइल फोटो:चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग
मुख्य बातें
- चीन में सख्त कोविड नीतियों के कारण शी जिनपिंग पहली बार खुलकर विरोध का सामना करना पड़ा है।
- रियल एस्टेट सेक्टर का बुरा हाल हो गया है, बेरोजगाी तेजी से बढ़ी है।
- प्रमुख एजेंसियों ने ग्रोथ के मामले में भारत को चीन से आगे निकलते हुए दिखाया है।
Tawang Clash: एक बार फिर से चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने नापाक इरादे दिखाए हैं। इस बार इसके लिए उन्होंने अरूणाचल प्रदेश के तवांग को चुना है। चीन की सेना PLA ने ठीक उसी तरह की जुर्रत की है जो उसने जून 2020 में लद्धाख के गलवान घाटी में की थी। वहां पर भी भारतीय सैनिकों ने चीन को सबक सिखाया था और अब फिर तवांग में भी उसे मुंह की खानी पड़ी है। सरकार के अनुसार तवांग में चीन के सैनिकों के साथ भारतीय सैनिकों की झड़प हुई थी। जिसमें भारतीय सैनिकों उन्हें वापस खदेड़ दिया। इस झड़प में दोनों ओर के सैनिकों को चोटें आई हैं, लेकिन चीन के सैनिक ज्यादा चोटिल हुए हैं। जबकि भारतीय सैनिकों को मामूली चोटें आई है। अहम बात यह है की चीनी सैनिकों ने उस समय हिमाकत की है जब चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग अपने देश में बुरी तरह घिरे हुए हैं। ऐसे में जिनपिंग की यह चाल एक्सपोज होती दिख रही है। और यह भी लग रहा है कि उन्हें गलवान का सबक भूल गया है।
जिनपिंग को भारी विरोध का करना पड़ रहा है सामना
चीन में शी जिनपिंग कई मोर्चे पर विरोध का सामना कर रहे हैं। पहले तो उन्हें सख्त कोविड नीति के वजह से लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा। उसके बाद आर्थिक मंदी ने उनके लिए और माहौल बिगाड़ दिया है। वहां पर हालात ऐसे हो गए कि एक समय लोग अपने बैंक से पैसे तक नहीं निकाल पा रहे थे। इसके अलावा चीन का रियल एस्टेट सेक्टर बुरी हालत में हैं। महंगाई की वजह से लोगों के पास ईएमआई के लिए पैसे नहीं है। कोविड की सख्ती की वजह से बेरोजगारी बढ़ गई है। कमर्शियल गतिविधियां ठप हो गई थी। इसका असर पूरी अर्थव्यवस्था पर पड़ा है। कई शहरों में इस साल प्रॉपर्टी के दाम 20 प्रतिशत से ज्यादा गिरे हैं। हाल के महीनों में बड़ी संख्या में लोगों की नौकरियां गई हैं। चीन में रोजगार संकट बढ़ता जा रहा है। हालात यह हैं कि चीन में 16 से 24 साल का हर पांचवां युवा बेरोजगार है।
हालात यह हो गए कि एक तरफ शी जिनपिंग माओ के बाद सबसे शक्तिशाली प्रीमियर बन के उभरे और तीसरी बार राष्ट्रपति चुने गए। लेकिन उनके खिलाफ महज एक महीने में ही नारे लगने लगेंगे। और शी जिनपिंग इस्तीफा दो, कम्युनिस्ट पार्टी सत्ता छोड़ो, हम पीसीआर नहीं स्वतंत्रता चाहते हैं' चीन के विभिन्न शहरों में इस तरह के नारे लगना आम बात हो गई। लोगों के भारी विरोध का ही परिणाम था कि जिनपिंग कोविड नीतियों में नरमी बरतनी पड़ी।
तवांग विवाद से क्या हासिल होगा
इस बीच जिस तरह की खबरें आ रही है उससे यह साफ है कि तवांग ने चीन में अचानक नापाक हरकत नहीं की है। उसके लिए पहले से तैयारियां हुई थी। ऐसे में साफ है कि जिनपिंग भारत के साथ सीमा विवाद बढ़ाकर घरेलू मोर्चे पर राहत की उम्मीद कर रहे हैं। लेकिन उनका यह कदम एक बार भारत और चीन के बीच टेंशन को बढ़ाएगा।
इसके अलावा भारत जैसे दुनिया के देशों के लिए ब्राइट स्पॉट बन रहा है, और कंपनियां भारत में निवेश को लेकर उत्साह जता रही है। वह भी जिनपिंग के लिए चिंता का सबब बनता दिख रहा है। आईएमएफ सहित दुनिया की प्रमुख एजेंसियों ने भारत को सबसे तेजी से ग्रोथ करने वाली अर्थव्यवस्था के रूप में प्रोजेक्ट किया है। जिसमें वह चीन से भी आगे है। आईएमएफ के अनुसार भारत 2023 में 6.2 फीसदी की ग्रोथ हासिल करेगा। जबकि चीन 4.4 फीसदी की दर से बढ़ेगा। इसी तरह 2027 तक भारत के चीन से आगे रहने का अनुमान है। ऐसे में अगर भारत में अशांति होगी तो निश्चित तौर पर उसके ग्रोथ पर असर होगा।