Yol : अब छावनी कस्बा नहीं रहेगा प्राकृतिक छटा से भरपूर हिमाचल का योल, सैन्य अड्डे में बदलेगी सरकार
Yol: स्वतंत्रता के समय 56 छावनी थीं और 1947 के बाद छह और छावनी अधिसूचित की गईं। अधिसूचित की गई अंतिम छावनी अजमेर थी, इसे 1962 में अधिसूचित किया गया था। बता दें कि छावनी में रहने वाले आम नागरिकों को संबंधित राज्य सरकारों की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ आमतौर पर नहीं मिलता है क्योंकि सैन्य सुविधाएं, रक्षा मंत्रालय के रक्षा संपदा विभाग के माध्यम से छावनी बोर्ड द्वारा शासित होती हैं।
हिमाचल प्रदेश के योल को सैन्य अड्डे में बदलेगी सरकार। -प्रतीकात्मक तस्वीर
Yol : औपनिवेशिक प्रथा को पीछे छोड़ने के लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। प्राकृतिक छटा से भरपूर हिमाचल प्रदेश के योल को सरकार सैन्य अड्डे के रूप में विकसित करने जा रही है। अभी तक योल सैन्य छावनी क्षेत्र में आता है। सूत्रों का कहना है कि यहां का सिविल एरिया का नगर पालिका में विलय होगा। इस बारे में सरकार गत 27 अप्रैल 2023 को एक अधिसूचना जारी कर चुकी है। समझा जाता है कि सरकार के इस कदम से सभी को फायदा पहुंचेगा।
सरकार के इस पहल का सभी ने स्वागत किया
इस इलाके में रहने वाले लोगों को सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा था लेकिन अब नगर पालिका के जरिए उन्हें लाभ मिल सकेगा। जहां तक सेना का प्रश्न है तो वह भी सैन्य अड्डों के विकास पर अपना ध्यान प्रमुखता से केंद्रित कर सकेगी। एक सूत्र ने कहा, ‘जहां तक सेना की बात है, वह भी अब सैन्य अड्डे के विकास पर ध्यान केंद्रित कर पाएगी। यह छावनी क्षेत्र से असैन्य क्षेत्र को अलग किए जाने की श्रृंखला में पहला कदम है, जिसका सभी ने स्वागत किया है।’
लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा था
स्वतंत्रता के समय 56 छावनी थीं और 1947 के बाद छह और छावनी अधिसूचित की गईं। अधिसूचित की गई अंतिम छावनी अजमेर थी, इसे 1962 में अधिसूचित किया गया था। बता दें कि छावनी में रहने वाले आम नागरिकों को संबंधित राज्य सरकारों की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ आमतौर पर नहीं मिलता है क्योंकि सैन्य सुविधाएं, रक्षा मंत्रालय के रक्षा संपदा विभाग के माध्यम से छावनी बोर्ड द्वारा शासित होती हैं। सूत्रों ने बताया कि असैन्य क्षेत्रों को छावनी इलाके से बाहर किए जाने की वहां रह रहे आम नागरिक और राज्य सरकार काफी लंबे समय से मांग कर रही थीं।
‘छावनियां औपनिवेशिक संरचनाएं'
एक अधिकारी ने बताया कि रक्षा बजट का एक बड़ा हिस्सा छावनियों के असैन्य क्षेत्रों के विकास पर खर्च किया जाता है। उन्होंने कहा कि छावनियों के असैन्य क्षेत्रों के लगातार बढ़ते विस्तार के कारण इन सुविधाओं में प्रमुख रक्षा भूमि पर दबाव बढ़ रहा है। एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘छावनियां औपनिवेशिक संरचनाएं हैं और इस तरह के कदम उठाकर सैन्य अड्डों का बेहतर ढंग से प्रशासन किया जा सकता है।’
(एजेंसी इनपुट के साथ)
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | देश (india News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल
End of Article
आलोक कुमार राव author
करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने...और देखें
End Of Feed
© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited