'टारगेट पूरा न होने पर इलेक्ट्रिक शॉक देते थे', म्यांमार से लौटे भारतीय का छलका दर्द

Myanmar Fake Job Racket: स्टीफन ने बताया, 'दुबई में जिन छह लोगों का इंटरव्यू हुआ उनमें एक महिला भी थी। यह इंटरव्यू आमने-सामने और वीडियोकॉन्फ्रेंस दोनों तरीके से हुआ। एजेंसी ने बताया कि थाईलैंड में काम करने के लिए कंपनी ने हम सभी को सेलेक्ट किया है।'

फर्जी जॉब रैकेट का शिकार हुए हैं भारतीय युवा।

मुख्य बातें
  1. भारत ने फर्जी जॉब रैकेट में फंसे 45 भारतीय नागरिकों को म्यांमार से निकाला है
  2. देश पहुंचने के बाद भारतीय युवाओं ने वहां अपने साथ हुई ज्यादती को बताया है
  3. युवाओं का कहना है कि टारगेट पूरा न करने पर उन्हें कड़ी सजा दी जाती थी

Fake Job Racket: पड़ोसी देश म्यांमार में फेक जॉब रैकेट में फंसे भारतीय नागरिक स्वदेश पहुंचने लगे हैं। विदेश मंत्रालय का कहना है कि अब तक 45 युवकों को वापस लाया जा चुका है। भारतीय नागरिकों के स्वदेश पहुंचने के साथ ही उनकी दर्दभर दास्तां एवं यातना के किस्से भी पहुंचे हैं। भारतीय युवाओं का कहना है कि उन्हें बंधक बनाकर रखा गया। इन्हीं में से एक सी स्टीफन वेस्ली ने बताया है कि साइबर क्राइम में संलिप्त कंपनियां उन जैसे 800 भारतीय को बंधक बनाकर उनसे जबरन काम ले रही थीं।

टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक कोयम्बटूर के 29 वर्षीय सी स्टीफन का कहना है कि 'सेना हमें अपने मुख्यालय ले गई। उन्होंने हमसे ढेर सारे सवाल किए। इसके बाद हमें फिर ऑफिस में छोड़ दिया गया। अपने साथ हो रहे बर्ताव को लेकर हम लोग काफी डरे हुए थे।' स्टीफन तमिलनाडु के उन 13 भारतीयों में से हैं जो गुरुवार को यहां आए। म्यांमार में स्टीफन की यातना का दौर तीन महीने पहले शुरू हुआ। बेंगलुरु में ग्राफिक डिजाइनर का काम करने वाले स्टीफन ने अपनी नौकरी छोड़ी दी। फिर उन्हें कोयम्बटूर में फ्रिलांस कंसलटेंट का जॉब मिल गया। गत जुलाई में उनके एक दोस्त ने एक भर्ती एजेंसी के बारे में बताया। इस कंपनी ने थाईलैड में जॉब के लिए उनका इंटरव्यू दुबई में कराया।

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