Sarkari Naukri 2023: दिल्ली के स्कूलों में शिक्षको के 16000 से ज्यादा पद खाली, DU में इन पदों की भर्ती शुरू

Sarkari Naukri 2023: दिल्ली में दिल्ली सरकार और एमसीडी के स्कूलों में 16000 से ज्यादा शिक्षकों के पद खाली हैं, जिस पर उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार और नगर निगम को स्कूलों में शिक्षकों के खाली पदों को भरने के लिए उठाए गए कदम पर जवाब तलब किया है। दूसरी तरफ, दिल्ली विश्वविद्यालय से सम्बद्ध कॉलेजों में स्थायी प्रिंसिपलों की नियुक्ति संबंधी स्क्रीनिंग शुरू हो चुकी है। लगभग 20 अलग-अलग कॉलेजों में स्थाई प्रिंसिपल्स की नियुक्ति की जानी है।

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दिल्ली के स्कूलों में शिक्षको के 16000 से ज्यादा पद खाली (image source - pixabay)

तस्वीर साभार : IANS

Sarkari Naukri 2023: दिल्ली में दिल्ली सरकार और एमसीडी के स्कूलों में 16000 से अधिक शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं। शिक्षकों की कुल रिक्तियां 16 हजार 546 है। इस संबंध में उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार और नगर निगम को स्कूलों में शिक्षकों के खाली पदों की स्थिति और इन्हें भरने के अभी तक क्या कदम उठाए गए हैं इस पर जवाब तलब किया है।

गौरतलब है कि दिल्ली के शिक्षा निदेशालय की ओर से न्यायालय को जो जानकारी दी गई है उस जानकारी के मुताबिक लाइब्रेरियन को मिलाकर दिल्ली सरकार के स्कूलों में शिक्षकों की कुल क्षमता 53933 है इनमें से 16546 पद खाली पड़े हैं इसमें भी सबसे अधिक टीजीटी के 10956 पद खाली पड़े हैं। कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए 4 सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड को भी हलफनामा दाखिल कर खाली पदों को भरने की स्थिति के बारे में जानकारी देने को कहा है।

प्रिंसिपल्स की होनी है नियुक्ति

IANS की एक और खबर के अनुसार, दिल्ली विश्वविद्यालय से सम्बद्ध कॉलेजों में स्थायी प्रिंसिपलों की नियुक्ति संबंधी स्क्रीनिंग शुरू हो चुकी है। लगभग 20 अलग-अलग कॉलेजों में स्थाई प्रिंसिपल्स की नियुक्ति की जानी है। इनमें से अधिकांश कॉलेज दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित हैं। इनमें से एक भारती कॉलेज ने प्रिंसिपल पद की स्क्रीनिंग के बाद नामों को शॉर्टलिस्टिड कर वेबसाइट पर डाल दिया गया है।

10 मार्च को प्रिंसिपल पद के लिए साक्षात्कार की तिथि तय की गई है। माना जा रहा है कि 10 मार्च के उपरांत अन्य सभी कॉलेजों में भी नियुक्ति की प्रक्रिया तेज होनी है। फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस के चेयरमैन डॉ. हंसराज सुमन ने लंबे समय से कॉलेजों में खाली पड़े प्रिंसिपल पदों पर नियुक्ति किए जाने पर खुशी जाहिर करते हुए कहा है कि पिछले कई वर्षों से इन कॉलेजों में कार्यवाहक या ओएसडी प्रिंसिपल काम कर रहे हैं, स्थायी प्रिंसिपल मिलने के बाद शैक्षिक व गैर-शैक्षिक पदों पर स्थायी नियुक्ति की संभावना बढ़ जाएगी।

सुमन ने बताया है कि भारती कॉलेज ने प्रिंसीपल की पोस्ट की स्क्रीनिंग व स्कूटनी करने के बाद कॉलेज ने अपनी वेबसाइट पर 25 उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्टिड किया है। इनमें 20 उम्मीदवारों को एपीआई स्कोर के अंतर्गत सही पाया गया है। 05 उम्मीदवारों के टीचिंग एक्सपीरियंस, रिसर्च आर्टिकल, एजुकेशनल सर्टिफिकेट की कमी के कारण रिजेक्ट किया है। हालांकि कॉलेज ने उन्हें किसी भी तरह की त्रुटि को सही करने का समय दिया था।

भारती कॉलेज के बाद श्री अरबिंदो कॉलेज, सत्यवती कॉलेज, अरविंदो कॉलेज, भगतसिंह कॉलेज (सांध्य) राजधानी कॉलेज, शिवाजी, महाराजा अग्रसेन कॉलेज, मोतीलाल नेहरू कॉलेज, दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, मैत्रीय कॉलेज, विवेकानंद कॉलेज, भीमराव अंबेडकर कॉलेज, अरबिंदो कॉलेज (सांध्य) आदि कॉलेजों में प्रिंसिपल पद की स्क्रीनिंग व स्कूटनी का कार्य पूरा किया जा रहा है। जल्द ही इसकी सूचना आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध कराई जाएगी।

दरअसल दिल्ली विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले 20 से अधिक कॉलेजों में प्रिंसिपलों की पोस्ट खाली पड़ी है। इनमें सबसे ज्यादा दिल्ली सरकार के कॉलेज है जहां 5 साल या उससे अधिक समय से प्रिंसिपल कार्यवाहक या ओएसडी काम कर रहे हैं। इन कॉलेजों में विवेकानंद कॉलेज, महाराजा अग्रसेन कॉलेज, महर्षि बाल्मीकि कॉलेज ऑफ एजुकेशन, भीमराव अम्बेडकर कॉलेज, शहीद भगतसिंह कॉलेज (सांध्य) श्री अरविंदो कॉलेज, श्री अरविंदो कॉलेज (सांध्य) मोतीलाल नेहरू कॉलेज, मोतीलाल नेहरू कॉलेज (सांध्य) सत्यवती कॉलेज, सत्यवती कॉलेज (सांध्य) राजधानी कॉलेज, शिवाजी कॉलेज, श्यामा प्रसाद मुखर्जी कॉलेज, भगिनी निवेदिता कॉलेज, आचार्य नरेंद्रदेव कॉलेज, भारती कॉलेज, इंदिरा गांधी फिजिकल एंड स्पोर्ट्स कॉलेज, मैत्रीय कॉलेज, दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज, गार्गी कॉलेज, कमला नेहरू कॉलेज आदि हैं। इसके अलावा शामलाल कॉलेज (सांध्य) भी बिना स्थायी प्रिंसिपल के चल रहा है।

डॉ. सुमन ने बताया है दिल्ली सरकार के अधिकांश कॉलेजों में लंबे समय से कुछ तो 5 साल या उससे अधिक से प्रिंसीपल के पद खाली पड़े हुए हैं। इसी तरह से प्रिंसिपलों के पदों पर भी नियुक्ति न होने से टीचिंग व नॉन टीचिंग की परमानेंट वेकेंसी नहीं निकाली गई, कुछ ने निकाली है तो पूरा आरक्षण नहीं दिया गया है। प्रिंसिपलों के कारण लायब्रेरी में नॉन टीचिंग की नियुक्तियां भी नहीं हो पा रही हैं। उन्होंने बताया है कि ओबीसी सेकेंड ट्रांच के टीचिंग व नॉन टीचिंग पदों को आज तक नहीं भरा गया। उन्होंने डीयू के वाइस चांसलर से जल्द से जल्द कॉलेजों में प्रिंसिपलों की नियुक्ति में आरक्षण देते हुए प्रिंसिपल पदों को निकाला जाए ताकि सामाजिक न्याय का सही से पालन हो सकें।

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