नौकरी के फ्रंट पर अच्छी खबर,2 करोड़ नौकरियां वापस आईं,शहरों में अब ज्यादा वेतन
Salaried Jobs in India: CMIE द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार अक्टूबर 2022 तक 2 करोड़ नौकरियां वापस आ गई हैं। और इसका असर यह हुआ है कि देश की कुल नौकरियों में Salaried Jobs की हिस्सेदारी 21.4 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई है। जो कि लॉकडाउन में गिरकर 17 फीसदी पर आ गई थी।
भारत में नौकरियों के अवसर बढ़े
मुख्य बातें
- सितंबर के महीने में जहां 8.6 करोड़ नौकरियां आई हैं। वहीं अक्टूबर में 8.47 करोड़ नौकरियां वापस आईं ।
- लॉकडाउन में स्थायी वेतन वाली नौकरियों की संख्या घटकर 6.5 करोड़ के स्तर पर पहुंच गई थी।
- शहरी इलाकों में अब औसत वेतनमान 3 लाख रूपये सालाना पहुंच गया है।
Jobs In India: नौकरी के मोर्चे पर अच्छी खबर है। देश में मार्च 2020 में कोविड-19 की वजह से लगे लॉकडाउन के बाद पहली बार वेतन भोगी (Salaried Jobs) यानी संगठित क्षेत्र में नौकरियों का स्तर लॉकडाउन से पहले के स्तर पर पहुंचा है। अच्छी बात यह है कि यह सुधार लगातार दो महीने से जारी है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE)के अनुसार बीते सितंबर और अक्टूबर में वेतन वाली नौकरियों की संख्या लॉकडाउन के पहले के स्तर पर पहुंच गई है। सितंबर के महीने में जहां 8.6 करोड़ नौकरियां आई हैं। वहीं अक्टूबर में 8.47 करोड़ नौकरियां वापस आई । सितंबर की तुलना में अक्टूबर में वेतमान वाली नौकरियों की संख्या भले घटी है, लेकिन इसके बावजूद यह मार्च 2020 के पहले के स्तर पर पहुंच गई हैं।
2 करोड़ नौकरियां वापस आई
CMIE द्वारा पब्लिक की गई रिपोर्ट के अनुसार अक्टूबर 2022 तक 2 करोड़ नौकरियां वापस आ गई हैं। और इसका असर यह हुआ है कि देश की कुल नौकरियों में Salaried Jobs की हिस्सेदारी 21.4 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई है। जो कि लॉकडाउन में गिरकर 17 फीसदी पर आ गई थी। और नौकरियों की संख्या घटकर 6.5 करोड़ के स्तर पर पहुंच गई थी। कुल नौकरियों में वेतन वाली नौकरियों का मौजूदा स्तर लॉकडाउन के पहले के स्तर के करीब है। उस वक्त Salaried Jobs की 22 फीसदी हिस्सेदारी हुआ करती थी।
पहले लॉकडाउन में 18 फीसदी ने गंवाई थी नौकरी
रिपोर्ट में एक अहम बात जो सामने आई है कि मार्च 2020 में जब लॉकडाउन लगा था। तो पहले महीने में 18 फीसदी वेतन भोगी लोगों की नौकरी चली गई थी। और इस दौरान शहरी इलाकों में ज्यादा लोगों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी थी। ऐसे में जब रिकवरी हो रही है तो शहरों में ही इसका ज्यादा असर दिख रहा है। सितंबर में जहां शहरी इलाकों में 21.4 लाख नौकरियां वापस आईं, वहीं अक्टूबर 2022 में 22.6 लाख नौकरियां वापस आईं। इसके अलावा अच्छी बात यह हुई है कि शहरी इलाकों में लॉकडाउन से पहले की तुलना में अब ज्यादा वेतन मिलने लगा है। शहरी इलाकों में औसत वेतनमान 3 लाख रुपये सालाना हो गया है। इसके पहले संगठित क्षेत्र में औसत वेतन सालाना 263,385 रुपये था।
दिहाड़ी मजदूरों और छोटे बिजनेस पर क्या असर
CMIE के अनुसार मार्च 2020 में जब लॉकडाउन लगाया गया था, तो अप्रैल 2020 में 68 फीसदी दिहाड़ी मजदूरों और 20 फीसदी कारोबार से जुड़े लोगों को बेरोजगार होना पड़ा था। हालांकि अगस्त 2020 आते-आते दिहाड़ी मजदूर और बिजनेस से जुड़े क्षेत्र में मार्च 2020 का स्तर आ गया था। लेकिन पिछले 2 महीने में असंगठित क्षेत्र में 1.18 करोड़ लोगों की नौकरियां गई हैं। जिन पर ध्यान देने की बेहद जरूरत है। और इसमें से ज्यादातर ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोग हैं।
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प्रशांत श्रीवास्तव author
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