संसद हमले के 23 साल, जब जांबाजों ने 5 आतंकियों के मंसूबों को नहीं होने दिया कामयाब; जानें

13 December History: तेरह दिसंबर का दिन इतिहास में देश-विदेश की कई बड़ी घटनाओं के साथ दर्ज है। आज ही के दिन आतंक का काला साया देश के लोकतंत्र की दहलीज तक आ पहुंचा था। राजधानी दिल्ली में स्थित संसद भवन में घुसने के लिए आतंकवादियों ने सफेद रंग की एम्बेसडर का इस्तेमाल किया, लेकिन सुरक्षाबलों ने उन्हें मार गिराया।

संसद भवन हमला

मुख्य बातें
  • गेट नंबर 12 से संसद में घुसे आतंकवादी।
  • सतर्क सुरक्षा बलों ने आतंकियों को कर दिया ढेर।
  • इस दौरान कई सुरक्षाकर्मी भी शहीद हो गए।

13 December History: तेरह दिसंबर का दिन इतिहास में देश-विदेश की कई बड़ी घटनाओं के साथ दर्ज है। 2001 में 13 दिसंबर की सुबह आतंक का काला साया देश के लोकतंत्र की दहलीज तक आ पहुंचा था। 13 दिसंबर, 2001 को सुबह लगभग साढ़े ग्यारह बजे एक सफेद एंबेसडर कार में सवार पांच आतंकवादी संसद भवन के गेट नंबर 12 से संसद परिसर में घुसे। गोलियों की आवाज सुनते ही सीआरपीएफ के जवानों ने जवाबी कार्रवाई शुरू की। आतंकवादी हमले के समय संसद में तत्कालीन गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी समेत कई मंत्री, सांसद एवं पत्रकार मौजूद थे।

संसद में घुसने की कोशिश

एक आतंकवादी ने गेट नंबर-1 से संसद में घुसने की कोशिश की। हालांकि, सतर्क सुरक्षा बलों ने उसे ढेर कर दिया। शेष आतंकवादियों ने एक अन्य गेट से संसद में घुसने की कोशिश की। इस बार भी सुरक्षा बलों को कामयाबी मिली और चार में से तीन आतंकवादियों को मार गिराया गया। बाद में जिंदा बचे एक और आतंकवादी को भी सुरक्षा बलों ने मार गिराया। इस दौरान कई सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए, जिनमें से कुछ निहत्थे भी थे।

अपनी जान की परवाह किए बिना आतंकवादियों को रोकने में दिल्ली पुलिस, सीआरपीएफ और संसद के वॉच एंड वार्ड स्टाफ के आठ सदस्य शहीद हुए। इन वीर सपूतों को प्रत्येक वर्ष 13 दिसंबर को श्रद्धांजलि दी जाती है।

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