रचनाओं का अथाह सागर पीछे छोड़ जब 'उपन्यास सम्राट' ने दुनिया को कहा था अलविदा; जानें आज की तारीख का इतिहास

8 October History: दुनिया के इतिहास में 8 अक्टूबर का दिन महत्वपूर्ण घटनाओं के नाम दर्ज है। आज ही के दिन महानतम लेखकों में शुमार मुंशी प्रेमचंद ने 1936 को अंतिम सांस ली। प्रेमचंद जिनका मूल नाम धनपत राय था, उन्हें शरतचंद्र चट्टोपाध्याय ने ‘उपन्यास सम्राट’ कहकर संबोधित किया था।

आज का इतिहास

मुख्य बातें
  • प्रेमचंद ने हिंदी साहित्य को यर्थाथवाद का अमृत चटाया।
  • 300 कहानियां और 14 बड़े उपन्यास छोड़ गए पीछे।
  • वाराणसी के लमही गांव में हुआ था 'उपन्यास सम्राट' का जन्म।
8 October History: इतिहास में आठ अक्टूबर की तारीख हिंदी और उर्दू के महानतम लेखकों में शुमार मुंशी प्रेमचंद की पुण्यतिथि के तौर पर दर्ज है। प्रेमचंद ने हिंदी कहानी और उपन्यास की एक ऐसी परंपरा का विकास किया, जिसने पूरी सदी के साहित्य का मार्गदर्शन किया।
प्रेमचंद का मूल नाम धनपत राय था। उनका आठ अक्टूबर 1936 को निधन हुआ। प्रेमचंद को शरतचंद्र चट्टोपाध्याय ने ‘उपन्यास सम्राट’ कहकर संबोधित किया था। साहित्य की यथार्थवादी परंपरा की नींव रखने वाले प्रेमचंद का लेखन हिंदी साहित्य की एक ऐसी विरासत है, जो हिंदी के विकास की यात्रा को संपूर्णता प्रदान करती है।
सहज हिंदी में बोझिल बातों को आसानी से कहकर आंखों से पानी की धार बहा देने का हुनर था प्रेमचंद में। जिन्होंने जो कागजों में लिखा उसे जीवन में भी उतारा। प्रेमचंद ने हिंदी साहित्य को यर्थाथवाद का अमृत चटाया। समाज के तमाम झंझावात झेल आगे बढ़ रहे कैरेक्टर को उन्होंने कहानी का नायक बनाया। यही वजह है कि दशकों बीत गए, लेकिन आज भी प्रासंगिक हैं। लगता है जैसे रचनाएं आज के माहौल में ही गढ़ी गई हों।
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