अपने खानपान में बदलाव करके धरती को बचाने में कर सकते हैं मदद, कैसे ये जान लीजिए
भरपूर पोषण और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए हमें क्या खाना चाहिए? इसे लेकर अलग-अलग विचार हैं जिसके कारण हम खाद्य पदार्थ का चयन करने में भ्रमित हो जाते हैं।
अपनी डाइट बदलकर धरती को बचाएं
Change Diet, Save Earth: अपनी आहार सूची में ऐसे खाद्य पदार्थों का चयन करना एक जटिल समस्या है जो हमारे लिए बेहतर हों, पृथ्वी के लिए अच्छे हों, हमारी पहुंच में हों और सस्ते हों, लेकिन संयोग से यह शोध इस काम में आपकी मदद कर सकता है। ग्रीनहाउस गैस के वार्षिक उत्सर्जन में 30 प्रतिशत हिस्सा वैश्विक खाद्य प्रणाली का है। पर्यावरण की दृष्टि से खाद्य उत्पादन का बड़ा योगदान है, वहीं हम जो खाना खाते हैं वह भी उतना ही असर डालता है।
पर्यावरण की सुरक्षा के लिए हमें क्या खाना चाहिए?
भरपूर पोषण और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए हमें क्या खाना चाहिए? इसे लेकर अलग-अलग विचार हैं जिसके कारण हम खाद्य पदार्थ का चयन करने में भ्रमित हो जाते हैं। जीवन-यापन के संकट भरे इस दौर में जरूरी है कि हमारा खानपान किफायती हो और उससे बिल्कुल अलग न हो जिसे खाने के हम आदी हैं ताकि लंबे समय तक हम इसे अपना सकें। संयोग से, हम इस बात से अवगत हैं कि एक स्वास्थ्यवर्धक खानपान किस तरह का होता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन और संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन ने ऐसे खानपान को टिकाऊ स्वास्थ्यवर्धक आहार के रूप में परिभाषित किया है जो लोगों के स्वास्थ्य के सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर अपनाया गया हो, पर्यावरण पर कम प्रभाव डालता हो, सभी की पहुंच में हो, किफायती हो, सुरक्षित तथा सांस्कृतिक रूप से स्वीकार्य हो। सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए इस तरह के खानपान का चयन करना एक जटिल समस्या है और इसे सुलझाने में कई दिन लग सकते हैं।
न्यूजीलैंड के शोधकर्ताओं ने बनाई प्रणाली
इसलिए इस समस्या के समाधान की खातिर न्यूजीलैंड के रिडेट इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने कंप्यूटर आधारित गणितीय मॉडलिंग प्रणाली को अपनाया। इस प्रणाली को तैयार करने का मुख्य उद्देश्य ऐसे खाद्य पदार्थों का चयन करना है जिसमें सभी पहलुओं का ध्यान रखा गया हो, मसलन उनमें भरपूर मात्रा में पोषक तत्व हों, वे किफायती हों और उनका पर्यावरण पर प्रभाव कम से कम हो। साथ ही इसकी मदद से शोधकर्ता ऐसी आहार सूची बना सकते हैं जिसे लोगों के मौजूदा खानपान तरीकों और सांस्कृतिक प्राथमिकताओं में कम से कम बदलाव करके तैयार किया गया हो।
1945 से आहार अनुकूलन का चलन
आहार अनुकूलन कोई नया चलन नहीं है। इसकी शुरुआत 1945 से हुई थी जब अर्थशास्त्री डॉ. जॉर्ज जे. स्टिग्लर ने कम से कम खर्च में आहार सूची तैयार कर इसे अपने रोजमर्रा के जीवन में शामिल किया था। मौजूदा समय की बात करें तो शोधकर्ता भी इसे अपना रहे हैं। आप एक ऐसी प्रणाली की कल्पना करें जो कि सभी की पहुंच में हो और उपयोगकर्ताओं - जागरूक उपभोक्ताओं से लेकर नीति निर्माताओं तक, को आहार संबंधी परामर्श मुहैया करने और उनकी पर्यावरण संबंधी चिंताओं को दूर करने में मददगार हो।
पोषक तत्वों से भरपूर आहार का लगाएं पता
न्यूजीलैंड की संस्था ‘सस्टेनेबल न्यूट्रीशन इनिशिएटिव’ एक ऐसा आहार अनुकूलन उपकरण टूल कर रही है जिसे ‘आईओटीए’ मॉडल नाम दिया गया है और इसकी मदद से उपयोगकर्ता इस बारे में आसानी से पता लगा सकते हैं कि एक सामान्य आहार सूची को पोषक तत्वों से भरपूर आहार सूची में बदलने के लिए क्या करना होगा और इसके पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ सकते हैं? यह सब उपयोगकर्ता के मौजूदा खानपान संबंधी आदतों में कम से कम बदलाव करके तैयार किया जाएगा ताकि नये आहार को अपनाने में उपयोगकर्ता को आसानी हो।
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