VVPAT और Ballot Paper के बीच क्या है फर्क? कैसे होता है इनका इस्तेमाल, यहां हैं आपके हर सवाल के जवाब
देश में लोकतंत्र का त्योहार मनाया जा रहा है। मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर रहे हैं। साथ ही चुनाव आयोग चुनाव प्रक्रिया को और भी ज्यादा पारदर्शी बनाने के लिए समय-समय पर प्रयास करता रहता है। इस बीच, हम आपको वीवीपैट और बैलेट पेपर (मतपत्र) के बीच क्या अंतर है, इसके बारे में विस्तार से जानकारी देंगे।
वीवीपैट और मतपत्र
Lok Sabha Elections: चुनाव लोकतंत्र का सबसे खूबसूरत पर्व है और इन चुनावों में देश की जनता बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती है, क्योंकि जनता के कंधों पर सर्वोत्तम सरकार चुनने की जिम्मेदारी होती है और इसी जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए लोग मतदान करते हैं। भारत में फ्री एंड फेयर इलेक्शन होते हैं यानी की देश में निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से चुनाव कराए जाते हैं। ऐसे में आज हम इन चुनावों में इस्तेमाल होने वाली वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) के बारे में समझेंगे और यह जानेंगे कि वीवीपैट और बैलेट पेपर (Ballot Paper) में क्या अंतर है।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने वीवीपैट के 100 फीसद सत्यापन से जुड़ी याचिका को खारिज कर दिया था। दरअसल, एसोसिएशन फार डेमेक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) और कई अन्य संस्थाओं ने शीर्ष अदालत में याचिका दाखिल कर वीवीपैट पर्चियों की ईवीएम से 100 फीसद मिलान की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने इस मांग को ठुकरा दिया। साथ ही बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग वाली याचिका को भी खारिज कर दिया। ऐसे में हम वीवीपैट और बैलेट पेपर आखिर होता क्या है और कैसे काम करता है इसके बारे में विस्तार से समझाएंगे।
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क्या है VVPAT सिस्टम?
वीवीपैट एक इलेक्ट्रानिक मशीन है, जिसका इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के साथ किया जाता है। वीवीपैट मशीन मतदाता को यह आश्वस्त कराने में मदद करती है कि उसने जिस पार्टी या उम्मीदवार के नाम पर वोट डाला है वह वोट उसी को गया है या नहीं? यानि यह मशीन मतदाताओं के वोट की पुष्टि करती है।
- ईवीएम के माध्यम से वीवीपैट सिस्टम काम करता है। वोट डलने के तत्काल बाद एक पेपर रसीद तैयार होती है जिसमें मतदाता का वोट रिकॉर्ड होता है।
- मतदाता 7 सेकंड तक अपनी रसीद को देख सकता है, जिसके जरिये वह यह सुनिश्चित कर सकता है कि उसका वोट सही पार्टी या उम्मीदवार को गया है या नहीं।
- VVPAT रसीद खुद-ब-खुद एक सीलबंद बॉक्से में चली जाती है, जिसकी बदौलत मतदाता की गोपनीयता भंग नहीं होती है।
- वीवीपैट सिस्टम यह एक प्रकार का मतदाता का चुनाव आयोग के प्रति विश्वास है, जो यह बताता है कि मतदाता का वोट सही जगह पर गया है। इससे पारदर्शिता सुनिश्चित होती है। साथ ही चुनाव प्रक्रिया में विश्वसनीयता का इजाफा होता है।
क्या है Ballot Paper?
बैलेट पेपर या कहें मतपत्र यह वीवीपैट सिस्टम के ठीक उलटा है। यह मतदान करने की मैन्युअल प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया के तहत मतदाता कागजी मतपत्र पर अपने पसंदीदा उम्मीदवार के नाम के आगे पेन या पेंसिल का इस्तेमाल करते हैं। एक बार जब मतपत्र में मतदाता अपने उम्मीदवार को अंकित कर देता है तो वह मतपेटियों में इसे जमा कर देते हैं। इसके बाद चुनाव अधिकारी निर्धारित समय पर या कहें चुनाव रिजल्ट (Election Result) पर मैन्युअली मतपत्रों की गिनती करते हैं। साथ ही मतपत्र पर निशान से लेकर गिनती तक सारी प्रक्रिया को लेकर पारदर्शिता सुनिश्चित की जाती है।
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वीवीपैट और मतपत्र में क्या है अंतर?
- वीवीपैट और मतपत्र दोनों ही मतदाता के वोट को रिकॉर्ड करने का अलग-अलग तरीका है।
- वीवीपैट एक अत्याधुनिक मशीन है, जबकि मतपत्र एक पारंपरिक प्रक्रिया है, जो पूरी तरह से मैन्युअली है।
- मतपत्र से वोटों की गिनती मैन्युअल रूप से की जाती है, जिसमें समय और श्रम दोनों ज्यादा लगता है, जबकि इलेक्ट्रॉनिक तरीके से समय और श्रम दोनों की बचत होती है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या मतदाताओं को मिलती है वीवीपैट रसीद
मतदाताओं को वीवीपैट रसीद नहीं मिलती है और ही कोई मतदाता उसको छू सकता है। बकौल चुनाव आयोग, मतदाता को एक पारदर्शी स्क्रीन के पीछे 7 सेकंड तक रसीद दिखती रहती है और आखिर में एक सीलपैक बॉक्स में चली जाती है।
क्या वीवीपैट मशीन मतदाता की फोटो भी खींचता है?
वीवीपैट मशीन में कोई कैमरा नहीं होता है। अगर आपको कोई इस तरह की जानकारी देता है तो वह बेबुनियाद और गलत हैं। उस पर कतई विश्वास न करें। चुनाव आयोग खुद वीवीपैट के मिथक और वास्तविकाओं को लेकर पोस्टर जारी कर चुका है।
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