Parliament session: संसद के कितने सत्र होते हैं? कब और कैसे बुलाया जाता है स्पेशल सेशन

Parliament Session: 18वीं लोकसभा की 24 जून को पहली बैठक होने वाली है, लेकिन क्या आपको पता है कि देश में कोई भी संसदीय कैलेंडर नहीं है तो फिर संसद सत्र कैसे और कब बुलाया जाता है? आपको बता दें कि राष्ट्रपति के पास संसद सत्र बुलाने की शक्तियां होती हैं और वह जब उचित समझें संसद सत्र को आहूत कर सकते हैं।

New Parliament

नई संसद

Parliament Session: 18वीं लोकसभा के लिए चुनाव संपन्न होने के बाद केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राजग सरकार का गठन हो गया है और अब सत्तापक्ष और विपक्ष, दोनों को ही संसद सत्र का इंतजार है। बता दें कि संसद का नया सत्र 24 जून से शुरू होने वाला है, जो 3 जुलाई तक चलेगा।

इस सत्र में नई लोकसभा में पुरानी परंपराएं देखने को मिलेंगी, जिनमें सांसदों का शपथ ग्रहण, स्पीकर का चुनाव, फ्लोर टेस्ट इत्यादि शामिल है, लेकिन क्या आपको पता है कि एक साल में कितने सत्र होते हैं और विशेष सत्र को बुलाने की शक्तियां किसके पास हैं? समझिए

संसद के कितने सत्र होते हैं?

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 85 संसद सत्र, सत्रावसान और विघटन के प्रावधानों से संबंधित है। अनुच्छेद 85 के मुताबिक, भारत के राष्ट्रपति को समय-समय पर संसद सत्र बुलाने की शक्तियां प्राप्त हैं। संसद सत्र बुलाने का निर्णय संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति द्वारा लिया जाता है, लेकिन औपचारिक रूप से राष्ट्रपति ही सत्र को आहूत करते हैं।

यह भी पढ़ें: कैसे होता है प्रोटेम स्पीकर का चयन? लोकसभा में क्या होती है इनकी भूमिका

एक साल में संसद के तीन सत्र होते हैं, जिनमें बजट सत्र (Budget Session), मानसून सत्र (Monsoon Session) और शीतकालीन सत्र (Winter Session) शामिल है।

बजट सत्र (Budget Session)

साल की शुरुआत में सर्वप्रथम बजट सत्र आहूत होता है। इस सत्र की शुरुआत जनवरी के अंत में होती है, जो अप्रैल के अंत या फिर मई के पहले सप्ताह तक चलता है। इस सत्र में देश का बजट पेश किया जाता है, जिसपर तमाम देशवासियों की निगाह होती है। बजट सत्र के बीच में एक अवकाश की भी व्यवस्था है ताकि संसदीय समितियां विभिन्न मुद्दों पर चर्चा कर सकें।

मानसून सत्र (Monsoon Session)

बजट सत्र के बाद मानसून सत्र की अमूमन जुलाई में शुरुआत होती है, जो अगस्त तक चलता है। इस समय देशभर में मानसूनी बारिश का दौर जारी रहता है इसीलिए मानसून में होने वाले सत्र को मानसून सत्र कहा जाता है। इस सत्र में विभिन्न विधेयकों और नीतिगत मुद्दों पर चर्चा होती है। इसे सबसे छोटा सत्र माना जाता है।

शीतकालीन सत्र (Winter Session)

शीतकालीन सत्र यानी संसद के तीसरे सत्र की शुरुआत नवंबर में होती है और दिसंबर तक यह सत्र चलता है। इस सत्र में विभिन्न विभागों के कामकाज की समीक्षा होती है। साथ ही सरकार जरूरी विधेयकों को भी पारित कराने का प्रयास करती है।

राष्ट्रपति के पास सत्रों को आहूत करने की शक्तियां होती हैं। हालांकि, दो सत्रों के बीच में अधिकतम छह माह का अंतराल हो सकता है। जिसका मतलब साफ है कि एक साल में कम से कम दो बार संसद सत्रों का आयोजन होना अनिवार्य है। संविधान में इस बात का उल्लेख है कि राष्ट्रपति जब कभी उचित समझें तो संसद का सत्र बुला सकते हैं।

यह भी पढ़ें: लोकसभा में कौन थे पहले LoP? कैसे होता है विपक्ष के नेता का चयन

कब बुलाया जाता है विशेष सत्र?

सरकार अगर बजट, मानसून और शीतकालीन सत्र के अलावा कोई और सत्र आहूत करती है तो उसे विशेष सत्र कहा जाता है। भारतीय संविधान में विशेष सत्र का कोई उल्लेख नहीं है। हालांकि, अन्य सत्रों की तरह विशेष सत्र भी अनुच्छेद 85(1) के तहत बुलाए जाते हैं। सत्र बुलाने का निर्णय संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति द्वारा लिया जाता है और राष्ट्रपति उसे अपनी मंजूरी प्रदान करते हैं।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | नॉलेज (knowledge News) और चुनाव के समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से |

लेटेस्ट न्यूज

अनुराग गुप्ता author

टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल में बतौर सीनियर कॉपी एडिटर काम कर रहे हैं। खबरों की पड़ताल करना इनकी आदतों में शुमार हैं और यह टाइम्स नाउ नवभारत की वेबसाइट क...और देखें

End of Article

© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited