क्या मंगल ग्रह की जलवायु रहने लायक थी? रेड प्लैनेट पर मिला 'डरावना स्माइली'
Mars Planet: यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ESA) ने मंगल ग्रह पर मौजूद 'डरावने स्माइली' की तस्वीर जारी की। आपको बता दें कि मंगल ग्रह को लेकर कई वैज्ञानिक अध्ययन चल रहे हैं और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने मंगल ग्रह पर कई मिशनों को भेजा है, जिसकी बदौलत रेड प्लैनेट के एक के बाद एक कई रहस्यों से पर्दा उठाया जा सका।
मंगल ग्रह पर डरावना स्माइली (फोटो साभार: European Space Agency)
मुख्य बातें
- मंगल पर स्माइली देखकर दंग रह गए वैज्ञानिक।
- क्या प्राचीन जीवन रूप का है अवशेष?
- मंगल ग्रह को लेकर हो रहे अनेकों अध्ययन।
Mars Planet: वैज्ञानिक को सबसे ज्यादा मंगल ग्रह प्रभावित करता आया है। तभी तो मंगल ग्रह को लेकर अनेकों अध्ययन चल रहे हैं। हाल ही में स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क ने मंगल ग्रह पर अगले दो साल में स्टारशिप भेजने का निर्णय लिया है और अगर सबकुछ ठीक रहता है तो उसके बाद क्रू मिशन भेजा जाएगा। दरअसल, मंगल ग्रह पर बस्ती बसाने का प्लान एकदम तैयार है। इस बीच, मंगल ग्रह में मौजूद 'डरावने स्माइली' की तस्वीर तेजी से वायरल हो रही है और इसको लेकर तरह-तरह के दावे किए जा रहे हैं, लेकिन सच्चाई क्या है? उसके बारे में जान लेते हैं।
किसने जारी की 'डरावने स्माइली' की तस्वीर?
यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ESA) ने 'Why So Serious' कैप्शन के साथ 'डरावने स्माइली' की तस्वीर शेयर की। पहली बार देखने में ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे मंगल ग्रह पर किसी ने इसे उकेरा हो, लेकिन यह मंगल ग्रह के अतीत को दर्शाने वाला एक चिह्न है। बकौल यूरोपीय स्पेस एजेंसी, मंगल ग्रह पर दिखने वाले डरावने स्माइली का चेहरा असल में क्लोराइड नमक का भंडार है।
डरावने स्माइली को एक्सोमार्स ट्रेस गैस ऑर्बिटर (ExoMars Trace Gas Orbiter) ने कैप्चर किया है। ईएसए ने बताया कि पर कभी नदियों, झीलों और संभवत: महासागरों की दुनिया रहा मंगल एक्सोमार्स ट्रेस गैस ऑर्बिटर द्वारा कैप्चर किए गए क्लोराइड के जरिए अपने रहस्यों को उजागर करता है। इससे मंगल के अतीत को जानने की मदद मिल सकती है।
मंगल का डरावना अतीत
क्लोराइड के भंडार की बदौलत ऐसा माना जा रहा है कि अरबों साल पहले इस ग्रह में हो सकता है कि पानी रहा हो। वैज्ञानिकों ने संभावना जताई कि अरबों साल पहले मंगल ग्रह के इस इलाके में जलवायु रहने लायक रही होगी या यूं कहें कि झीलों और नदियों से निकलने वाले सूक्ष्मजीव रहे होंगे, जो चरम मौसम की वजह से गायब हो गए थे।
ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि क्लोराइड के भंडार मंगल ग्रह की अतीत की जलवायु और भविष्य में होने वाले परिवर्तनों के बारे में जानकारी दे सकते हैं। खैर, मंगल ग्रह को लेकर आए दिन नई-नई रिसर्च सामने आती हैं। हाल ही में एक स्टडी में दावा किया गया कि मंगल ग्रह कभी समुद्रों और नदियों से घिरा हुआ था और वह वीरान नहीं था, लेकिन मंगल ग्रह का पानी संभवत: वाष्पित हो गया या तो पानी का कुछ हिस्सा सतह की गहराइयों में समा गया।
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अनुराग गुप्ता author
टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल में बतौर सीनियर कॉपी एडिटर काम कर रहे हैं। खबरों की पड़ताल करना इनकी आदतों ...और देखें
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