Heatwave से हाहाकार, कैसे होती है हीटवेव से मौत? जानिए LNJP के MD की एक्सपर्ट राय

Heatwave Cause: दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान सहित देश के कई हिस्सों में आहत भरी आसमानी आग से हर कोई परेशान है। अब तो हीटवेव की वजह से लोगों की जान तक जा रही है। बीते दिनों लगभग तीन दर्जन मतदानकर्मी मौत की नींद सो गए। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही उठता है कि क्या हीटवेव की वजह से मौत हो सकती है? जानिए एक्सपर्ट की राय।

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हीटवेव से कैसे होती है मौत?

Heatwave Cause: उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान में प्रकृति का ऐसा प्रकोप देखने को मिला कि लगभग तीन दर्जन मतदानकर्मियों सहित सैकड़ों लोग मौत की नींद में सो गए। दरअसल, दिल्ली, उत्तर प्रदेश सहित देश के उत्तर और मध्य हिस्से भीषण गर्मी की चपेट में हैं। ऐसे में एक सवाल जो कई लोगों को परेशान कर रहा होगा कि क्या हीटवेव की वजह से मौत हो सकती है? इसी सवाल का जवाब जानने के लिए हमने एलएनजेपी अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ. सुरेश कुमार से बात की।

क्या हीटवेव की वजह से मौत हो सकती है?

डॉ. सुरेश कुमार ने बड़ी बेबाकी के साथ इस सवाल का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि गर्मी की वजह से हीटस्ट्रोक, डिहाइड्रेशन हो सकता है। गर्मी की वजह से इलेक्ट्रोलाइट्स इंबैलेंस होता है जिसकी वजह से हार्ट पर उसका दुष्प्रभाव होता है और जब अत्यधिक गर्मी (सामान्य से 5-6 डिग्री ज्यादा तापमान हो) पड़ती है तो हीटस्ट्रोक की वजह से काफी तेज बुखार हो सकता है।

इस दौरान डॉ. सुरेश कुमार ने हाइपरपीरेक्सिया नामक एक कंडीशन के बारे में भी बताया जिसमें तापमान 106-107 डिग्री फारेनहाइट हो जाता है। बहुत तेज बुखार का दुष्प्रभाव वाइटल ऑर्गन्स और ब्रेन पर पड़ता है। जिसकी वजह से मरीज बेहोश हो जाता है। सांस लेने में दिक्कत, किडनी फेल्योर जैसी समस्या हो सकती है। शरीर में पानी की बहुत ज्यादा कमी होने पर ब्लड प्रेशर लो हो जाता है। हीटस्ट्रोक की वजह से इन स्थितियों में समस्याएं उत्पन्न होती हैं और मौत भी हो सकती है।

बकौल डॉ सुरेश कुमार, हीटस्ट्रोक का सबसे ज्यादा असर ब्रेन और गुर्दे पर पड़ता है और ब्लड प्रेशर लो हो जाता है। तापमान 106-107 डिग्री होने पर शरीर में पानी की काफी कमी हो जाती है। साथ ही सोडियम और पोटेशियम का इंबैलेंस हो जाता है। जब भी इलेक्ट्रोलाइट्स का इंबैलेंस होता है तो उसका असर हार्ट पर पड़ता है। ऐसे में हार्ट पूरी क्षमता के साथ काम नहीं कर पाता है और ब्लड प्रेशर बेहद कम हो जाता है। ऐसी स्थिति में कई बार पीड़ित को वेंटिलेटर की जरूरत भी पड़ती है।

डॉ सुरेश कुमार ने आसान शब्दों में भी इसके बारे में समझाया। उन्होंने कहा, 'बहुत ज्यादा हीटवेव होने की वजह से ब्रेन, लंग्स, हार्ट और गुर्दे में समस्या उत्पन्न हो सकती है। जिसकी वजह से पीड़ित व्यक्ति के मल्टी ऑर्गन्स फेल जाते हैं और मौत हो जाती है।'

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बचाव के लिए क्या करें?

बकौल डॉ सुरेश कुमार, हीटवेव से बचाव के लिए चार-पांच लीटर पानी पियें, ज्यादा कसे हुए कपड़े न पहनें। साथ ही लस्सी, नीबू का पानी, नारियल पानी जैसे तरल पदार्थ का हर आधे घंटे में सेवन करें। साथ ही ताजा फल खाएं और मुमकिन हो तो छाते का इस्तेमाल करें और घर से बाहर के कामों को हो सके तो टाल दें।

जानलेवा साबित हो रही गर्मी

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) का कहना है कि देश में ज्यादा गर्मी जानलेवा साबित हो रही है। जलवायु परिवर्तन, शहरीकरण, ईंधन का अत्यधिक उपयोग और पेड़ों का कटना भी इसका कारण है और भविष्य में गर्मी और बदतर होगी। लू बेहद खतरनाक है और ज्यादातर लोग यह नहीं जानते हैं कि लू से जान भी जा सकती है।

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क्या है हीटवेव? (What is Heatwave)

हीटवेव जिसे आसान शब्दों में लू कहते हैं, यह असामान्य रूप से गर्म तापमान की लंबी अवधि है। मौसम जरूरत से ज्यादा गर्म रहता है और ऐसी स्थिति दो या फिर उससे अधिक दिनों तक रहती है तो यह हीटवेव है। हीटवेव की घोषण उस वक्त होती है जब जब मैदानी इलाकों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस और तटीय क्षेत्रों में 37 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जाता है।

मौजूदा समय में आलम ऐसा है कि लोग घरों से बाहर नहीं निकलना चाहते हैं। बड़ी मुश्किल से मई की चिलचिलाती धूप और थपेड़े मारती हुई लू का लोगों ने सामना किया है और अब जून का महीना शुरू हो गया। पता नहीं आगे मौसम और क्या-क्या गुल खिलाने वाला है, क्योंकि हीटवेव की वजह से लोगों का जीवनयापन प्रभावित हुआ है और हीटवेव की वजह से लगातार हो रही मौतों ने तो और भी ज्यादा चिंता बढ़ा दी है।

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अनुराग गुप्ता author

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