हीटवेव से दम तोड़ती जिंदगियां, राष्ट्रीय आपदा घोषित होने पर क्या लोगों को मिलेगी राहत?
Heatwave: हीटवेव की मार से हर कोई बेहाल है और सबको मानसून का इंतजार है, क्योंकि अब गर्मी बर्दाश्त के बाहर है। भीषण लू यानी हीटवेव की वजह से राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार सहित कई राज्यों में सैकड़ों लोगों की मौत हुई है। आपदा का अर्थ किसी ऐसी घटना से है जिसकी वजह से भारी संख्या में जानमाल का नुकसान करती है।
हीटवेव (सांकेतिक तस्वीर)
Heatwave: हीटवेव की मार से हर कोई बेहाल है और सबको मानसून का इंतजार है, क्योंकि अब गर्मी बर्दाश्त के बाहर है। भीषण लू यानी हीटवेव की वजह से राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार सहित कई राज्यों में सैकड़ों लोगों की मौत हुई है। आसमान से बरस रही आफत वाली आग को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की भी बात उठने लगी है। हाल ही में राजस्थान में हीटवेव की वजह से हुई मौतों के मामले में हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया और कहा कि हीटवेव को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की जरूरत है।
न्यायमूर्ति अनूप कुमार की पीठ ने कहा कि हीटवेव और कोल्डवेव को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की जरूरत है। साथ ही कोर्ट ने राजस्थान के मुख्य सचिव को राजस्थान जलवायु परिवर्तन परियोजना के तहत 'हीट एक्शन प्लान' के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए तत्काल और उचित कदम उठाने के लिए विभिन्न विभागों की समितियां गठित करने का निर्देश दिया। वहीं, हीटवेव से जान गंवाने वाले लोगों के आक्षितों को मुआवजा देने का भी निर्देश दिया।
आपको अब तक पूरा मामला तो समझ में आ ही गया होगा। दरअसल, भीषण गर्मी की वजह से कई लोगों की मौत हो गई है। ऐसे में कोर्ट ने हीटवेव और कोल्डवेव को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की जरूरत बताई है। तो चलिए इसके बारे में समझते हैं।
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राष्ट्रीय आपदा क्या है? (What is National Disaster)
आपदा का अर्थ किसी ऐसी घटना से है जिसकी वजह से भारी संख्या में जानमाल का नुकसान करती है। आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के मुताबिक, किसी क्षेत्र में प्राकृतिक या मानव निर्मित, दुर्घटना या लापरवाही की वजह से तबाही मचती है और भारी संख्या में जानमाल, संपत्ति और पर्यावरण का नुकसान होता है या इसमें गिरावट आती है, तो यह 'आपदा' है।
देश में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) आपदा प्रबंधन के लिए एक शीर्ष निकाय है। हालांकि, देश में ऐसा कोई कानून नहीं है, जो प्राकृतिक आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित कर सकें। समय-समय पर इसको लेकर चर्चा जरूर छिड़ती रही है।
केंद्र सरकार ने हीटवेव और कोल्डवेव की वजह से होने वाली मौतों को लेकर साल 2015 के शीतकालीन सत्र में राज्यसभा में एक बिल पेश किया था, लेकिन यह बिल कानून में तब्दील नहीं हो सका। इस बिल को Prevention of Deaths Due to Heat and Cold Waves Act, 2015 के नाम से जाना जाता है। हालांकि, यह कानून का रूप नहीं ले पाया था। अगर यह कानून बन जाता तो हीटवेव और कोल्डवेव से लोगों की मौत होने पर, इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जा सकता था।
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आपदा से जुड़े इस बिल में क्या था?
पूर्व सांसद राजकुमार धूत ने 18 दिसंबर, 2015 को राज्यसभा में 'Prevention of Deaths Due to Heat and Cold Waves Act, 2015' बिल पेश किया था। इस बिल के जरिए हीटवेव और शीतलह को राष्ट्रीय आपदा घोषित किए जाने की बात थी। बिल में कहा गया था कि मौसम विज्ञान विभाग सरकारों को हीटवेव या कोल्डवेव के बारे में भविष्यवाणियों से अवगत कराएगी। जिसकी मदद से ऐसी आपदा से निपटने के लिए सरकार सतर्क रहेगी।
इस बिल के मुताबिक, सरकार आश्रितों के रहने की व्यवस्था करेगी, जो गर्मी, बारिश और ठंड से सुरक्षित रहने में मदद कर सकें। श्रमिकों के लिए निर्माण क्षेत्र और किसानों के लिए खेतों में सुविधाजगह निर्माण कराएगी। इस बिल में मौत की स्थिति में मुआवजे का भी प्रावधान था। अगर हीटवेव या कोल्डवेव से किसी व्यक्ति की मौत हो जाती तो पीड़ित परिजनों को कम से कम तीन लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती। हालांकि, यह विधेयक अभी तक पारित नहीं हो सका है।
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