कितना अंधकारमय है ब्रह्मांड? NASA के न्यू होराइजन्स स्पेसक्राफ्ट से मिला दंग करने वाला जवाब
Universe Darkness: रात के वक्त जब कभी आप आसमान की ओर देखते हैं तो तारों की चमकती हुई दुनिया दिखाई देती है, लेकिन इन तारों या यूं कहें आकाशगंगाओं के परे कितनी रोशनी है? या ब्रह्मांड में कितना अंधेरा है? इसे जानने के लिए नासा के न्यू होराइजन्स स्पेसक्राफ्ट के डेटा के सटीक आकलन के आधार पर इसका अनुमान लगाया गया है।
ब्रह्मांड में कितना अंधेरा है?
- आकाशगंगाओं के पार कितनी रोशनी है?
- आकाशगंगाओं में मौजूद है रोशनी।
- लुप्त हो रही मंद रोशनी को COB कहते हैं।
Universe Darkness: 'अंधेरा कायम रहे' आप लोगों को 'शक्तिमान' का यह डॉयलॉग तो याद होगा ही। संभवत: बचपन में हर किसी का शक्तिमान पसंदीदा शो होता था और उसमें एक खलनायक भी था, जिसे अंधेरे का बादशाह कहा जाता था। हम लोग उसे तमराज किलविश के नाम से जानते थे। खैर, इसकी मुख्य बात थी अंधेरा और ब्रह्मांड में भी बहुत सारा अंधेरा है। हां, हमें जरूर रोशनी दिखाई देती है, लेकिन अनंत ब्रह्मांड में बहुत सारा अंधेरा मौजूद है और इसको लेकर एक चौंकाने वाली स्टडी सामने आई है।
ब्रह्मांड में कितना घना अंधेरा है?
इस एक सरल से सवाल ने 1960 के दशक से खगोलविदों की नींद उड़ा रखी है, लेकिन नासा के न्यू होराइजन्स जांच के डेटा की बदौलत अबतक का सबसे सटीक अनुमान लगाया गया है जिसके जरिये यह समझने की कोशिश की गई कि अंतरिक्ष में कितना अंधेरा है या कितनी रोशनी है? ऐसे में कहा गया कि ब्रह्मांड की रोशनी पृथ्वी पर दिखाई देने वाले सूर्य के प्रकाश से 100 बिलियन गुना अधिक मंद है।
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स्पेस डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक, अंधकारमय ब्रह्मांड में खरबों आकाशगंगाओं और उनके अनगिनत तारों के जन्म और मृत्यु से उत्पन्न होने वाली रोशनी भी मौजूद है, लेकिन यह रोशनी पृथ्वी पर दिखाई देने वाले सूर्य के प्रकाश से 100 बिलियन गुना अधिक मंद है। इस लुप्त होती हुई मंद रोशनी को कॉस्मिक ऑप्टिकल बैकग्राउंड (COB) कहा जाता है।
बाल्टीमोर स्थित स्पेस टेलीस्कोप साइंस इंस्टीट्यूट के खगोलविद मार्क पोस्टमैन ने एक बयान में कहा कि यदि आप गहरे अंतरिक्ष में अपना हाथ ऊपर की ओर उठाते हैं तो ब्रह्मांड उस पर कितनी रोशनी डालता है? अब हमें इस बात का अच्छा अंदाजा है कि अंतरिक्ष वास्तव में कितना अंधकारमय है।
कितना पुराना है ब्रह्मांड
बकौल रिपोर्ट, COB के सटीक माप से खगोलविदों को स्टडी में यह समझने में मदद मिलती है कि ब्रह्मांड के 13.8 बिलियन वर्ष के इतिहास में आकाशगंगाएं और तारे कैसे और कहां बने, लेकिन अवशेषों की चमक ऐसी है कि अत्याधुनिक टेलीस्कोप भी आंतरिक सौरमंडल में मौजूद प्रकाश स्रोतों से इसे अलग करने में संघर्ष करते हैं, जिसमें पृथ्वी के चारों ओर मलबे की वजह से बिखरी हुई धूप और अंतरग्रहीय धूल के अनगिनत कण शामिल हैं।
अंधकारमय ब्रह्मांड
न्यू होराइजन्स स्पेसक्राफ्ट जुलाई 2015 में सौरमंडल के बाहर यात्रा पर प्लूटो से आगे निकल गया और अब पृथ्वी से 8.7 बिलियन किमी दूर है, जो काले अंतरिक्ष को देखने और धुंधली पृष्ठभूमि वाली चमक के अबतक के सबसे सटीक माप एकत्र करने के लिए पर्याप्त दूरी है। साल 2023 की गर्मियों में स्पेसक्राफ्ट ने अपने ऑनबोर्ड कैमरे का इस्तेमाल कर आसपास के वातावरण को स्कैन किया और ब्रह्मांड के दो दर्जन हिस्सों को कैप्चर किया।
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रिपोर्ट में आगे खगोलविदों ने बताया कि आकाशगंगाओं के बाहर देखने पर हमें वहां पर महज अंधेरा ही अंधेरा दिखाई देता है। आसान शब्दों में कहें तो ब्रह्मांड में आकाशगंगाओं, तारों, ब्लैक होल इत्यादि वस्तुओं की रोशनी को हटा दिया जाए तो अंधेरा ही दिखाई देगा। साथ ही कई स्टडी में ऐसा भी कहा गया है कि ब्रह्मांड की रोशनी मंद होती जा रही है। ऐसे में ब्रह्मांड में मौजूद आकाशगंगाओं के बाहर देखने पर हमें अंधेरे के सिवा कुछ नहीं दिखाई देता है। हालांकि, ज्यादा जानने के लिए हमेशा शोध की गुंजाइश रहती है।
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