धू-धू कर जल रहे उत्तराखंड सहित इन राज्यों के जंगल, कौन लगाता है इनमें आग? जानें
Forest Fire: उत्तराखंड, हिमाचल और जम्मू-कश्मीर के जंगल धू-धू कर जल रहे हैं। आग इतनी ज्यादा भयावह है कि बुझने का नाम ही नहीं ले रही है। इन राज्यों में चीड़ के पेड़ बड़ी तादाद में मौजूद हैं, जिनकी पत्तियां काफी तेजी के साथ आग पकड़ती हैं और भीषण गर्मी में तो चिंगारी मात्र से आग विकराल रूप धारण कर लेती है।
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क्यों जल रहे जंगल? (सांकेतिक तस्वीर)
Forest Fire: उत्तराखंड, हिमाचल और जम्मू-कश्मीर के जंगल धू-धू कर जल रहे हैं। आग इतनी ज्यादा भयावह है कि बुझने का नाम ही नहीं ले रही है। हर साल पहाड़ी राज्यों के जंगलों में लगने वाली आग से बेशकीमती वन संपदा बर्बाद हो रही हैं। बड़े-बड़े हेलीकॉप्टरों की मदद से आग बुझाने की कोशिशें भी की जाती हैं, लेकिन विकराल रूप धारण कर चुकी आग बुझने का नाम ही नहीं लेती हैं और अंतत: कुदरत ही इस आग को ठंडा करती है।
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जनपद में गंगा से लेकर यमुनाघाटी में भीषण आग लगी हुई है। इसके अलावा मुखेम रेंज से लेकर बाहाड़ाट रेंज तक के जंगल भी जल रहे हैं, जबकि हिमाचल के शिमला, हमीरपुर, बिलासपुर और उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर इलाके में स्थित शिवालिक के जंगलों में भीषण आग लगी हुई है। आलम ऐसा है कि जम्म-कश्मीर भी इससे अछूता नहीं। राजौरी के जंगल भी इन दिनों जल रहे हैं।
जंगलों में क्यों लग रही आग?
मौसम इतना ज्यादा गर्म हो चुका है कि जरा सी चिंगारी मात्र से भीषण आग लगने की सूचनाएं मिल रही हैं। देशभर के कई हिस्सों में पारा 50 डिग्री को पार कर चुका है और आसमान से आग बरस रही है। इस बीच, जंगल की धू-धू कर जल रहे। ऐसे में सवाल उठता है कि जंगलों में इतनी आग क्यों लग रही है?
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चीड़ की पत्तियों में होता है ईंधन!
उत्तराखंड और हिमाचल के जंगलों में बड़ी मात्रा में चीड़ के पेड़ मौजूद हैं और गर्मी के दिनों में इनकी पत्तियां सूखकर जमीन में गिरती हैं। ऐसा कहा जाता है कि चीड़ की पत्तियों में आग दूसरे पत्तियों की तुलना में बड़ी तेजी से लगती है। अंग्रेजों ने तारकोल बनाने के लिए जंगलों में चीड़ के पेड़ लगाए थे। इसमें तीसा नामक एक तरल पदार्थ होता है और चीड़ की पत्तियों में थोड़ा बहुत तेल होता है, जो आग को फैलाने के लिए काफी है।
जंगलों में न करें ध्रूमपान
कई बार बीड़ी सिगरेट की वजह से भी आग विकराल रूप धारण कर लेती है। ऐसे में फायर डिपार्टमेंट (Fire Department) ने लोगों से जलती सिगरेट या बीड़ी नहीं भेजने की अपील की है। साथ ही घरों और दुकानों में बिजली की बायरिंग का रखरखाव करने को कहा है।
चिंगारी बन जाती है ज्वाला
जंगलों से निकलने वाली रेलवे की पटरियां के चलते भी आग का खतरा बना रहता है। भीषण गर्मी में जंगल अमूमन सूख जाता है और छोटी सी चिंगारी की वजह से आग विकराल रूप धारण कर सकती है। रेल गाड़ियां जब पटरी पर चलती हैं तो कई बार घर्षण से चिंगारी निकलती है और यह चिंगारी जंगल को जलाने के लिए काफी होती हैं।
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दूर दुर्गम इलाकों के जंगलों तक पानी पहुंचाना भी चुनौतीपूर्ण काम है और हेलीकॉप्टरों की मदद से आग बुझाने की कोशिश की जाती है, जो पर्याप्त नहीं है। ऐसे में बारिश ही जंगलों में लगी आग पर पूरी तरह से काबू पा सकती है।
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