कैसे बनाई जाती है आइसक्रीम? इसे बनाने के लिए कितना तापमान चाहिए?
आइसक्रीम के दीवाने को छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक होते हैं। गर्मियों में ठंडी-ठंडी आइक्रीम का जायका लोगों को ठंडक का एहसास भी देता है और डेजर्ट का स्वाद भी। चलिए आज जान लेते हैं आपकी फेवरिट आइक्रीम कैसे बनती है और इसको बनाने के लिए कितना तापमान चाहिए -
इस तरह से बनती है आइस्क्रीम
- बिना हवा के आइस्क्रीम बहुत ही कठोर हो सकती है
- आइसक्रीम में 55-65 फीसद पानी ही होता है
- होमोनाइजेशन के जरिए आइस्क्रीम को स्मूथनेस मिलती है
साल 1927 के एक अंग्रेजी गाने के बोल थे, 'I scream, you scream, we all scream for ice cream!' यह गाना आज भी आइसक्रीम की दीवानगी को बखूबी दर्शाता है। आज भी आइस्क्रीम के लिए लोग उतने ही उतावले होते हैं, जितने उस समय होते होंगे। भले ही हम आइस्क्रीम के लिए बच्चों की तरह न चिल्लाएं, लेकिन ठंडी-ठंडी आइस्क्रीम हमारे दिलों पर राज करती है। हम आज आइसक्रीम का भरपूर आनंद लेते हैं। कभी पश्चिमी देशों और फिर बड़े शहरों की शान रही आइस्क्रीम आज छोटे-छोटे गांवों तक में आसानी से मिल जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आइस्क्रीम कैसे बनाई जाती है? इसे बनाने के लिए कितना तापमान चाहिए? नहीं भी जानते तो कोई बात नहीं, हम बता देते हैं -
प्रोसेस बहुत मायने रखता हैआइसक्रीम को उसका वह क्रीमी टेक्स्चर और स्मूथनेस देने के लिए उसमें जाने वाले इंग्रिडिएंट और प्रोसेस बहुत महत्वपूर्ण है। अमेरिकी FDA के अनुसार आइक्रीम एक ऐसा खाने योग्य उत्पाद है, जिसे पाश्चुरीकृत मिश्रण को मिलाकर जमाया जाता है। इसमें एक या उससे अधिक डेयरी उत्पाद हो सकते हैं। 1 गैलन आइसक्रीम में 1.6 पाउंड या उससे ज्यादा कुल सॉलिड और 4.5 पाउंड 'वे' (प्रोटीन) होना चाहिए। इसमें कम से कम 10 फीसद मिल्कफैट होना जरूरी है और एग यॉर्क आइसक्रीम के कुल वजह के 1.4 फीसद से ज्यादा नहीं हो सकता है।
ये इंग्रिडिएंट्स हैं जरूरीआइक्रीम बनाने की पूरी प्रक्रिया सूखे इंग्रिडिएंट्स से शुरू होती है। इसके लिए आपको चाहिए चीनी, स्टेबिलाइजर, सूखे अंडे या दूध। इन इंग्रिडिएंट्स को तरल यानी लिक्विड इंग्रीडिएंट्स यानी दूध या क्रीम में मिक्स किया जाता है। दो-तीन तरीकों से इन सबको मिक्स किया जाता है। इसके बाद इसमें फ्लेवर मिलाए जाते हैं, जैसे वनीला, चॉकलेट, मिंट या फ्रूट एक्सट्रैक्ट आदि।
तापमान कितना चाहिए?इसके बाद आइस्क्रीम के मिक्सचर को पाश्चुरीकृत किया जाता है। यह प्रक्रिया 155 डिग्री फारेनहाइट पर 30 मिनट या 174 डिग्री पर लगभग 25 मिनट चलती है। पॉश्च्युराइजेशन के दौरान बैक्टीरियल सेल्स मर जाते हैं और मिल्क फैट सॉलिड मिक्स में अच्छे से मिल जाते हैं। इस प्रक्रिया के बाद मिक्स होमोनाइजेशन के लिए तैयार हो जाता है। इसके बाद इस हॉट मिक्स को एक छोटे चैम्बर की छोटी सी ओपनिंग के जरिए हाई प्रेशर में गुजारा जाता है।
हवा से आती है आइसक्रीम में स्मूथनेसआइसक्रीम को उसका स्मूद टेक्स्चर देने के लिए होमोनाइजेशन बहुत ही जरूरी है। इसके बाद इस मिक्स को ठंडा किया जाता है और फिर 12 घंटे के लिए छोड़ दिया जाता है। इस दौरान फैट कुछ हद तक क्रिस्टलाइज हो जाता है और प्रोटीन व स्टेबलाइजर्स फैट पार्टिकल को छोटा और हवा के बुलबुलों के बीच रखते हैं। अब आइस्क्रीम मिक्स को जमा लिया जाता है, ताकि उसका स्मूथ टेक्स्चर बना रहे। इस पूरे मिश्रण को बैरल फ्रीजर में रखा जाता है और एक रोटेटिंग ब्लेड इसे मिक्स करती रहती है। इस दौरान हवा के चलते आइसक्रीम का वॉल्यूम 60 से 100 फीसद तक बढ़ जाता है।
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आइस्क्रीम में हवा बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हवा उसे सॉफ्ट बनाने के साथ ही आइसक्रीम की पिघलने की रफ्तार को स्लो कर देती है। बिना हवा के आइसक्रीम खाने में बहुत ही सख्त हो सकती है। इसके बाद आपकी आइक्रीम में आपके मनपसंद के कैंडी पीस, नट्स और फ्रूट्स एड किए जाते हैं। फिर इसे जमने के लिए फ्रीजर में रखा जाता है, जहां पर आमतौर पर ताममान -30 डिग्री सेल्सियस यानी -22 डिग्री फारेनहाइट होता है।
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